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1st Bihar Published by: Updated Sun, 26 Apr 2020 06:22:17 AM IST
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PATNA : कोरोना महामारी ने आर्थिक मोर्चे पर सबके सामने मुश्किलें खड़ा करना शुरू कर दिया है। बिहार में बिजली कंपनियों में कार्यरत कर्मियों के वेतन और पेंशन पर संकट खड़ा हो गया है। जो बिजली कंपनी हर महीने करोड़ों की आमदनी करती थी वह फिलहाल कोरोना महामारी में आर्थिक संकट से जूझ रही है। बिहार में बिजली की आपूर्ति लॉकडाउन के बीच भी बदस्तूर जारी है लेकिन बिल की वसूली नहीं हो पा रही है।
लॉकडाउन में बिजली बिल की वसूली पर असर पड़ा है लिहाजा बिजली कंपनियों के सामने अब नई समस्या आ गई है। बिजली बिल माध्यम से आने वाला पैसा इस कदर कम हुआ है कि 20 हजार से ज्यादा बिजली कर्मियों का वेतन और पेंशन भी संकट के दायरे में आ गया है। आपको बता दें कि बिहार में घरेलू उपयोग के लिए बिजली की खपत सबसे ज्यादा है और यही वजह है कि लॉकडाउन में भी चार हजार मेगावाट से अधिक बिजली की खपत रोज हो रही है। बिहार में बिजली की कीमत तकरीबन ₹7 प्रति यूनिट है लेकिन सब्सिडी होने के कारण ₹4 की ही वसूली की जाती है। राज्य सरकार को भी इस सब्सिडी के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है।
बिजली कंपनी को हर माह औसतन 700 से 800 करोड़ रुपये बिल के जरिए मिलती है। सबसे अहम बात यह है कि वित्तीय वर्ष के आखिर में यह राशि बढ़कर तकरीबन 1500 करोड़ तक के चली जाती है लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण मार्च के महीने में बिजली बिल से होने वाली आमदनी आधी हो गई। बिजली कंपनियों को 400 करोड़ वेतन और पेंशन के ऊपर हर महीने खर्च करना पड़ता है। आपको बता दें की महामारी के कारण बिजली कंपनी मीटर रीडिंग भी नहीं करा पा रही है। उपभोक्ताओं को एवरेज बिल भेजा जा रहा है और बिजली कंपनियों ने यह भी राहत दे रखी है कि बिल का भुगतान नहीं होने के बावजूद कनेक्शन नहीं काटा जाएगा। इसका असर यह हुआ है कि लोग बिजली बिल जमा करने से परहेज कर रहे हैं और कंपनियां मुसीबत में हैं।