Bihar political strategy : MY समीकरण से आगे निकले तेजस्वी ! अब 'K' कार्ड से बदलेगी महागठबंधन की किस्मत; जानिए RJD को कितना फायदा देगा यह नया समीकरण

बिहार चुनाव 2025 में राजद ने 143 उम्मीदवारों की सूची जारी की। यादव-मुस्लिम कोर वोट बैंक के साथ कुशवाहा, अति पिछड़ा और अगड़ी जातियों पर भी पार्टी ने भरोसा जताया है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 21 Oct 2025 10:11:40 AM IST

Bihar political strategy : MY समीकरण से आगे निकले तेजस्वी ! अब 'K' कार्ड से बदलेगी महागठबंधन की किस्मत; जानिए RJD को कितना फायदा देगा यह नया समीकरण

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Bihar political strategy : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 143 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। इस बार भी पार्टी ने अपने कोर वोट बैंक पर सबसे अधिक भरोसा जताया है, लेकिन साथ ही नए समीकरण बनाने की कोशिश भी की है। राजद की इस सूची से यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी ने जातिगत समीकरण और समाज के विभिन्न वर्गों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए चुनावी रणनीति तैयार की है।


सूची के अनुसार, यादव वोट बैंक राजद की सबसे बड़ी ताकत बनी हुई है। कुल 143 में से 52 उम्मीदवार यादव जाति से हैं। यादव समाज बिहार में राजद के लिए हमेशा से मजबूत आधार रहा है, और इस बार भी पार्टी ने इसे बनाए रखने का प्रयास किया है। वहीं, मुस्लिम समाज के लिए भी पार्टी ने 18 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। यह संख्या पिछले चुनाव के समान है, जब 18 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट मिला था और इनमें से 8 जीतकर आए थे। यादव और मुस्लिम उम्मीदवारों को मिलाकर यह संख्या कुल 70 सीटों के करीब है, यानी पार्टी ने लगभग आधे उम्मीदवार इसी समुदाय से चुने हैं।


राजद ने कुशवाहा वोट बैंक को साधने की रणनीति भी अपनाई है। पिछले लोकसभा चुनाव में कुशवाहा मतदाताओं का एक वर्ग इंडिया एलाइंस की ओर गया था। इसे ध्यान में रखते हुए पार्टी ने इस बार 13 कुशवाहा उम्मीदवारों को टिकट दिया है। एनडीए में सम्राट चौधरी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं के बावजूद कुशवाहा वोटर्स का खिसकना NDA के लिए चुनौती बन सकता है। उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी और सीटों का कम मिलना एनडीए के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। इस स्थिति में राजद के कुशवाहा उम्मीदवारों पर दांव महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


इसके अलावा, राजद ने अत्यंत पिछड़ों को साधने की रणनीति भी अपनाई है। यादव, कुर्मी और कुशवाहा के अलावा 21 ऐसे उम्मीदवार हैं जो अति पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों से हैं। बीमा भारती, अजय डांगी, अनीता देवी, भरत भूषण मंडल, अरविंद सहनी, देव चौरसिया और विपिन नोनिया जैसे उम्मीदवारों के जरिए पार्टी अत्यंत पिछड़ों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भी पार्टी ने यह संदेश दिया कि पहली बार किसी अत्यंत पिछड़ी जाति के नेता को बिहार में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। यह रणनीति 36 फीसदी अति पिछड़ों के समर्थन को साधने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।


राजद ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए भी ध्यानपूर्वक रणनीति बनाई है। 21 आरक्षित सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें 20 अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति से हैं। यह सभी उम्मीदवार सुरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। अनुसूचित जातियों में रविदास, पासवान और पासी को विशेष महत्व दिया गया है। शराबबंदी कानून के बाद पासी जाति के मतदाताओं में एनडीए के प्रति नाराजगी देखी गई थी। राजद ने पिछले समय में इस वर्ग को आकर्षित करने के कई प्रयास किए हैं, और इस बार के टिकट वितरण में भी इसका ध्यान रखा गया है।


अगड़ी जातियों के लिए राजद ने 16 उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जो कुल उम्मीदवारों का करीब 11 फीसदी हैं। इनमें 7 राजपूत, 6 भूमिहार और 3 ब्राह्मण शामिल हैं। शिवानी शुक्ला, राहुल शर्मा और वीणा देवी के माध्यम से पार्टी ने भूमिहार समाज को साधने की कोशिश की है। पिछली बार भूमिहार ने महागठबंधन के पक्ष में सबसे अधिक वोट दिया था, इसलिए इस समुदाय को संतुष्ट रखना पार्टी के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।


राजद की यह सूची यह संकेत देती है कि पार्टी ने न केवल अपने कोर वोट बैंक यादव और मुस्लिम समुदाय को ध्यान में रखा है, बल्कि कुशवाहा, अत्यंत पिछड़ी जातियों और अगड़ी जातियों के माध्यम से नए समीकरण बनाने का भी प्रयास किया है। पार्टी की यह रणनीति इस बात पर निर्भर करेगी कि जनता इसे किस रूप में स्वीकारती है।


राजद के इस चुनावी दांव से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी ने केवल जातिगत समीकरणों पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि सामाजिक समीकरणों और पिछड़ों के हितों को साधने के लिए भी पूरी तैयारी की है। अब यह चुनावी मैदान में जाकर ही पता चलेगा कि पार्टी कितनी कामयाब होती है और ये रणनीतियां चुनावी परिणामों पर किस हद तक असर डालती हैं।