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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 11 Nov 2025 07:58:51 AM IST
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Bihar Election 2025 : गया जिला इस बार बिहार की सियासत का सबसे चर्चित केंद्र बना हुआ है। वजह है — ऐतिहासिक गयाजी विधानसभा सीट, जिसे पहले गया टाउन के नाम से जाना जाता था। इस सीट पर इस बार फिर से मुकाबला बेहद रोचक होने जा रहा है। यहाँ भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डॉ. प्रेम कुमार लगातार नौवीं बार मैदान में हैं, और वे अपने तीन दशक से भी अधिक लंबे राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाने के लिए पूरी ताकत झोंक चुके हैं।
तीन दशक से गयाजी में एक ही नाम — डॉ. प्रेम कुमार
गया की राजनीति में अगर किसी एक नाम ने लगातार वर्चस्व कायम रखा है तो वह है डॉ. प्रेम कुमार। 1990 में उन्होंने पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी, जब उन्होंने CPI उम्मीदवार शकील अहमद खान को मामूली अंतर से हराया था। उसके बाद से 1995, 2000, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005, 2010, 2015 और 2020 — हर चुनाव में जनता ने उन्हें ही अपना प्रतिनिधि चुना।
लगातार सात बार विधायक रह चुके प्रेम कुमार की छवि न केवल एक लोकप्रिय जनप्रतिनिधि की रही है बल्कि वे भाजपा के भीतर भी एक अनुभवी और भरोसेमंद नेता माने जाते हैं। 2020 में उन्होंने राजद उम्मीदवार को हराकर आठवीं बार जीत का परचम लहराया था। अब 2025 का यह चुनाव उनके राजनीतिक करियर की नौवीं परीक्षा है।
गयाजी- धर्म, आस्था और विकास का संगम
गया सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि आस्था और संस्कृति का संगम है। यह बौद्ध, जैन और हिंदू — तीनों धर्मों की पवित्र भूमि है। महाबोधि मंदिर, विष्णुपद मंदिर और प्राचीन स्थलों के कारण यह शहर अंतरराष्ट्रीय पहचान रखता है।शहर का नाम जब “गया टाउन” से बदलकर “गयाजी” रखा गया, तब से लोगों में एक नई धार्मिक पहचान और सांस्कृतिक गौरव की भावना भी जुड़ी। हालांकि, स्थानीय मुद्दे अब भी वही हैं — सड़क, रोजगार, पर्यटन और बुनियादी ढांचा विकास।
डॉ. प्रेम कुमार इन सभी मुद्दों को अपनी मुख्य प्राथमिकता बताते हैं। उन्होंने कई बार यह दावा किया है कि गया को उन्होंने “स्मार्ट सिटी” की दिशा में आगे बढ़ाया है और धार्मिक पर्यटन के लिए सुविधाएं बढ़ाई हैं। वहीं, विपक्ष का कहना है कि गयाजी आज भी रोजगार और आधारभूत ढांचे के मामले में पिछड़ा हुआ है।
इस बार चुनौती है नई पीढ़ी की राजनीति से
2025 के चुनावी रण में इस बार डॉ. प्रेम कुमार को दो ऐसे प्रतिद्वंदियों का सामना करना पड़ रहा है जो युवाओं और आम जनता से सीधे जुड़ने का दावा कर रहे हैं।पहले हैं मोहन श्रीवास्तव (कांग्रेस) — एक स्थानीय शिक्षा कार्यकर्ता और समाजसेवी। मोहन का मुख्य फोकस शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं पर है। वे दावा करते हैं कि भाजपा के लंबे शासन के बावजूद गयाजी में युवाओं के लिए अवसर नहीं बढ़े। वे कहते हैं, “डॉ. प्रेम कुमार ने शहर को पहचान दी, लेकिन आज गयाजी के नौजवान पलायन को मजबूर हैं।”
दूसरे हैं धीरेंद्र (जन सुराज पार्टी) — जो इस बार तीसरे मोर्चे के रूप में उभरती जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार हैं। वे व्यापारी वर्ग से आते हैं और स्थानीय बाजारों में उनकी अच्छी पकड़ है। उनका नारा है — “व्यापारी बोलेगा, गयाजी बदलेगा।” वे विशेष रूप से युवाओं और छोटे कारोबारियों को साधने में जुटे हैं। उनका फोकस है शहर की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना और स्टार्टअप कल्चर को प्रोत्साहित करना।
जनता का मूड — परंपरा बनाम बदलाव
गयाजी की जनता के बीच इस बार चर्चा का विषय है — क्या परंपरा को बनाए रखा जाए या बदलाव को मौका दिया जाए?वरिष्ठ मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग अब भी प्रेम कुमार को “गयाजी का बेटा” मानता है, जिसने हमेशा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सम्मान के साथ किया। वहीं, पहली बार वोट डालने जा रही युवा पीढ़ी नए विकल्पों की तलाश में है।मतदाताओं का एक वर्ग मानता है कि डॉ. प्रेम कुमार की साख आज भी कायम है, लेकिन उन्हें अब स्थानीय स्तर पर नई योजनाओं और रोजगार सृजन पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
विकास के मुद्दे पर टकराव
गया एक ऐसा शहर है, जहाँ धार्मिक पर्यटन से बड़ी आय होती है। भाजपा का दावा है कि केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से महाबोधि मंदिर और विष्णुपद क्षेत्र के आसपास बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है। वहीं कांग्रेस और जन सुराज पार्टी का कहना है कि इन योजनाओं का लाभ सिर्फ सीमित क्षेत्रों तक सीमित है, जबकि बाकी इलाकों में स्थिति पहले जैसी ही है।
गयाजी विधानसभा चुनाव 2025 अब सिर्फ एक सीट की लड़ाई नहीं रह गई है। यह एक परंपरा बनाम बदलाव की परीक्षा है। एक ओर हैं भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. प्रेम कुमार, जिन्होंने तीन दशक से अधिक समय तक मतदाताओं का भरोसा जीता है, वहीं दूसरी ओर हैं नए चेहरे जो गयाजी की नई पीढ़ी को संबोधित कर रहे हैं।क्या डॉ. प्रेम कुमार अपने नौवीं जीत का रिकॉर्ड बनाएंगे या जनता इस बार बदलाव को चुनेगी — इसका फैसला 2025 के नतीजे तय करेंगे। लेकिन इतना तय है कि गयाजी सीट पर इस बार मुकाबला बिहार की राजनीति की सबसे दिलचस्प कहानी बनने जा रहा है।