INS Mahe: भारतीय नौसेना को मिला एक नया हथियार, देश की तटीय सुरक्षा में अभूतपूर्व बढ़ोतरी

INS Mahe: कोचिन शिपयार्ड ने भारतीय नौसेना को पहला स्वदेशी एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट INS माहे सौंपा। 90% भारतीय सामग्री से बना यह जहाज तटीय सुरक्षा को मजबूत करेगा..

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 24 Oct 2025 09:31:40 AM IST

INS Mahe

प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

INS Mahe: भारत की नौसेना ने समुद्री सीमाओं की रक्षा में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड ने भारतीय नौसेना को पहला स्वदेशी एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट INS माहे सौंप दिया है। यह जहाज न सिर्फ तकनीकी क्षमता का प्रतीक है, बल्कि 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान की सफलता का भी प्रमाण है।


CSL के निदेशक डॉ. एस. हरिकृष्णन और जहाज के कमांडिंग ऑफिसर कमांडर अमित चंद्रा चौबे ने कोच्चि में आयोजित समारोह में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर वेस्टर्न नेवल कमांड के चीफ स्टाफ ऑफिसर रियर एडमिरल आर. अधिस्रीनिवासन, वॉरशिप प्रोडक्शन सुपरिंटेंडेंट कमोडोर अनुप मेनन समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।


INS माहे आठ जहाजों की उस श्रृंखला का पहला सदस्य है जो पूरी तरह भारतीय डिजाइन और निर्माण से तैयार किया गया। CSL के अनुसार, यह जहाज डेट नोर्स्के वेरिटास के नियमों के तहत बनाया गया है और नौसेना का अब तक का सबसे बड़ा शैलो वाटर युद्धपोत है। इसकी लंबाई 78 मीटर है और यह डीजल इंजन व वाटरजेट प्रोपल्शन से चलता है।


यह जहाज पनडुब्बी रोधी अभियान, माइन लेइंग, सर्च एंड रेस्क्यू जैसे कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है। आधुनिक सेंसर, संचार प्रणाली और कम साउंड सिग्नेचर तकनीक से यह गहरे समुद्री जल में दुश्मन पनडुब्बियों को चट कर सकता है। CSL ने दावा किया कि यह तटीय सुरक्षा को कई गुना मजबूत करेगा और बाकी सात जहाज भी विभिन्न चरणों में निर्माणाधीन हैं और अगले कुछ वर्षों में डिलीवर होंगे।


इस जहाज में 90% से अधिक सामग्री भारतीय कंपनियों से ली गई है। मशीनरी, सेंसर और ऑनबोर्ड सिस्टम सब देशी हैं। CSL प्रवक्ता ने कहा, "INS माहे नौसेना के स्वदेशीकरण में मील का पत्थर है।" इससे न केवल तटीय जल में पनडुब्बी-रोधी क्षमता बढ़ेगी, बल्कि रोजगार और तकनीकी विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।