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Bihar News: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार समेत इन 11 राज्यों को जारी किया बड़ा निर्देश, जानिए..

Heatwave: देश में बढ़ती गर्मी और लू से होने वाले जानमाल के खतरे को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) अब सक्रिय हो गया है, जिसमें बिहार को भी शामिल है.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 05 May 2025 03:39:50 PM IST

BIHAR NEWS

बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE

Heatwave: देश में बढ़ती गर्मी और लू से होने वाले जानमाल के खतरे को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) अब सक्रिय हो गया है । आयोग ने बिहार सहित 11 राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं कि वे गर्मियों में विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, बाहरी कामगारों, बुजुर्गों, बच्चों और बेघर लोगों की सुरक्षा के लिए तत्काल एहतियाती कदम उठाएं।


एनएचआरसी ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2018 से 2022 के बीच गर्मी और लू से 3,798 लोगों की जान जा चुकी है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि इस प्राकृतिक आपदा को हल्के में नहीं लिया जा सकता और इससे निपटने के लिए एकीकृत और समावेशी रणनीति की आवश्यकता है।


राज्यों को दिए गए निर्देश

आयोग ने अपने पत्र में राज्यों को निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी किए हैं:

लू और गर्मी से प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी आश्रयों की व्यवस्था की जाए।

प्रभावित वर्गों को पेयजल, छाया और प्राथमिक चिकित्सा की तत्काल उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

बाहरी मजदूरों के लिए काम के समय में बदलाव किया जाए ताकि वे दोपहर की भीषण गर्मी से बच सकें।


अस्पतालों में लू से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए मानक प्रक्रिया (Standard Protocols) तैयार और लागू की जाए। बिहार में हर साल गर्मी और लू के कारण गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है। पिछले दो वर्षों से राज्य में कम वर्षा के कारण जमीन की नमी घटने और गर्मी की तीव्रता में वृद्धि हुई है। मई और जून में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।


बिहार में गर्मियों के दौरान केवल लू ही नहीं, बल्कि बच्चों के लिए एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) नामक जानलेवा बीमारी भी चिंता का विषय है। मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में हर साल गर्मी के मौसम में इस बीमारी से सैकड़ों बच्चों की मौत हो जाती है। अब तक इस बीमारी के कारण और उपचार को लेकर कोई ठोस वैज्ञानिक समाधान सामने नहीं आया है। केवल सावधानी, जागरूकता और त्वरित इलाज ही इस बीमारी से बचाव के मुख्य उपाय हैं।


NHRC की यह सक्रियता और निर्देश बिहार जैसे राज्यों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जहां गर्मियों में न केवल स्वास्थ्य आपात स्थितियां बनती हैं, बल्कि गरीब और हाशिए पर खड़े लोग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। अब देखना होगा कि राज्य सरकार इन निर्देशों को कितनी तत्परता और गंभीरता से लागू करती है ताकि आगामी महीनों में लू और उससे जुड़ी बीमारियों से होने वाले नुकसान को रोका जा सके।