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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 27 Apr 2023 12:37:51 PM IST
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PATNA : 5 दिसंबर 1994 और दिन सोमवार बिहार में ठंड की दस्तक हो गई थी, लेकिन उस दिन एक घटना में पुरे राज्य के माहौल को गर्म कर दिया था। यह कांड इतना बड़ा था कि, इसको लेकर दिल्ली तक सन्नाटा छा गया। दरअसल, इस दिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की गाड़ी से कुचलकर हत्या कर दी गयी। वहीं, इस पुरे घटना को लेकर अब डीएम के ड्राइवर ने बड़ा खुलासा किया है।
गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया के ड्राइवर ने बताया कि, 5 दिसंबर 1994 सोमवार को हमलोग हाजीपुर से वापस गोपालगंज आ रहे थे मुजफ्फरपुर के रास्ते उसी दौरान जीरो माइल के पास पहुंचे तो कुछ लोगों द्वारा जुलूस निकाला गया था। यह किसका जुलुस था उस समय हमें मालूम नहीं था। हमलोग अपनी गाड़ी को साइड कर निकल रहे थे उसी समय प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों ने गाड़ी को घेरना शुरू कर दिया।
उसके बाद डीएम के बॉडी गॉर्ड को गाड़ी के नीचे उतारकर गाड़ी पर हमला कर दिया गया। इस दौरान हम गाड़ी लेकर वहां से किसी तरह भागे। उसके बाद डीएम ने अपने ड्राइवर को यह आदेश दिया कि, आप गाड़ी रोकिए। हमारा बॉडी गार्ड छुट गया और उनको लोग पिट रहे हैं।उसके बाद जी. कृष्णैया विरोध कर रहे लोगों के बिच गए तो उन्हें घेर लिया गया। इस दौरान उन्होंने बताया भी कि मैं यहां का नहीं बल्कि गोपालगंज का डीएम हूं इसके बाबजूद हमला कर रहे लोगों द्वारा डीएम पर हमला कर दिया गया। उनके साथ काफी मारपीट की गई। जिसके बाद जब विरोध शांत हुआ तो डीएम एक खाई में गिरे हुए थे उसके बाद हम उनको किसी तरह अस्पताल लेकर गए जहां इलाज के दौरान साहब की मौत हो गयी।
इतना ही नहीं, कृष्णैया किसी भी तरह जिंदा न बचे, इसके लिए छोटन के भाई भुटकुन डीएम पर फायरिंग भी करता है. इस घटना के बाद पूरे देश में हंगामा मच जाता है। वहीं घटना स्थल से 50 किमी दूर से आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद को गिरफ्तार किया गया। पुलिस चार्जशीट में आनंद मोहन, लवली आनंद, भुटकुन शुक्ला, मुन्ना शुक्ला को आरोपी बनाया गया।
आपको बताते चलें कि, जी कृष्णैया हत्याकांड 29 साल बाद एक बार फिर सियासी सुर्खियों में है। इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी आनंद मोहन को जेल से हमेशा के लिए रिहा कर दिया गया है। 10 अप्रैल 2023 को जेल मैनुअल से ‘काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या’ अंश को हटा दिया गया। इसी से आनंद मोहन या उनके जैसे अन्य कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हुआ। इससे पहले 26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 481(i) (क) में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था। नियम के मुताबिक ऐसे मामले में सजा पाए कैदी की रिहाई नहीं होगी और वह सारी उम्र जेल में ही रहेगा।