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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 23 Mar 2025 12:03:35 PM IST
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Life Style: पिछले कुछ वर्षों में शिशुओं को फॉर्मूला मिल्क पिलाने का चलन काफी बढ़ा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फॉर्मूला मिल्क बच्चों की सेहत के लिए कितना सुरक्षित है? हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई फॉर्मूला मिल्क उत्पादों में ऐसे हानिकारक तत्व पाए गए हैं, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
फॉर्मूला मिल्क में पाए गए हानिकारक तत्व
कंज्यूमर रिपोर्ट के अनुसार, लगभग सभी फॉर्मूला मिल्क के सैंपल में पॉलीफ्लोरोएल्काइल (PFAs) पाए गए हैं। कुछ सैंपल में बिस्फेनॉल ए (BPA) और एक्रिलामाइड जैसे केमिकल भी मौजूद थे, जो स्वास्थ्य के लिएखतरनाक माने जाते हैं।
इसके अलावा, कई फॉर्मूला मिल्क उत्पादों में लेड (सीसा) और आर्सेनिक जैसे भारी धातुएं भी पाई गई हैं, जो बच्चों के फेफड़ों और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इससे शिशुओं को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की आशंका बढ़ जाती है।
लेड की मौजूदगी: कितना सुरक्षित है फॉर्मूला मिल्क?
रिपोर्ट के अनुसार, 41 फॉर्मूला मिल्क सैंपल में से 34 में लेड (सीसा) पाया गया। इन सैंपल्स में लेड की मात्रा 1.2 पीपीबी से 4.2 पीपीबी तक थी। हालांकि, किसी भी सैंपल में लेड की मात्रा मानक से अधिक नहीं पाई गई, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, दूध में थोड़ी मात्रा में भी लेडका मौजूद होना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं माना जाता।
फॉर्मूला मिल्क में मौजूद अन्य तत्व
शोध में यह भी सामने आया है कि कई फॉर्मूला मिल्क उत्पादों में सोया प्रोटीन, ताड़ का तेल, भारी धातुएं और कैरेजेनान जैसे तत्व मौजूद होते हैं। ये सभी मिलकर फॉर्मूला मिल्क की गुणवत्ता और सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हैं।
कंपनियों का क्या कहना है?
फॉर्मूला मिल्क बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि वे अपने उत्पादों में जानबूझकर कोई हानिकारक केमिकल नहीं मिलाते। उनका दावा है कि ये तत्व पर्यावरण में पहले से मौजूद होते हैं और खाद्य उत्पादों में मिल सकते हैं।
क्या करें?
अगर आप अपने बच्चे को फॉर्मूला मिल्क पिलाते हैं, तो किसी भी उत्पाद का चयन करने से पहले उसकी सामग्री और गुणवत्ता की जांच जरूर करें। डॉक्टर से सलाह लेना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है, ताकि आपके शिशु की सेहत को कोई नुकसान न पहुंचे।
फॉर्मूला मिल्क का उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन इसमें पाए जाने वाले हानिकारक तत्वों को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है। माता-पिता को चाहिए कि वे जागरूक रहें और अपने बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प चुनें।