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Bihar Election 2025: अंतिम चरण में भी बाहुबलियों की शान की लड़ाई: खुद नहीं तो पत्नी को मैदान में उतारकर बड़े-बड़े धुरंधरों को दे रहे टक्कर

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार कई सीटों पर दिलचस्प और हाई-वोल्टेज मुकाबले देखने को मिल रहे हैं। इनमें सबसे चर्चित सीटों में से एक है नवादा जिले की वारिसलीगंज विधानसभा सीट, जहां दो बाहुबली नेताओं की पत्नियां आमने-सामने हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 11 Nov 2025 01:59:38 PM IST

Bihar Election 2025

बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार कई सीटों पर दिलचस्प और हाई-वोल्टेज मुकाबले देखने को मिल रहे हैं। इनमें सबसे चर्चित सीटों में से एक है नवादा जिले की वारिसलीगंज विधानसभा सीट, जहां दो बाहुबली नेताओं की पत्नियां आमने-सामने हैं। इस सीट पर सियासी संघर्ष सिर्फ पार्टियों के बीच नहीं, बल्कि दो सशक्त राजनीतिक परिवारों की प्रतिष्ठा का भी सवाल बन गया है।


महागठबंधन की अंदरूनी फूट खुलकर सामने आई है। वारिसलीगंज से आरजेडी ने बाहुबली नेता अशोक महतो की पत्नी अनीता कुमारी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि उसी सीट से कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी सतीश कुमार को मैदान में उतारा है। यानी महागठबंधन के घटक दल आपस में भिड़ गए हैं, जिससे विपक्षी एकजुटता की बजाय अंदरूनी मतभेद साफ दिखाई दे रहे हैं।


बीजेपी ने अरुणा देवी पर जताया भरोसा

दूसरी ओर, एनडीए की ओर से बीजेपी ने मौजूदा विधायक अरुणा देवी पर भरोसा जताया है, जो खुद एक और प्रभावशाली बाहुबली नेता अखिलेश सिंह की पत्नी हैं। अरुणा देवी लगातार दो बार इस सीट से जीत दर्ज कर चुकी हैं और अपने क्षेत्र में मजबूत राजनीतिक पकड़ बनाए हुए हैं। इस बार भी वे अपने संगठन और पति के राजनीतिक नेटवर्क के सहारे जीत का हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं।


दो बाहुबली घराने, तीन दशक पुरानी रंजिश

वारिसलीगंज की राजनीति में अशोक महतो और अखिलेश सिंह की प्रतिद्वंद्विता कोई नई नहीं है। यह सियासी जंग पिछले तीन दशकों से जारी है। 1990 के दशक में शुरू हुई यह लड़ाई पहले जातीय और प्रभाव के संघर्ष के रूप में जानी जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसने पूर्ण राजनीतिक रूप ले लिया।


2000 के चुनाव में अरुणा देवी ने पहली बार जेडीयू के टिकट पर जीत दर्ज की, जबकि 2005 में प्रदीप महतो, जो अशोक महतो के करीबी माने जाते हैं, ने उन्हें हराकर बदला लिया। बाद में 2010 और 2015 के बीच यह सीट कई बार दोनों गुटों के बीच झूलती रही, और 2020 में अरुणा देवी ने बीजेपी उम्मीदवार के रूप में 25 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज कर अपने प्रभुत्व को फिर स्थापित किया।


अब पत्नियां आमने-सामने, मैदान में सियासी और पारिवारिक लड़ाई

इस बार की लड़ाई में दिलचस्प मोड़ यह है कि दोनों बाहुबलियों की पत्नियाँ सीधे चुनावी मैदान में हैं। एक ओर अशोक महतो की पत्नी अनीता कुमारी, जो आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर अखिलेश सिंह की पत्नी अरुणा देवी, जो बीजेपी से मैदान में हैं। दोनों ही अपने-अपने पति के प्रभाव, सामाजिक समीकरण और स्थानीय समर्थन पर भरोसा जता रही हैं।


अशोक महतो, जो कभी नवादा जेल ब्रेक केस में 17 साल जेल में रहे और दिसंबर 2023 में रिहा हुए, अब खुले तौर पर अपनी पत्नी के लिए प्रचार में जुटे हैं। वहीं अखिलेश सिंह भी लंबे समय से इलाके में अपना जनाधार बनाए हुए हैं और अरुणा देवी के लिए हर गांव में जनसंपर्क करवा रहे हैं।


महागठबंधन की फूट से एनडीए को फायदा संभव

कांग्रेस और आरजेडी के आमने-सामने आने से विपक्षी वोटों का बंटवारा तय माना जा रहा है। इससे बीजेपी उम्मीदवार अरुणा देवी को सीधा फायदा हो सकता है। स्थानीय मतदाता भी मानते हैं कि “वारिसलीगंज का चुनाव अब सिर्फ सियासी मुकाबला नहीं, बल्कि बाहुबल और जनाधार की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।”


वारिसलीगंज की राजनीति हमेशा से विवाद, वर्चस्व और शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक रही है। इस बार जब दोनों बाहुबली परिवारों की पत्नियाँ आमने-सामने हैं, तो यह चुनाव बिहार की राजनीति का सबसे चर्चित मुकाबला बन गया है। एक तरफ सत्ता में वापसी की उम्मीदें हैं, तो दूसरी तरफ वर्षों पुराने वर्चस्व को कायम रखने की लड़ाई।