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1st Bihar Published by: MANTU BHAGAT Updated Wed, 10 May 2023 09:21:57 PM IST
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ARARIA: अररिया के फारबिसगंज स्थित फैंसी मार्केट में वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस कार्यक्रम ने अचानक राजनितिक रुख ले लिया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर आनंद मोहन सिंह और लवली आनंद शामिल हुए। मंच पर राजद कोटे से आपदा मंत्री शहनावाज आलम समेत कई राजद नेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी।
इस कार्यक्रम में अररिया से भाजपा सांसद प्रदीप सिंह और भाजपा विधायक मंचन केसरी को भी अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था लेकिन भाजपा सांसद इस कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया और मंच साझा किए बगैर ही चलते बने। वहीं फारबिसगंज में आयोजित इस कार्यक्रम में बाहुबली आनंद मोहन सिंह और लवली आनंद ने आईएएस अफसर जी कृष्णया की पत्नी से सच्चाई जानने की गुजारिश की और कहा कि वो राजनितिक हथकंडे की शिकार हो रहीं हैं।
आनंद मोहन सिंह की पत्नी लवली आनंद ने मंच से कहा कि जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया जी को 29 साल में एक बार देखना चाहिए था कि मुजफ्फरपुर में घटना कैसे हुई थी? उनके ड्राइवर और बॉडीगार्ड से यह पता लगाना चाहिए था कि आखिर क्या बात हुई थी? किस तरह से यह घटना हुई थी? लवली आनंद ने कहा कि उमा कृष्णैया को लोग मुखौटा बना रहा है।
वही आनंद मोहन ने मंच से कहा कि अब इतना जलील मुझे मत करो इतना अपमानित ना करो। झूठे आरोप मत लगाओं बेहतर है कि सुली पर चढ़ा दो और मुझे गोली से उड़ा दो आनंद मोहन उफ तक नहीं करेगा उसे स्वीकार लेगा। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी अदालत ईश्वर की अदालत है। 16 बरस जिये सियार..18 बरस क्षत्रिय जिये बाकि जीवन को है धिक्कार...आनंद मोहन ने कहा कि अब मुझे किसी तरह की लालसा नहीं है। यदि दोषी हूं तो फांसी दे दो .. वही आईएएस एसोसिएशन पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग खुद को विशिष्ट प्राणी और विशिष्ट जंतु समझते हैं। संविधान में दंड का विधान सबके लिए बराबर है। यही संविधान की मूल आत्मा है।
आनंद मोहन ने कहा कि यदि हम दोषी है तो फांसी दे दो। फांसी की सजा यदि दे दिये होते तो आनंद मोहन हंसते-हंसते स्वीकार लेता लेकिन हर पल जलील करना हर पल अपमानित करना यह गवारा नहीं है। बेहतर है कि सुली पर मुझे चढ़ा दो या तो गोली से उड़ा दो। आनंद मोहन यदि दोषी होगा तो उसे हंसते-हंसते स्वीकार लेगा। उन्होंने कहा कि हम दया और सहानुभूति के पात्र नहीं है। या तो लोग हमसे नफरत करते हैं नहीं तो प्यार करते हैं।
उन्होंने कहा कि एक ईमानदार अफसर जी कृष्णैया की हत्या हुई थी। साढ़े तीन हजार लोगों की भीड़ पर आरोप लगा था। 34 के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज हुआ था। 27 लोग निचली अदालत से छूट गये थे। उसके बाद सात लोगों को सजा हुई थी। तीन लोगों को फांसी की सजा और 4 लोगों को आजीवन कारावास सजा हुई थी। जिसमें आनंद मोहन, लवली आनंद, अखलाख अहमद, अरुण कुमार, शशि ठाकुर, हरेन्द्र कुमार, मुन्ना शुक्ला सहित सात लोग शामिल थे। सात लोगों में छह लोग छूट गये थे ।
आनंद मोहन ने कहा कि साढ़े तीन हजार की भीड़ को उकसाने और भड़काऊ भाषण का आरोप लगाकर आनंद मोहन को 15 साल के लिए पैक कर दिया गया लेकिन आनंद मोहन ने उफ तक नहीं किया। इसलिए कि हमने लोकतंत्र के लिए कुर्बानी दी। हम माननीय सदस्य रहे हैं कानून हम और लवली आनंद बनाते रहे हैं जो कानून बनाया उससे मुंह फेरना मर्द का काम नहीं है।