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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 25 Apr 2025 03:17:35 PM IST
E-Saakshi ऐप, IGCJS और CCTNS के साथ भारत की न्यायिक प्रक्रिया में तेज़ी और पारदर्शिता आएगी। - फ़ोटो Google
Smart policing speedy justice: राज्य की न्यायिक प्रक्रिया को तेज़, पारदर्शी और तकनीक-आधारित बनाने के लिए सरकार ने अब टेक्नोलॉजी के माध्यम से सिकंजा कसने कि तैयारी में है , साक्ष्य ऐप’ और CCTNS सिस्टम’ की मदद से लोगों को न्याय और जल्द मिलेगी क्योंकि अदालतों में पेश होने वाले सबूतों को डिजिटल माध्यम से संरक्षित किया जाए, ताकि जांच प्रक्रिया में कोई छेड़छाड़ न हो सके और न्याय समय पर व निष्पक्ष रूप से हो सके।
ई-साक्ष्य ऐप एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जहाँ एफआईआर, पीड़ित का बयान, आरोपी का कबूलनामा, फॉरेंसिक रिपोर्ट और अन्य अहम दस्तावेज अपलोड किए जाते हैं। ये सभी जानकारी अदालत में साक्ष्य के रूप में मान्य होती है और ट्रायल के दौरान इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि मामले में पारदर्शिता भी बनी रहेगी। अब कोई भी केस केवल कागज़ों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि डिजिटल रूप में सुरक्षित रहेगा। इससे आम जनता को यह भरोसा मिलेगा कि उनके द्वारा दिए गए सबूत और बयान सुरक्षित हैं और उनका गलत इस्तेमाल नहीं हो सकेगा। विशेष रूप से यौन शोषण जैसे संवेदनशील मामलों में यह तकनीक पीड़िता की गोपनीयता और गरिमा को बनाए रखने में सहायक होगी।
फॉरेंसिक जांच की प्रक्रिया को भी अब वीडियोग्राफ किया जाएगा, जिससे सबूत जुटाने के हर चरण पर निगरानी बनी रहेगी और यह प्रक्रिया अदालत में एक ठोस साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की जा सकेगी। ट्रायल के दौरान बचाव पक्ष के वकील अब 35 से अधिक बिंदुओं पर जिरह कर सकेंगे, जैसे सबूत सही ढंग से एकत्रित किए गए या नहीं, गिरफ्तारी की प्रक्रिया विधिसम्मत थी या नहीं, या आरोपी के अधिकारों का उल्लंघन तो नहीं हुआ। इससे निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित होगी। न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए CCTNS नेटवर्क को भी लगातार मजबूत किया जा रहा है। देश के हर थाने में दर्ज मुकदमों और अपराधियों की जानकारी इस केंद्रीकृत प्रणाली में दर्ज की जा रही है।
मुख्य बातें आप आसानी से समझिये (डिटेल्स और एक्सप्लानेशन):
ई-साक्ष्य ऐप (e-Saakshi App): यह ऐप सभी डिजिटल साक्ष्यों को अपलोड करने, सुरक्षित रखने और कोर्ट में पेश करने के लिए बनाया गया है।जैसे पीड़ित का बयान, FIR की कॉपी, फॉरेंसिक रिपोर्ट, वीडियो फुटेज लिए जायेंगे इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई साक्ष्य छूटे या छेड़ा न जा सके,लिहाजा सही न्याय डिलीवर हो सके|
IGCJS (Inter-Operable Criminal Justice System):
यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो पुलिस, कोर्ट, जेल और फॉरेंसिक लैब्स के डेटा को आपस में जोड़ता है। इससे केस ट्रैकिंग आसान होती है और झूठे मुकदमों या गलत जानकारी से बचाव होता है। अब पीड़ितों का बयान डिजिटल रूप से रिकॉर्ड किया जाएगा, जिसे कोर्ट में साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, FIR को OTP आधारित सत्यापन के बाद ई-साक्ष्य ऐप पर भी अपलोड किया जा सकता है।बता दे कि फॉरेंसिक जांच के दौरान सैंपल कलेक्शन और एनालिसिस की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी, जिससे ट्रांसपेरेंसी बनी रहे।
CCTNS (crime and criminal tracking network system)
यह एक नेशनल नेटवर्क है जिसमें सभी पुलिस थानों और जांच एजेंसियों को जोड़ा गया है। इससे आरोपी और केस की स्थिति को ऑनलाइन ट्रैक किया जा सकता है। अगर आरोपी पुलिस के सामने या कोर्ट में कबूलनामा करता है, तो उसे भी डिजिटल रूप में रिकॉर्ड किया जाएगा।
आपको बता दे कि ई-साक्ष्य ऐप, IGCJS और CCTNS जैसे प्लेटफॉर्म भारत की न्यायिक प्रणाली को अधिक पारदर्शी और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। खासतौर पर sexual offence मामलों में साक्ष्य एकत्र करने, पीड़ित की सुरक्षा, और आरोपी की पहचान में इससे बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे । इस बदलाव से न्यायिक व्यवस्था में आम लोगों का भरोसा बढ़ेगा और अपराध पर नियंत्रण में तकनीक एक प्रभावी हथियार साबित होगी। अब अदालत, पुलिस और पीड़ित ,तीनों के बीच विश्वास की एक डिजिटल डोरी बंध चुकी है।