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1st Bihar Published by: Updated Fri, 12 Jun 2020 07:16:36 PM IST
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DESK : अगर आप खाने के शौक़ीन हैं, तो आपको ये खबर हैरान कर सकती है. रोटी और पराठे में कितना अंतर हो सकता है. इस बात का भी आज निर्णय लगभग हो ही गया है. दोनों सिर्फ देखने या स्वाद में ही अलग नहीं है, बल्कि अब जीएसटी टैक्स में भी इनको अलग-अलग रखने का फैसला किया गया है. अब रोटी पर 5% और पराठा पर 18% GST लगेगा.
इस खबर के आने के बाद लोग सोशल मीडिया पर जमकर मजे ले रहे हैं. आमतौर पर हम पराठे को रोटी का ही एक प्रकार मानते हैं लेकिन अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) की कर्नाटक बेंच ने इसकी अलग ही व्याख्या की है. जीएसटी का नियमन करते हुए अथॉरिटी ने पराठे को 18 प्रतिशत के स्लैब में रखा है. मतलब यह कि भोजनालयों में रोटी पर लगने वाला जीएसटी 5 फीसदी होगा लेकिन पराठे पर 18 फीसदी का टैक्स देना होगा. हालांकि एएआर ने आवेदक के दृष्टिकोण पर आपत्ति जताई है.
दरअसल, एक प्राइवेट फूड मैनुफैक्चरिंग कंपनी ने यह अपील की थी कि पराठा को खाखरा, प्लेन चपाती या रोटी की कैटिगरी में रखा जाना चाहिए लेकिन एएआर ने इससे काफी जुदा राय रखी है. एएआर पराठा को 1905 के अंतर्गत वर्गीकृत नहीं कर सकती इसलिए यह जीएसटी की 99ए एंट्री के तहत भी नहीं आएगा. गौरतलब है कि जीएसटी अधिसूचना के शेड्यूल 1 की एंट्री 99ए के तहत रोटियों को 5 प्रतिशत के स्लैब में रखा गया है.
इस बारे में एक याचिका दायर कर मांग की गई थी कि मालाबार पराठे को ‘खाखरा, चपाती या रोटी’ की श्रेणी में घोषित किया जाए. लेकिन अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स (कर्नाटक पीठ) ने याचिकाकर्ता की इस मांग को खारिज कर दिया. जीएसटी नोटिफिकेशन के शेड्यूल 1, एंट्री 99 ए के तहत रोटी पर पांच फीसदी की दर से जीएसटी लगता है.
एएआर के इस फैसले पर उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने भी चुटकी ली है. महिंद्रा ने ट्वीट कर कहा है कि देश में अन्य चुनौतियों की तरह अगर पराठा के अस्तित्व के संकट को लेकर हम परेशान होते हैं तो आप हैरान हो सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि भारतीय जुगाड़ कौशल से 'परोटीस' (पराठा+रोटी) की नई नस्ल तैयार होगी जो किसी भी वर्गीकरण को चुनौती देगी.