SAHARSA: नियमों में फेरबदल कर रिहा किये आनंद मोहन ने क्या नीतीश के एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है. दरअसल, आनंद मोहन ने सभा कर बीजेपी पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. ऐसी ही एक सभा में आनंद मोहन ने खुद को हाथी बताते हुए कहा कि वो कमल को रौंद देंगे-फाड़ देंगे. आनंद मोहन ने तत्कालीन डीएम जी.कृष्णैया की पत्नी पर इशारों में हमला बोला. कहा-मुझे आंध्र प्रदेश से सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है.
बाहुबली आनंद मोहन ने शुक्रवार की शाम सहरसा के महिषी में अपनी जाति के लोगों की एक सभा को संबोधित किया. सहरसा के महिषी विधानसभा क्षेत्र के महपुरा गांव में राजपूत जाति से आने वाले पूर्व मुखिया स्व. इंद्रदेव सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया. इसके बाद सभा को संबोधित करते हुए आनंद मोहन ने भाजपा पर हमला बोला. आनंद मोहन ने कहा-भाजपा वाले मेरी रिहाई से बहुत परेशान हैं. उन्हें डर है कि ये हाथी (खुद की ओर इशारा करते हुए) उनके कमल दल को रौंदेगा और फाड़ देगा.
आंध्रप्रदेश से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं
आनंद मोहन की रिहाई के बाद देश भर में सवाल उठ रहे हैं. आनंद मोहन के हाथों मारे गये पूर्व डीएम जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया भी उनकी रिहाई को दलित और समाज विरोधी कदम बता रही हैं. उमा कृष्णैया आंध्र प्रदेश में रह रही हैं. आनंद मोहन ने इस कार्यक्रम में कहा कि उन्हें दलित विरोधी कहा जा रहा है. लेकिन उन्हें दिल्ली, यूपी या आंध्र प्रदेश से चरित्र प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता नहीं है. यह बिहार है जो सब कुछ तय करेगा. दरअसल यूपी से उनका मतलब मायावती से था जो आनंद मोहन की रिहाई का विरोध कर रही हैं.
जेडीयू के साथ दिखायी एकजुटता
इस कार्यक्रम में आनंद मोहन ने जेडीयू के साथ अपनी एकजुटता दिखायी. कार्यक्रम में जेडीयू के स्थानीय सांसद दिनेश चंद्र यादव के साथ साथ जेडीयू के पूर्व विधायक अरूण कुमार समेत जेडीयू के कई औऱ नेता मौजूद थे. सांसद दिनेश यादव ने भी मंच से आनंद मोहन की जमकर तारीफ की.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है आनंद मोहन की रिहाई का मामला
बता दें कि आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ स्व. जी. कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा रखी है. 19 मई को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. जिस दिन आनंद मोदन के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई उसी दिन आनंद मोहन भाजपा को रौंदने-फाड़ने की चेतावनी दे रहे थे. वैसे, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि वह मोहन को छूट देने के 24 अप्रैल के विवादास्पद फैसले से संबंधित फाइलें पेश करे. कोर्ट ने इस मामले का राजनीतिकरण करने या इसे जाति का मुद्दा बनाने को लेकर भी आगाह किया है.