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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 19 Apr 2023 09:30:48 AM IST
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PATNA : अगले दो सालों में दो चुनाव होने हैं। पहला लोकसभा तो दूसरा विधानसभा चुनाव। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस चुनाव की तैयारियों में जुटी बिहार की राजनीतिक पार्टियों के पास उनकी माली हालत क्या है ? इन दलों के खाते में कितने रुपए जमा हैं और बिहार में सबसे अधिक पैसों वाली पार्टी कौन हैं ? अब इन तमाम सवालों का जवाब सामने आ गया है। इस जवाब के अनुसार बिहार की सबसे धनवान पार्टी बिहार के मुख्यमंत्री की पार्टी जेडीयू है। जबकि बिहार में मेंबर के हिसाब से सबसे बड़ी पार्टी राजद की माली हालत बेहद खराब है। जबकि देश की सबसे आमिर पार्टी कही जाने वाली भाजपा के बिहार के खाते में महज 51 लाख है।
दरअसल, बिहार की चार प्रमुख पार्टियों की आमदनी और खर्च के हिसाब जारी किए गए हैं। इसके मुताबिक जेडीयू बैंक बैलेंस के हिसाब से नंबर वन पर बना हुआ है। हालांकि, यह चंदा के बूते बनी हैसियत है। जबकि बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राजद की आर्थिक स्थिति खराब है। पार्टी नेतृत्व भी ईडी-सीबीआई जांच में घिरा है। पार्टी का बैंक बैलेंस पूछने पर कोषाध्यक्ष बताते है -’शून्य बटा सन्नाटा।’ वहीं, भाजपा भले देश की सबसे अमीर पार्टी है। खाते में 752 करोड़ हैं। बीजेपी की बिहार इकाई के बैंक में अभी सिर्फ 51 लाख हैं। जबकि देश की दूसरी ज्यादा पैसे वाली पार्टी कांग्रेस की बिहार इकाई के नेता रुपए के लिए दिल्ली की राह ताकते रहते हैं। इसके साथ ही कम्युनिस्ट पार्टियां तो अपने खर्च के लिए अपने विधायकों का वेतन ले लेती हैं।
बताया जा रहा है कि, जदयू ने जनवरी 2022 के आखिरी हफ्ते में ‘स्वैच्छिक सहयोग राशि संग्रह’ अभियान शुरू किया। 71 करोड़ आए। हालांकि, पार्टी ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। चुनाव आयोग, एडीआर के अनुसार, 2020-21 में जदयू को कुल 65.31 करोड़ मिले थे। पार्टी के 76 लाख से ज्यादा सदस्य हैं। इनके मेंबरशिप (प्रति 5 रुपया) का रुपया खाते में है। पार्टी, अपने विधायकों से हर महीने 500 रुपया लेती है। वहीं, बिहार भाजपा के खाते में 51 लाख है। ‘आजीवन सहयोग निधि’ के सदस्य चंदा देते हैं। कोषाध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बताया-’ किसी तरह काम चल जाता है। 1 करोड़ सदस्यों का सदस्यता शुल्क (5-5 रुपया) सुरक्षित है।’ विधायक व विधान पार्षद से 6 हजार व सांसद से 10 हजार लिया जाता है। अब इसे बढ़ाकर इनसे क्रमश: 10 और 25 हजार रुपए लेने की बात है।
जबकि राजद के तरफ से पार्टी कोषाध्यक्ष का कहना है कि, पार्टी का बैंक बैलेंस 0/0 सा है। सिर्फ 1 करोड़ सदस्यों के मेंबरशिप का 10-10 रुपया खाते में है। रूटीन खर्च बहुत दिक्कत से पूरा होता है। चंदा की बड़ी रकम नहीं मिलती। 79 विधायक, 14 एमएलसी हैं। इनसे हर माह 10-10 हजार लिया जाता है। इसी से रूटीन खर्च चलता है।’ 2019-20 राजद पर 3.24 करोड़ की लायबलिटी रही है।
इसके आलावा बिहार कांग्रेस का 1.55 करोड़ बैंक में फिक्स है। इसका सूद, रूटीन खर्च में मददगार है। यहां 35 स्टाफ हैं। इनके वेतन पर हर माह करीब 4 लाख रुपए खर्च होता है। विधायकों से पैसा लिया जाता है। 28 लाख नए मेंबर बने हैं। मेंबरशिप का 5-5 रुपया बैंक में है। सबसे बड़ी बात है कि, पार्टी को बिहार में चंदा नहीं मिलता। बीच-बीच में दिल्ली से पैसा आता है।