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आनंद मोहन पर विवाद बढा: जी.कृष्णैया की पत्नी ने पूछा-क्या यही इंसाफ है नीतीश जी? आनंद मोहन को रिहाई नहीं फांसी दीजिये, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 25 Apr 2023 05:44:35 PM IST

आनंद मोहन पर विवाद बढा: जी.कृष्णैया की पत्नी ने पूछा-क्या यही इंसाफ है नीतीश जी?  आनंद मोहन को रिहाई नहीं फांसी दीजिये, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी

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PATNA: डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के दोषी बाहुबली नेता आनंद मोहन को जेल से रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर विवाद बढ़ता जा रहा है. अब स्व. जी. कृष्णैया की पत्नी औऱ बेटी मीडिया के सामने आयी हैं. उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछा है-क्या यही इंसाफ है कि एक दलित और इमानदार अफसर के हत्यारे को जेल से छोड़ा जा रहा है. क्या जी. कृष्णैया का कसूर यही था कि वे बिहार में काम करने गये थे. दिवंगत डीएम की पत्नी ने कहा है कि वे बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने पर विचार कर रही हैं. 


जी.कृष्णैया की पत्नी टी. उमा देवी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नीतीश जी को अच्छा लोग नहीं मिला होगा इसलिए क्रिमिनल आनंद मोहन को रिहा कर रहे हैं. ऐसा आदमी जेल से  छूट गया तो सारे क्रिमिनल को बढ़ावा मिलेगा. मेरे पति के हत्यारे को फांसी होनी चाहिये या उसको जिंदगी भर जेल में रहना चाहिये. उमा देवी ने नीतीश कुमार से कहा है-क्या यही इंसाफ है, केवल अपनी राजनीति मत सोचिये, पब्लिक के बारे में सोचिये. अपनी सरकार को बनाने के लिए आप अपराधियों को जेल से छोड़ रहे हैं.


सुप्रीम कोर्ट जायेंगी

टी. उमा देवी ने कहा कि बिहार सरकार के फैसले से आईएएस अधिकारियों में भी काफी नाराजगी है. 1985 बैच के आईएएस अधिकारियों ने आपस में बात की है. उसके बाद उन्होंने उमा देवी से भी संपर्क किया है. उमा देवी ने कहा कि वे अकेले लड़ने में सक्षम नहीं हैं लेकिन अगर साथ देने वाले मिलेंगे तो वह सुप्रीम कोर्ट भी जायेंगी. सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगायेंगी कि पति के हत्यारे को जेल से नहीं छोड़ा जाये. उमा देवी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से भी हस्तक्षेप करने की गुहार लगा रही हैं और उनसे मांग कर रही हैं कि आनंद मोहन को रिहा होने से रोका जाये. 


राजपूत समाज से भी सवाल

जी. कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने कहा कि ऐसी चर्चा हो रही है कि राजपूत समाज का वोट लेने के लिए आनंद मोहन को छोडा जा रहा है. मैं राजपूत समाज से पूछना चाहती हूं कि क्या उन्हें ऐसे अपराधी का समर्थन करना चाहिये. क्या उन्हें अपने समाज के अच्छे लोगों के बजाय बुरे लोगों के समर्थन में आगे आना चाहिये. 


जी. कृष्णैया की बेटी जी. पद्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नीतीश कुमार की सरकार ऐसा करेगी ये हमने सोचा तक नहीं था. ये बहुत ही ज्यादा गलत हो रहा है. मेरे पिता इतना अच्छा काम कर रहे थे कि लोग आज भी उनकी चर्चा करते हैं. उनका मर्डर करने वाले को क्यों जेल से छोडा जा रहा है. 


वैसे हम आपको बताते हैं कि ये घटना कब और कैसे हुई थी. ये वाकया 5 दिसंबर, 1994 की है.  बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में भीड़ ने एक डीएम को गाड़ी से खींचा और गोली मारकर हत्या कर दी. वे गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया थे. दरअसल मामले की शुरूआत 4 दिसंबर को मुजफ्फरपुर के डॉन माने जाने वाले छोटन शुक्ला की हत्या से हुई थी. छोटन शुक्ला आनंद मोहन की पार्टी बिहार पीपुल्स पार्टी के नेता थे. आनंद मोहन के नेतृत्व में उनके समर्थकों ने छोटन शुक्ला के शव के साथ जुलूस निकाला था. 


इसी दौरान नेशनल हाइवे से जी. कृष्णैया पटना से गोपालगंज लौट रहे थे. मुजफ्फरपुर के खबडा गांव के पास उन्हें गाड़ी से खींच कर मारा डाला गया था. जी. कृष्णैया के सिर में गोली भी मारी गयी थी. दिनदहाड़े सरेआम एक सरकारी अधिकारी की मॉब लिंचिंग ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी. बिहार पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज किया था जिसमें आनंद मोहन, उनकी पत्नी लवली आनंद,  छोटन शुक्ला के भाई मुन्ना शुक्ला, अखलाक अहमद और अरुण कुमार को लोअर कोर्ट में फांसी की सजा सुनाई गई. बाद में पटना हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया. 2008 में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने दूसरे आरोपियों को बरी कर दिया, लेकिन आनंद मोहन को राहत नहीं मिली.  अब नीतीश सरकार ने आनंद मोहन को जेल से रिहा करने का फैसला लिया था.