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1st Bihar Published by: Updated Wed, 24 Jun 2020 02:38:09 PM IST
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DESK : इस बार चातुर्मास एक जुलाई से शुरू होने वाला है. चातुर्मास के दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं. इस बार चातुर्मास एक जुलाई से लेकर 25 नवंबर तक लगने वाला है. लॉकडाउन के कारण पहले ही धार्मिक संस्थानों को बंद करने का आदेश था. शादी विवाह जैसे आयोजनों पर भी पाबंदी थी.
चातुर्मास का क्या है महत्त्व है
इस बार चातुर्मास चार महीने 25 दिन का होने वाला है. माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान देवशयन करते हैं जिस वजह से कोई शुभ कार्य नहीं किये जाते है. इस बार 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक क्वांर के महीने में अधिकमास भी पड़ रहा है. जिस वजह से चातुर्मास के दिनों में 25 दिनों की और वृद्धि हो गई है.
कोरोना वायरस के बाद अब चातुर्मास
बता दें कि कोरोना संक्रमण की वजह से लॉक डाउन के दौरान सभी धर्मों से जुड़े धार्मिक संस्थान को बंद रखने का आदेश था. 1 जून से अनलॉक 1.0 में मंदिरों के पट खुले. मंदिरों के खुलते ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिरों में अपने भगवान के दर्शन को पहुंचने लगे थे. शादी विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश जैसे मंगली कार्यों पर चातुर्मास की वजह से फिर से पाबंदी लग जाएगी.
चातुर्मास के दौरान भले ही हर तरह के शुभ कार्य पर पाबंदी रहती है पर इस दौरान अलग-अलग महीने में कई देवी देवतओं की उपासना किया जाता है.
किन की होती है उपासना
चातुर्मास के चार महीने हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र माने जाते हैं. आषाढ़ महीने के अंतिम समय में भगवान वामन और गुरु पूजा का विशेष महत्व होता है. सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना होती है और उनकी कृपा सरलता से मिलती है. भाद्रपद के महीने में भगवान कृष्ण का जन्म होता है और उनकी उपासना करने वाले भक्तों पर उनकी कृपा बरसती है. आश्विन के महीने में देवी शक्ति की उपासना की जाती है. कार्तिक के महीने में पुनः भगवान विष्णु का जागरण होता है और सृष्टि में मंगल कार्य आरम्भ हो जाते हैं.