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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 03 Nov 2025 09:02:59 AM IST
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Mokama Election : बिहार की राजनीति में मोकामा विधानसभा क्षेत्र हमेशा से सुर्खियों में रहा है। एक बार फिर चर्चा का केंद्र बना है यह इलाका, जहां जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के उम्मीदवार और बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह को दुलारचंद हत्या कांड मामले में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बाढ़ के कारगिल इलाके से आधी रात को हुई इस गिरफ्तारी के बाद उन्हें पूरे रात पटना SSP कार्यालय के रंगदारी सेल में रखा गया और फिर शनिवार को सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
इस गिरफ्तारी के बाद मोकामा में चुनावी समीकरणों पर गहरा असर पड़ा है। अब स्थिति यह बन गई है कि जेडीयू को अपने स्टार प्रचारकों को यहां उतारना पड़ रहा है। पार्टी ने इस चुनौतीपूर्ण हालात में एनडीए के कद्दावर नेता और बिहार भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी को मोकामा भेजने का फैसला किया है, ताकि अनंत सिंह की अनुपस्थिति में सवर्ण और पिछड़े वर्ग के वोटों को साधा जा सके।
सम्राट चौधरी का मोकामा दौरा
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सोमवार दोपहर करीब 12 बजे सम्राट चौधरी सड़क मार्ग से मोकामा पहुंचेंगे। वहां पूर्वी पंचायत में अपने एक सहयोगी के घर वे थोड़ी देर रुककर स्थिति का जायजा लेंगे। इसके बाद वे जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के साथ बरहपुर से एक विशाल रोड शो की शुरुआत करेंगे। यह रोड शो मोकामा विधानसभा के लगभग सभी गांवों से होकर गुजरेगा और नगर परिषद इलाके में पहुंचकर समाप्त होगा। इसके बाद दोनों नेता पटना वापस लौट जाएंगे। इस पूरे कार्यक्रम का मकसद मोकामा के सवर्ण और पिछड़े वोटरों को एकजुट रखना है। खासतौर पर उस समय जब राजद और अन्य विपक्षी पार्टियाँ पिछड़ों और दलितों के बीच अपनी पैठ मजबूत करने में लगी हुई हैं।
मोकामा का जातीय गणित
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.90 लाख मतदाता हैं। यहां जातिगत समीकरण किसी भी चुनाव का मुख्य आधार रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रभावशाली वोट बैंक भूमिहार हैं, जो कुल आबादी का लगभग 30 फीसदी हिस्सा रखते हैं। यदि ब्राह्मण और राजपूत मतदाताओं को भी साथ जोड़ लिया जाए तो सवर्णों की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी तक पहुंच जाती है। ये वोटर परंपरागत रूप से एनडीए समर्थक रहे हैं और अनंत सिंह की व्यक्तिगत पकड़ इस वर्ग में काफी मजबूत रही है।
सवर्णों के बाद पिछड़ा वर्ग यहां की दूसरी बड़ी ताकत है। यादव लगभग 22-25 प्रतिशत और धानुक 20-22 प्रतिशत तक मतदाता हैं। वहीं दलित, पासवान और मुस्लिम मतदाताओं को मिलाकर करीब 30 फीसदी आबादी बनती है। यही वजह है कि यह क्षेत्र हमेशा से राजनीतिक दलों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है।
अनंत सिंह की अनुपस्थिति और नई चुनौतियाँ
अनंत सिंह की 'छोटे सरकार' वाली छवि और स्थानीय पकड़ ने उन्हें इस क्षेत्र का निर्विवाद नेता बनाया था। धानुक और सवर्ण वोटरों के बीच उनकी लोकप्रियता से एनडीए को कई चुनावों में फायदा हुआ। लेकिन अब जब अनंत सिंह जेल में हैं, तो यह सवाल उठने लगा है कि क्या जेडीयू बिना उनके करिश्मे के इस वोट बैंक को समेट पाएगी?
पिछले लोकसभा चुनावों में यह भी देखा गया कि राजद ने यादव और धानुक मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत की है। लालू प्रसाद यादव की राजनीति की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए तेजस्वी यादव ने पिछड़े और दलित वर्ग को अपने साथ जोड़ने में अच्छा-खासा काम किया है। इसी वजह से मोकामा में अब अगड़ा बनाम पिछड़ा का नया समीकरण उभरता दिख रहा है, जिसका फायदा राजद उठाने की कोशिश कर रही है।
सम्राट चौधरी के सामने अहम जिम्मेदारी
पार्टी आलाकमान के सामने यह बड़ी चुनौती है कि वे सवर्ण और पिछड़े वोटरों के बीच किसी भी तरह की दूरी न आने दें। ऐसे में सम्राट चौधरी को मोकामा भेजना यह संकेत देता है कि जेडीयू और भाजपा इस लड़ाई को गंभीरता से ले रहे हैं। सम्राट का नेतृत्व सवर्ण और ओबीसी वोट बैंक दोनों तक पहुंच रखता है, और इसी संतुलन को बनाए रखने का प्रयास रविवार से होने वाले रोड शो में किया जाएगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सम्राट चौधरी और ललन सिंह मिलकर मोकामा में अनंत सिंह के अभाव को भर पाते हैं या इस मामले का फायदा विपक्ष उठा लेता है। फिलहाल, मोकामा की सियासत एक बार फिर चरम पर है और आने वाले कुछ दिनों में यहां की राजनीतिक तस्वीर और भी दिलचस्प मोड़ लेने वाली है।