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Bihar Election 2025: वादों में महिलाओं की बात, लेकिन टिकट में कमी, 15 साल में सबसे कम चुनावी मैदान में महिला उम्मीदवार; आखिर क्या है वजह?

Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म है। राजनीतिक दलों के बीच घोषणाओं और वादों की झड़ी लगी है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ने अपने-अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं, जिनमें महिला वोटरों को साधने की पूरी कोशिश की गई है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 01 Nov 2025 07:20:41 AM IST

Bihar Election 2025

बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म है। राजनीतिक दलों के बीच घोषणाओं और वादों की झड़ी लगी है। एनडीए (NDA) और महागठबंधन दोनों ने अपने-अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं, जिनमें महिला वोटरों को साधने की पूरी कोशिश की गई है। जहां एक ओर एनडीए ने अपने मैनिफेस्टो में “मिशन करोड़पति” जैसी महत्वाकांक्षी योजना का वादा किया है, जिसके तहत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव ने महिलाओं को 5 साल तक हर महीने 2,500 रुपये देने की बड़ी घोषणा की है। इन घोषणाओं से यह स्पष्ट है कि महिला मतदाता इस बार भी चुनावी समीकरणों का केंद्र बनी हुई हैं।


दिलचस्प बात यह है कि वादों के इस दौर में राजनीतिक दलों ने महिला उम्मीदवारों को टिकट देने के मामले में खास रुचि नहीं दिखाई है। आंकड़े बताते हैं कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में 15 वर्षों में सबसे कम महिला उम्मीदवार मैदान में हैं। कुल 2,615 उम्मीदवारों में से 2,357 पुरुष हैं, जबकि सिर्फ 258 महिलाएं चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रही हैं। यह आंकड़ा राज्य की कुल आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी को देखते हुए बेहद निराशाजनक है।


पार्टीवार नजर डालें तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मात्र 13 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) [JDU] ने भी सिर्फ 13 महिलाओं को मौका दिया है। कांग्रेस पार्टी ने तो इससे भी कम यानी केवल 5 महिलाओं को टिकट दिया है। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 23 महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। स्वतंत्र और नई राजनीतिक ताकतों में जन सुराज पार्टी ने 25 और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने 26 महिला उम्मीदवारों को टिकट देकर थोड़ी सक्रियता दिखाई है। हालांकि, यह संख्या भी राज्य की कुल सीटों की तुलना में बहुत कम है।


पार्टियां विनिंग पोटेंशियल यानी जीतने की संभावना के नाम पर महिला उम्मीदवारों की हिस्सेदारी घटा देती हैं। यही कारण है कि चुनावों में महिलाओं की भागीदारी टिकट वितरण के स्तर पर नहीं बढ़ पा रही। दिलचस्प यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में 370 महिला उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी, जिनमें से 26 महिलाओं ने जीत दर्ज की थी। यह लगभग 7 प्रतिशत की सफलता दर दर्शाता है। वहीं पुरुष उम्मीदवारों की सफलता दर करीब 10 प्रतिशत रही थी। यानी जीत का अंतर बहुत बड़ा नहीं था, फिर भी पार्टियां महिला उम्मीदवारों को सीमित अवसर देती हैं।


चुनावी पर्यवेक्षकों के अनुसार, बिहार की महिलाएं अब सिर्फ मतदाता नहीं रहीं, बल्कि मतनिर्माता बन चुकी हैं। राज्य में महिला वोटिंग प्रतिशत लगातार बढ़ा है। 2020 के चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया था, जिससे यह साबित हुआ कि वे राजनीतिक रूप से अधिक जागरूक हो चुकी हैं। बावजूद इसके, टिकट वितरण में महिलाओं की भागीदारी घट रही है, जो राजनीतिक दलों के दोहरे रवैये को उजागर करता है।


बिहार में इस बार दो चरणों में मतदान होंगे 6 नवंबर और 11 नवंबर को। वहीं मतगणना और नतीजों की घोषणा 14 नवंबर को होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि जिन महिलाओं को इस बार चुनावी मैदान में मौका मिला है, वे अपने प्रदर्शन से क्या संदेश देती हैं। साथ ही यह सवाल भी कायम रहेगा कि जब महिलाएं वोटिंग में बराबर या उससे ज्यादा भागीदारी निभा रही हैं, तो उन्हें टिकट और प्रतिनिधित्व में बराबरी का हक कब मिलेगा।