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किताबें चौकोर ही क्यों होती हैं, गोल या तिकोनी क्यों नहीं? जवाब यहां मिलेगा

हमने किताबों को हमेशा एक जैसे ही देखा है सीधी, चौकोर या आयताकार। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि किताबें गोल, तिकोनी या किसी और अजीब आकार की क्यों नहीं होतीं है?

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 12 Apr 2025 03:43:44 PM IST

Why books are not

किताबों को हमेशा एक जैसे ही देखा है - फ़ोटो GOOGLE

हमने किताबों को हमेशा एक जैसे ही देखा है सीधी, चौकोर या आयताकार। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि किताबें गोल, तिकोनी या किसी और अजीब आकार की क्यों नहीं होतीं है? जब मोबाइल फोन, कारों, फर्नीचर और फैशन में हर दिन नए-नए डिज़ाइन आते हैं, तो किताबों का डिज़ाइन दशकों से एक जैसा क्यों बना हुआ है? आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्या है असली कारण? 


आप अगर सोच रहें होंगे कि इसका जवाब सिर्फ “ट्रेडिशन” नहीं, बल्कि विज्ञान, डिजाइन, उपयोगिता और लागत से जुड़ा हुआ है, तो आप गलत है। आइए जानते हैं इसके पीछे की वो दिलचस्प वजहें, जो शायद ही आपने पहले कभी सुनी हों।



1. स्टोरेज और पोर्टेबिलिटी में आसान

आयताकार या चौकोर किताबों को एक-दूसरे के ऊपर आसानी से रखा जा सकता है, अलमारियों में सजाना आसान होता है और बैग में भी बिना ज्यादा जगह लिए रखी जा सकती हैं। कल्पना कीजिए अगर किताबें गोल होतीं, तो वे बैग में लुढ़कती रहतीं, और तिकोनी किताबों के कोने जल्दी मुड़ जाते। लाइब्रेरी या बुकस्टोर्स के लिए भी आयताकार किताबें स्पेस-इफिशिएंट होती हैं। स्टोरेज और डिस्प्ले के लिहाज़ से यह सबसे आसान और सुव्यवस्थित आकार है।


2. प्रिंटिंग और बाइंडिंग में सरलता

प्रिंटिंग प्रेस में जो पेपर शीट्स इस्तेमाल होते हैं, वे आमतौर पर आयताकार ही होते हैं। उन्हें काटकर और फोल्ड कर के किताब के रूप में लाने का सबसे किफायती और प्रभावी तरीका भी यही है। अगर किताबें गोल या अजीब आकार की हों, तो उन्हें काटना, छापना और बाइंड करना ज्यादा जटिल और महंगा हो जाएगा। प्रोडक्शन की लागत बढ़ेगी, समय ज्यादा लगेगा और कागज की बर्बादी भी होगी। इसलिए प्रकाशकों के लिए चौकोर या आयताकार फॉर्मेट सबसे "कॉस्ट-इफेक्टिव" होता है।


3. पढ़ने में सहूलियत

जब हम पढ़ते हैं, तो हमारी आंखें बाएं से दाएं और ऊपर से नीचे की दिशा में चलती हैं। आयताकार पेज इस नैचुरल रीडिंग पैटर्न के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं। गोल पन्नों पर टेक्स्ट ढालना मुश्किल होता और तिकोनी पेजों में जगह का सही उपयोग नहीं हो पाता। इससे पढ़ने में रुकावट आती।


4. ऐतिहासिक विकास

प्राचीन समय में लोग स्क्रॉल्स यानी लंबे कागज के रोल्स में लिखते थे, जिन्हें बार-बार खोलना और समेटना पड़ता था। यह काफी असुविधाजनक था। किताबों के प्रारंभिक विकास में जब फोल्डेड पन्नों को जोड़कर "कोडेक्स" फॉर्म बनाया गया, तब आयताकार आकार सबसे सहज और मजबूत पाया गया। धीरे-धीरे यह आकार पढ़ने और लिखने की सांस्कृतिक आदत बन गया और आज यह एक मानक फॉर्मेट बन चुका है।


5. क्या दूसरी आकृतियों में किताबें नहीं बनीं?

बिलकुल बनीं! खासकर बच्चों की किताबें, आर्ट बुक्स या गिफ्ट आइटम्स के रूप में गोल, तिकोनी, दिल के आकार या अन्य क्रिएटिव डिजाइनों वाली किताबें प्रकाशित की गई हैं। लेकिन इनका उपयोग और भंडारण (स्टोरेज) काफी असुविधाजनक होता है, इसलिए वे आम किताबों की तरह लोकप्रिय नहीं हो सकीं।


किताबों का चौकोर या आयताकार होना कोई संयोग नहीं, बल्कि सदियों की प्रैक्टिकल समझ, डिजाइन की सहजता, पढ़ने की सहूलियत और प्रोडक्शन की जरूरतों का परिणाम है। आज के दौर में भले ही डिज़ाइन में हजारों एक्सपेरिमेंट हो रहे हों, लेकिन किताबों का यह "क्लासिक फॉर्मेट" अभी भी बेस्ट साबित हो रहा है और शायद आगे भी रहेगा।