ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: बिहार के दो थानेदारों को SSP ने किया लाइन हाजिर, सरकारी काम में लापरवाही पड़ी भारी Bihar News: बिहार के दो थानेदारों को SSP ने किया लाइन हाजिर, सरकारी काम में लापरवाही पड़ी भारी Bihar Police Alert: स्वतंत्रता दिवस और चेहल्लुम को लेकर बिहार में हाई अलर्ट, पुलिस मुख्यालय ने जिलों को जारी किए निर्देश Bihar Police Alert: स्वतंत्रता दिवस और चेहल्लुम को लेकर बिहार में हाई अलर्ट, पुलिस मुख्यालय ने जिलों को जारी किए निर्देश Bihar Crime News: बिहार में बैंक के 251 खातों से 5.58 करोड़ की साइबर ठगी, ईओयू ने दर्ज किया केस Bihar Crime News: बिहार में बैंक के 251 खातों से 5.58 करोड़ की साइबर ठगी, ईओयू ने दर्ज किया केस Bihar Crime News: बिहार के इस जिले में बड़े सेक्स रैकेट का खुलासा, तीन नाबालिग लड़कियां बरामद; भारी मात्रा में मिलीं गर्भ निरोधक गोलियां Bihar Crime News: बिहार के इस जिले में बड़े सेक्स रैकेट का खुलासा, तीन नाबालिग लड़कियां बरामद; भारी मात्रा में मिलीं गर्भ निरोधक गोलियां Bihar Election 2025: कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक की तारीख तय, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के साथ होगी चर्चा Bihar Election 2025: कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक की तारीख तय, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के साथ होगी चर्चा

Life Style: सावन में क्यों नहीं खानी चाहिए कढ़ी और साग? जानिए... सही कारण

Life Style: सावन का महीना शुरू हो चुका है और इस दौरान कुछ पारंपरिक खाद्य पदार्थों जैसे कढ़ी और साग खाने से परहेज की सलाह दी जाती है। यह स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है। जानिए...पूरी खबर.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 11 Jul 2025 03:32:44 PM IST

Life Style

लाइफ स्टाइल - फ़ोटो GOOGLE

Life Style: सावन का पवित्र महीना आज यानी 11 जुलाई 2025 से शुरू हो गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह महीना भगवान शिव की आराधना और आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। शिवभक्त इस पूरे महीने व्रत रखते हैं, मंदिरों में पूजा करते हैं और संयमित जीवनशैली अपनाते हैं। लेकिन धार्मिक महत्व के साथ-साथ यह महीना स्वास्थ्य और खानपान के लिहाज से भी बेहद खास होता है।


सावन में न केवल मांसाहार, प्याज-लहसुन और तामसिक भोजन से परहेज किया जाता है, बल्कि कुछ पारंपरिक भारतीय व्यंजन जैसे कढ़ी और हरी पत्तेदार सब्जियों (साग) को भी खाने से मना किया जाता है। ये सुनने में अजीब लग सकता है क्योंकि कढ़ी-चावल और साग-रोटी भारतीय घरों में बेहद आम हैं। लेकिन इसके पीछे आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हैं।


आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु में शरीर की पाचन अग्नि (डाइजेस्टिव फायर) कमजोर हो जाती है और वात-पित्त दोष अधिक सक्रिय हो जाते हैं। इस स्थिति में अधिक खट्टे, ठंडे और भारी पदार्थों का सेवन अपच, गैस, एसिडिटी और संक्रमण जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।


कढ़ी, जो बेसन और छाछ से बनती है, गर्मी में तो राहत देती है लेकिन बरसात में यह खट्टी, भारी और ठंडी प्रकृति की होती है। सावन के दौरान गायें ताजी हरी घास खाती हैं जिससे दूध और छाछ की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। इससे बनी कढ़ी पचने में मुश्किल होती है और पेट खराब कर सकती है।


वहीं साग जैसे पालक, सरसों, मेथी आदि में फाइबर की मात्रा अधिक होती है और ये भी ठंडी तासीर की मानी जाती हैं। मॉनसून के समय वातावरण में नमी अधिक होने के कारण इनमें बैक्टीरिया और कीटाणु आसानी से पनप सकते हैं। अगर इन्हें ठीक से धोया और पकाया न जाए तो यह फूड पॉइजनिंग या संक्रमण का कारण बन सकते हैं।


सावन के महीने में पचने में हल्के, सात्विक और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए। आयुर्वेद और आधुनिक पोषण विशेषज्ञ भी इस मौसम में कुछ खास चीजों को आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं:


मौसमी फल – जैसे सेब, केला, नाशपाती, अमरूद

उबली और हल्की सब्जियां – जैसे लौकी, परवल, तोरी

साबुत अनाज – जौ, रागी, ओट्स, दलिया

सूखे मेवे और बीज – बादाम, अखरोट, कद्दू के बीज

डेयरी उत्पाद सीमित मात्रा में – दूध, घी

औषधीय पेय – तुलसी-अदरक-हल्दी का काढ़ा, गर्म पानी


हिंदू संस्कृति में सावन संयम, तपस्या और शुद्धता का प्रतीक है। इस महीने को "शिव को समर्पित मास" माना गया है, जिसमें सात्विक भोजन, सरल जीवनशैली और भक्ति की प्रधानता होती है। तामसिक और भारी भोजन, विशेष रूप से ऐसा जो शरीर और मन दोनों पर प्रभाव डालता हो, से दूरी बनाए रखना शुभ माना जाता है।


सावन सिर्फ एक धार्मिक महीना नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, संयम और शुद्धता का भी संदेश देता है। कढ़ी और साग जैसे कुछ लोकप्रिय व्यंजन, जो सामान्य दिनों में लाभकारी माने जाते हैं, सावन में आपके पाचन तंत्र पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं। इसलिए इस मौसम में भोजन का चयन सोच-समझकर करें और शरीर तथा मन दोनों को स्वस्थ रखें।