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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 11 Nov 2025 12:22:14 PM IST
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Siwan election controversy : बिहार विधानसभा चुनाव के बीच एक बार फिर ईवीएम और वीवीपैट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। समस्तीपुर के बाद अब सीवान जिले में भी सड़क किनारे कूड़े में वीवीपैट (VVPAT) की पर्चियां मिलने से सियासी हलचल तेज हो गई है। यह मामला सोमवार शाम सामने आया, जब सीवान शहर के मौली बथान मोहल्ले में कुछ लोगों ने सड़क किनारे कूड़े के ढेर में वोटिंग पर्चियां देखीं। देखते ही देखते यह खबर आग की तरह फैल गई और स्थानीय लोगों की भीड़ मौके पर जुट गई।
लोगों ने आरोप लगाया कि यह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ है और मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। सदर एसडीएम आशुतोष गुप्ता और नगर थानेदार विनोद कुमार चौधरी ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। दोनों अधिकारियों ने पर्चियों को जब्त कर सुरक्षित रख लिया।
प्रशासन ने दी सफाई, बताया ‘कमीशनिंग की पर्चियां’
मामले पर सीवान के जिला निर्वाचन पदाधिकारी एवं डीएम डॉ. आदित्य प्रकाश ने कहा कि इन पर्चियों का मतदान से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने बताया कि ये पर्चियां मतदान शुरू होने से पहले मशीनों की कमीशनिंग (परीक्षण प्रक्रिया) के दौरान निकली थीं। कमीशनिंग के वक्त ईवीएम और वीवीपैट की जांच के लिए पर्चियां निकाली जाती हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मशीनें सही काम कर रही हैं।
डीएम ने कहा, “जिन कर्मचारियों की लापरवाही से ये पर्चियां बाहर फेंकी गईं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। संबंधित कर्मी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही है।” उन्होंने बताया कि मौके पर पहुंचकर सभी पर्चियों को जब्त कर लिया गया है और जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इसके बाद डीएम डॉ. आदित्य प्रकाश के साथ एसपी मनोज कुमार तिवारी भी घटनास्थल पहुंचे। उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और स्थानीय लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। प्रशासन ने यह भी कहा कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है और मतगणना पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
विपक्ष ने उठाए सवाल, राजद ने कहा — “वोट चोरी का मामला”
वहीं, इस घटना के सामने आते ही विपक्ष ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। राजद के वरीय नेता और विधान पार्षद विनोद जायसवाल ने इसे “वोट चोरी” का मामला बताया। उन्होंने कहा, “जब चुनाव प्रक्रिया के बीच वीवीपैट की पर्चियां सड़क किनारे कूड़े में मिल रही हैं, तो जनता कैसे भरोसा करे कि उनका वोट सुरक्षित है?”
जायसवाल ने कहा कि इस मामले की शिकायत जिला निर्वाचन पदाधिकारी से की गई है और चुनाव आयोग को भी पत्र भेजकर पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह लापरवाही नहीं बल्कि साजिश है, जिससे मतदाताओं का भरोसा टूटता है।
पहले भी समस्तीपुर में मिला था वीवीपैट पर्चियों का मामला
गौरतलब है कि इससे पहले शनिवार को समस्तीपुर जिले के सरायरंजन क्षेत्र में भी सड़क किनारे वीवीपैट की पर्चियां बरामद की गई थीं। उस मामले में भी प्रशासन ने यह तर्क दिया था कि ये “कमीशनिंग” के दौरान की पर्चियां थीं, जिनका वास्तविक मतदान से कोई संबंध नहीं है। हालांकि लगातार दो जिलों में वीवीपैट पर्चियों के इस तरह मिलने से चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। विपक्ष का कहना है कि ऐसी घटनाएं चुनाव की पारदर्शिता को धूमिल करती हैं और जनता के भरोसे को कमजोर करती हैं।
क्या होता है वीवीपैट और कमीशनिंग प्रक्रिया?
वीवीपैट यानी “Voter Verifiable Paper Audit Trail” एक ऐसी मशीन होती है जो ईवीएम से जुड़ी होती है। जब कोई मतदाता वोट डालता है तो यह मशीन उसकी पसंद का नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह एक छोटी पर्ची पर दिखाती है, जो कुछ सेकंड के बाद एक सीलबंद बॉक्स में चली जाती है।
चुनाव से पहले इन मशीनों की जांच (कमीशनिंग) की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी उपकरण ठीक तरह से काम कर रहे हैं। इस प्रक्रिया के दौरान भी कुछ पर्चियां निकलती हैं, जिन्हें बाद में नष्ट कर दिया जाना चाहिए। लेकिन सीवान और समस्तीपुर के मामलों में यही पर्चियां लापरवाहीवश बाहर फेंकी गईं, जिससे विवाद खड़ा हो गया।
चुनाव आयोग पर बढ़ा दबाव
अब मामला राज्यभर में चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर चुनाव से पहले की पर्चियां बाहर फेंकी जा सकती हैं, तो मतदान प्रक्रिया कितनी सुरक्षित है। वहीं, चुनाव आयोग ने कहा है कि सभी जिलों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी लापरवाही दोबारा न हो और सभी वीवीपैट पर्चियों का उचित निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।
इस बीच, सीवान और समस्तीपुर दोनों जिलों में प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और कहा है कि दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। लेकिन चुनावी माहौल के बीच इस घटना ने मतदाताओं के मन में एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या उनका वोट वाकई सुरक्षित है।