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Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण के तहत 11 नवंबर को मतदान होना है और आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं के उत्थान और सुरक्षा के लिए अपनी सरकार द्वारा किए गए कार्यों को विस्तार से

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 09 Nov 2025 10:16:10 AM IST

Bihar Election 2025

बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Bihar  Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण के तहत 11 नवंबर को मतदान होना है और आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं के उत्थान और सुरक्षा के लिए अपनी सरकार द्वारा किए गए कार्यों को विस्तार से गिनाया। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2005 से पहले बिहार में महिलाओं के उत्थान के लिए कोई ठोस कार्य नहीं होता था। उस समय महिलाएं घर की चारदीवारी से बाहर निकलने में भी असहज महसूस करती थीं और शाम 6 बजे के बाद सड़कों पर महिलाओं का निकलना पूर्णत: असुरक्षित माना जाता था।


दरअसर, नीतीश कुमार अपने आधिकारिक एक्स ( पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक पोस्ट जारी किया है, उन्होंने लिखा- “बिहार में वर्ष 2005 से पहले महिलाओं के उत्थान के लिए कोई काम नहीं होता था। महिलाएं घर की चहारदीवारी से बाहर नहीं निकल पाती थीं। शाम 6 बजे के बाद सड़कों परमहिलाओं का निकलना बिल्कुल असुरक्षित था।सत्ता संरक्षित अपराधी इतने बेखौफ हो चुके थे कि लड़कियां स्कूल-कॉलेज जाने में भी डरती थीं। अगर कोई बेटी स्कूल जाती थी तो उनके माता-पिता तब तक परेशान रहते थे, जब तक बेटी वापस घर नहीं लौट जाती थी। लड़कियों की शिक्षा के लिए कोईविशेषइंतजाम नहीं था तथा बहुत कम संख्या में बेटियां पढ़ पाती थीं”। 


उन्होंने आगे कहा- “राज्य के अधिकांश हिस्सों में खासकर ग्रामीण इलाकोंकी होनहारबच्चियांप्रारंभिक शिक्षा के बादआगे की पढ़ाईनहीं कर पाती थीं।सरकार कोराज्य की आधी आबादी की कोई चिंता नहीं थीऔर न ही उन्हें समाज में उचित प्रतिनिधित्व तथा मान-सम्मान मिलता था।    24 नवंबर 2005 को राज्य में जब नई सरकार का गठन हुआ, तब से हमलोग महिला शिक्षा एवं उनके विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं। महिलाओं को रोजगार देने एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। अब राज्य की महिलाएं अपनी मेहनत से न केवलअपने परिवार की आर्थिक स्थिति कोमजबूतकर रही हैं बल्कि वेप्रदेश की प्रगति मेंभीअपना योगदान दे रही हैं।” 


“हमलोगों नेसबसे पहलेवर्ष 2006 में पंचायती राज संस्थाओं एवं वर्ष 2007 में नगर निकायोंमें महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। अब तक 4 चुनाव हो चुके हैं, बड़ी संख्या में महिलाएं मुखिया, सरपंच, पंच, जिला परिषद अध्यक्ष, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, नगर निगम मेयर, नगर परिषद तथा नगरपंचायतअध्यक्ष पदों पर चुनकर आ रही हैं। इससे समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। जो महिलाएं आमतौर पर घरों में सिमटी रहती थीं, अब वे इन सभी कामों में अपनीसीधीसहभागितासुनिश्चित कररही हैं। यह एक बहुत ही प्रभावी सामाजिक परिवर्तन है।    इसके साथ ही वर्ष 2013 से ही पुलिस बहाली में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया।महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तथा महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए बिहार पुलिस में महिला सिपाहियों की बड़ी संख्या में नियुक्ति की गई। बिहार पुलिस में महिलाओं की भागीदारी आज देश मेंकिसी भी राज्य सेज्यादा है।” 


वर्ष 2016 सेहमलोगों नेसभी सरकारी नौकरियों मेंराज्य की महिलाओं को 35 प्रतिशतआरक्षणका प्रावधान कर दिया।इसके अलावाप्राथमिक शिक्षक नियुक्ति में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। इससे सभी सरकारी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। इसके अलावाराज्य के इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेजों में नामांकन में भी लड़कियों को 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है।  लड़कियों की शिक्षा के लिए भी हमलोगों ने कई काम किए हैं। कन्या उत्थान योजना के तहत राज्य में बेटी के जन्म से लेकर उनके स्नातक तक की शिक्षा के लिएप्रोत्साहित किया जा रहा है। बेटी के जन्म पर उनके माता-पिता को दो हजार रुपए, बेटी की उम्र एक वर्ष पूरा होने परआधार निबंधन के बादमाता-पिता को एक हजार रुपए तथा बच्ची की उम्र दो वर्ष पूरा होने पर वैक्सीनेशन के लिए माता-पिता को दो हजार रुपए दिए जाते हैं। इसप्रकार से बेटी के जन्म से लेकर उनके दो वर्ष की उम्र तक हर माता-पिता को 5 हजार रुपए दिए जाते हैं। इसके बाद जब बच्ची आंगनबाड़ी केंद्रया विद्यालय जाना शुरू करती है, तो उसके पोषण का भी उचितध्यान रखा जाता है। 


वहीं उन्होंने आगे लिखा है कि “बेटियों के पोषाहार तथा पोशाक के लिए राशि दी जाती है। पहली कक्षा से ही बेटियों को पोशाक राशि के लिए पैसे तथा मुफ्त में किताबेंदी जातीहैं। लड़कियों को 9वीं कक्षा से साइकिल खरीदने के लिए 3 हजार रुपए दिए जा रहे हैं।इसके साथ ही बेटियों की शिक्षा के लिए प्रत्येक पंचायत में 10+2 उच्च विद्यालयों कानिर्माण कराया गया है, ताकि बेटियांअपने घर से नजदीकपढ़ाई कर सकें।मैट्रिक पासकरनेपर उन्हें 10 हजार रुपए, इंटर की परीक्षा पास करने पर 25 हजार रुपए और स्नातक पास बेटियों को आगे की पढ़ाईके लिए 50 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। इसप्रकार से राज्य में बेटियों के जन्म से लेकर स्नातक तक की पढ़ाईपूरी होने तक कुल 94,100 रुपए दिए जा रहे हैं। इन सभी योजनाओं के कारण बेटियों की शिक्षास्तरमें व्यापक बदलाव आया हैऔर उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।”


“वर्ष 2005 सेपूर्वमहिलाओं को प्रसव के दौरानसरकार के स्तर पर कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती थी।हमलोगों ने जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली राशि को डी०बी०टी०के माध्यम से प्रसव के 48 घंटे के अंदर सीधे उनके खाते में भेजना शुरू कर दिया। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए 1,400 रुपए तथा शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1,000 रुपए दिए जाते हैं। इससे एकओर जहां राज्य के ग्रामीण और शहरी इलाकों में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर मातृ-शिशु मृत्यु दर में भी लगातार कमी आ रही है।वर्ष 2005 में शिशु मृत्यु दर जहां प्रति एक हजार पर 61 थी, वहीं अब घटकर मात्र 27 हो गई है, जो राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर है।” 


वहीं, “मातृ मृत्यु दर जहां वर्ष 2004-06 में प्रति लाख 312 थी, जो अब घटकर मात्र 118 होगई है। टीकाकरण का आच्छादन 18 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत से भी अधिक हो चुका है।    राज्य में पहले स्वयं सहायता समूह की संख्या नहीं के बराबर थी। वर्ष 2006 में हमलोगों ने विश्व बैंक से ऋण लेकर स्वयं सहायता समूह का गठन किया, जिसे जीविकानाम दिया गया। राज्य में स्वयं सहायता समूहों की संख्या लगभग 11 लाख हो गई है, जिससे जुड़कर अब तक 1 करोड़ 40 लाख जीविका दीदियां आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। आज बिहार में जीविका दीदियों द्वारा अनेक काम जैसे जैविक खेती, कृषि विपणन व्यवसाय, मछली पालन, मधुमक्खी पालन एवं उद्यमिता विकास से जुड़े काम कराए जा रहे हैं। इससे महिलाओं की आमदनी बढ़ रही है तथा वे अपने परिवार का अच्छे से ध्यान रख रही हैं।”


राज्य के सभी अस्पतालों में मरीजों एवं उनके परिजनों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति आवासीय विद्यालयों में दीदी की रसोई चलाई जा रही है। दीदी की रसोई में लोगों को सस्तीदर पर अच्छा खाना मिल रहा है, जिसकी देश भर में सराहना हो रही है। अब दीदी की रसोई का विस्तार राज्य के सभी प्रखंड मुख्यालयों एवं सरकारी अस्पतालों में किया जा रहा है।    अब राज्य के शहरी क्षेत्रों में भी स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा रहा है तथा इनकी संख्या 36 हजार से अधिक हो गई है। राज्य के शहरी क्षेत्रों में अब तक 3 लाख 85 हजार से अधिक महिलाएं जीविका से जुड़ कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। इसके साथ ही, महिला उद्यमी योजना के तहत महिलाओं को अपना उद्यम करने के लिए 10 लाख रुपए तक की सहायता राशि दी जा रही है।   


हमलोगों ने हाल ही में राज्य मेंमुख्यमंत्रीमहिला रोजगार योजना की शुरुआत की है। इसके तहतराज्य के सभी परिवारों की एक महिला को अपनी पसंद का रोजगार शुरू करने के लिए 10 हजार रुपए दिए जा रहे हैं।मुझे बहुत खुशी है किमहज डेढ़महीने के अंदर 1 करोड़ 41 लाख महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपए डी०बी०टी०के माध्यम से भेज दिएगए हैं। ये राशि महिलाओं कोअपनी पसंद कारोजगारकरनेके लिए दिए गए हैं, यह राशिउनसे कभीभी वापस नहीं ली जाएगी। साथ ही इस राशि से जो महिलाएं अच्छा रोजगारकरेंगी उन्हें आगे 2 लाख रूपए की अतिरिक्तसहायता दी जाएगी।ये सब काम हमलोग महिलाओं के उत्थान और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कर रहे हैं।    आप सबको पता है कि सामाजिक कुरीतियोंवकुप्रथाओंसे महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं। इसे लेकर हमलोगों ने समाज सुधार अभियान के तहत राज्य में शराबबंदी के साथ-साथ बाल विवाह एवं दहेज प्रथा को समाप्त करने पर जोर दिया।


राज्य में महिलाओं की मांग पर ही शराबबंदी लागू की गई है।समाज में इसका बहुत अच्छा असर है तथा सभी जगह शांति का माहौल है।राज्य के चतुर्मुखी विकास से महिलाओंकोकाफी फायदा हुआ है।    इस प्रकार से महिलाओं की तरक्की एवं उन्हें आत्मनिर्भर तथा सशक्त बनाने के लिए हमलोगों ने जो काम किए हैं, उसे आपलोग याद रखिएगा। आगे भी हमलोगऐसेही राज्य की महिलाओं के उत्थान के लिए काम करेंगे। हमलोग जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं।   जय बिहार!