Bihar News: शराब तस्कर को पकड़ने जा रही उत्पाद विभाग की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त, SI सहित 4 घायल Bihar Crime News: बेगूसराय में पत्नी के सामने पति की हत्या, आक्रोशित परिजन पुलिस पर हुए हमलावर Bihar Weather: बिहार के कई जिलों में आज बारिश की चेतावनी, बाकियों में उमस और गर्मी का रहेगा प्रकोप कौन बनेगा देश का अगला उपराष्ट्रपति? अचानक.. रामनाथ ठाकुर के नाम की चर्चा की वजह जानिए नीतीश के खास व शिक्षा विभाग के ACS एस. सिद्धार्थ ने दिया इस्तीफा....वजह क्या है जान लीजिए.... BIHAR: आर्थिक तंगी और ग्रुप लोन के बोझ के चलते महिला ने उठा लिया बड़ा कदम, बेटे और बेटी के साथ गले में लगाया फंदा, मौके पर ही मां-बेटी की मौत BIHAR: बच्चों से काम करवाने वाले हो जाए सावधान, पकड़े जाने पर 2 साल की सजा BIHAR: बच्चों से काम करवाने वाले हो जाए सावधान, पकड़े जाने पर 2 साल की सजा देवरिया से सुल्तानगंज जा रहे कांवरियों की गाड़ी को टैंकर ने मारी टक्कर, दो की हालत गंभीर खगड़िया में बड़ा हादसा: नहाने के दौरान चार स्कूली बच्चे गहरे पानी में डूबे, रेस्क्यू जारी
1st Bihar Published by: Updated Tue, 31 May 2022 08:40:25 AM IST
- फ़ोटो
PATNA: बिहार में शराबबंदी कानून लागु होने के बाद भी शराब पिने वालों और बेचने वालों की कमी नहीं है। राज्य के तीन जिलों में अफीम की खेती चोरी-छुपे की जा रही है। आर्थिक अपराध इकाई के स्तर से तीन प्रभावित जिले जिसमें गया, औरंगाबाद और जमुई शामिल है। ऐसे में पहले से चौकसी बरतने की वजह से इस बार इसकी खेती पर पूरी तरह से नकेल कसी जाएगी।
दिसंबर से मार्च के बीच होती है खेती
बताया जाता है कि पिछले साल दो जिले औरंगाबाद और जमुई में अफीम की खेती पर कुछ हद तक नियंत्रित हुई, लेकिन गया के बाराचट्टी और धनगई इलाकों में अफीम की खेती घने जंगल वाले इलाकों की गई। इसकी खेती मुख्य रूप से दिसंबर से मार्च के बीच की जाती है। बरसात का मौसम आते ही इसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है। गये जिले को खासतौर से चौकसी बरतने का निर्देश दिया गया है। पिछले तीन सालों में सबसे अधिक गया जिले के इन दोनों इलाकों से अफीम की फसल नष्ट किया गया है।
620 एकड़ अफीम की फसल नष्ट
साल 2019-20 में 470 एकड़, 2020-21 में 584 एकड़ और 2021-22 में 620 एकड़ अफीम की फसल खेतों में जाकर प्रशासन ने नष्ट किया है। इस अभियान में सीआरपीएफ का विशेष भूमिका होता है। अफीम की फसलें घने और सुनसान जंगलों के बीच की जाती है। गया के इन इलाकों में इसे नक्सली भी संरक्षण दिया करते हैं। नक्सलियों की आर्थिक स्थिति को सहारा देने में अफीम की खेती की भूमिका बेहद अहम है। ऐसे में इन फसलों को नष्ट करने पर नक्सलियों की ओपियम इकोनॉमी भी नष्ट हो जाती है। लेकिन इस बार पुलिस मुख्यालय के स्तर से अफीम की खेती पर पहले से ही नकेल कसने की तयारी कर रही है। ताकि इसकी शुरुआत ही न हो पाए।