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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 07 Apr 2025 06:30:27 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google
Child health : अगर आपका बच्चा देखने में स्वस्थ लगता है लेकिन बार-बार बीमार पड़ता है, तो यह केवल संयोग नहीं बल्कि ये चेतावनी हो सकती है।हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसी स्थिति बच्चे की कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता का संकेत देती है, जो आज के समय में तेजी से बदलती जीवनशैली की देन है।
बदलती आदतें, बढ़ती बीमारियां
आज के बच्चे पहले की तुलना में कहीं ज्यादा डिजिटल दुनिया से जुड़े हुए हैं।जैसे मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन पर घंटों बिताना, आउटडोर खेलों की कमी और फास्ट फूड का बढ़ता सेवन – ये सभी फैक्टर बच्चों की इम्युनिटी पर बुरा असर डाल रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक अब बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां देखने को मिल रही हैं, जो पहले केवल बड़ों में पाई जाती थीं। अगर माता-पिता को ये समस्याएं हैं, तो जेनेटिक कारणों से बच्चों में भी जोखिम बढ़ जाता है, पर इसका मुख्य कारण अनहेल्दी लाइफस्टाइल है।
बच्चे करते हैं माता-पिता की नकल
चूंकि बच्चे अपने बड़ों को देखकर सीखते हैं, इसलिए पैरेंट्स का रहन-सहन और खानपान उनके व्यवहार में भी झलकता है। यदि माता-पिता जंक फूड खाते हैं, फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते, या मानसिक रूप से तनाव में रहते हैं, तो बच्चे भी उसी रास्ते पर चलने लगते हैं।
पहचानें शुरुआती संकेत
विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ खास लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए जैसे नवजात शिशु दूध पीते वक्त पसीना-पसीना हो जाए या बीच में दूध पीना छोड़ दे – यह हृदय रोग का संकेत हो सकता है। बच्चा दिन में आठ बार पेशाब करता था और अब कम करने लगा है – यह किडनी या मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्या हो सकती है। तेज आवाज पर प्रतिक्रिया न देना – संभव है कि सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है ।
सिर दर्द और रोशनी से चिढ़ – यह माइग्रेन का लक्षण हो सकता है।
अगर बच्चा नाक रगड़ता है और उसके आंखों में सूजन है तो यह यह एलर्जी राइनाइटिस की ओर इशारा करता है। वहीँ अगर आंखों में सफेद धब्बे दिखाई पड़ते है तो यह विटामिन A की कमी दर्शाता है। पेट का उभरा होना, हाथ-पांव पतले होना यह लीवर या सिलियक डिजीज की ओर संकेत कर सकता है।
क्या करें पैरेंट्स?
ऐसे में मातापिता को बच्चों पर विशेष ख्याल रखते हुए संतुलित और पोषणयुक्त आहार देना चाहिये ,जिसमें 60% कार्बोहाइड्रेट, 30% प्रोटीन और 10% हेल्दी फैट्स हों। हफ्ते में एक दिन मनपसंद फूड की अनुमति दें सकते हैं , लेकिन बाकी दिन हेल्दी भोजन सुनिश्चित करें।बच्चों को जितना हो सके स्क्रीन से दूर रखें और आउटडोर गतिविधियों के लिए प्रेरित करें। खुद हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं ताकि बच्चे भी वही आदतें सीखें।अगर आज हम बच्चों की परवरिश में सेहत को प्राथमिकता देंगे, तो कल उनका भविष्य कहीं ज्यादा बेहतर और सुरक्षित होगा।