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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 14 Mar 2025 06:01:39 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो google
Bihar vidhansabha chunav 2025: बिहार में इस बार होली और रमजान का जुम्मा एक ही दिन पड़ने से सियासी सरगर्मी तेज हो गई थी। बिहार में इसी साल चुनाव होने हैं, लिहाजा वोटों की फसल उगाने के लिए राजनीतिक दल अपने-अपने तरीकों से सोशल इंजीनियरिंग और जनता के हिमायती बनने की पुरजोर कोशिश में जुट गए हैं। चुनावी साल में हर मुद्दे पर राजनीति होना लाजिमी है, और इस बार भी वोटबैंक साधने की कोशिशें हो रही हैं। लेकिन जनता ने अपने अंदाज में जवाब दिया—"होली और जुम्मा दोनों मिलकर गंगा-जमुनी तहजीब में मनाएं जायेंगे .
होली, रमजान और राजनीति का तड़का!
बिहार में राजनीति सिर्फ जाति तक सीमित नहीं है, बल्कि धर्म भी इसमें एक बड़ा कारक है। चुनाव से पहले सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सभी वोटों की राजनीति में जुटे हैं। ऐसे में जब होली और जुमे का दिन एक साथ पड़ा, तो नेता दो धड़ों में बंट गए। बीजेपी के कुछ नेताओं ने तीखे बयान दिए और कहा—"मुस्लिम समाज को अगर रंगों से परहेज है तो अपने त्योहार के दिन घर से बाहर दिल बड़ा कर के निकलें," जबकि विपक्षी दलों, राजद और कांग्रेस ने इसे "ध्रुवीकरण की साजिश" करार दिया। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही देखने को मिली पटना से लेकर दरभंगा, औरंगाबाद से लेकर भागलपुर तक, हिंदू-मुस्लिम न केवल साथ में रंग खेले, बल्कि मस्जिदों के आसपास भी होली के रंग गुलाल उड़ाते दिखे। वहीं, जेडीयू नेताओं ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा—"नीतीश कुमार के सुशासन में कुछ भी गड़बड़ नहीं हो सकता।"
दरभंगा में मेयर की 'ब्रेक' पॉलिटिक्स, लेकिन जनता ने दिखाया आईना
दरभंगा की मेयर अंजुम आरा के "होली के लिए दो घंटे का ब्रेक" वाले बयान ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था। बीजेपी नेताओं ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति बताया, जिसके बाद मेयर को बैकफुट पर आकर माफी मांगनी पड़ी। दिलचस्प बात यह रही कि इस बयान के बावजूद, दरभंगा में न केवल होली जमकर खेली गई, बल्कि मुस्लिम समुदाय ने भी पूरे इत्मिनान से नमाज अदा की। बिहार में बीजेपी पहले से ही ‘हिंदुत्व कार्ड’ खेलने की कोशिश में है, और होली-जुमे का मुद्दा उसे बैठे-बिठाए मिल गया।
बिहार में फिर मंदिर और हिंदुत्व पॉलिटिक्स का गेम चलेगा?
हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने सीता मंदिर बनाने की घोषणा की, जिससे संकेत मिलता है कि बीजेपी बिहार में हिंदुत्व पॉलिटिक्स को आगे बढ़ाने की कोशिश कर सकती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार के वोटर नेताओं के बिछाए जाल में फंसकर ध्रुवीकरण की राजनीति का हिस्सा बनेंगे या फिर बेरोजगारी, पलायन और बुनियादी सुविधाओं जैसे असली मुद्दों पर वोट डालेंगे।
हालांकि, जनता ने दिया कड़ा संदेश!
बिहार में राजनीति चाहे जितनी भी हो, लेकिन इस बार जनता ने साफ कर दिया कि होली हो या जुम्मा, त्योहार भाईचारे और सौहार्द्र से मनाए जाएंगे। वोटबैंक की राजनीति करने वाले नेताओं को अपने अपने तरीके से संदेश भी दे रही है .