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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 07 May 2024 08:13:05 AM IST
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PATNA : असम के कोकराझार क्षेत्र से मौजूदा सांसद नबा कुमार सरानिया ने बिहार की वाल्मीकिनगर सीट से नामांकन कर दिया है. सरानिया ने सोमवार को वाल्मीकिनगर से पर्चा भरा है. असम से वाल्मीकिनगर पहुँचे सरानिया को लेकर कई तरह की चर्चा हो रही है.
सरानिया ने अपनी खुद की पार्टी बना रखी है. उन्होंने अपनी गण सुरक्षा पार्टी (जीएसपी) के उम्मीदवार के तौर पर वाल्मीकिनगर क्षेत्र से नामांकन किया है. नबा कुमार सरानिया असम की कोकराझार सीट से 2014 से ही सांसद है. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी. वे असम में सबसे ज्यादा वोट से चुनाव जीते थे. इसी सीट से उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल की थी. उसके बाद उन्होंने अपनी अलग गण सुरक्षा पार्टी बनाई.
असम में नामांकन रद्द हुआ
असम के कोकराझार सीट पर तीसरे चरण में वोटिंग हो रही है. ये सीट अनुसूचित जनजाति यानि ST के लिए रिजर्व है. नबा कुमार सरानिया ने इस चुनाव में भी कोकराझार सीट से नामांकन किया था लेकिन गलत जाति प्रमाण पत्र देने के आरोप में उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था. कोकराझार के रिटर्निंग ऑफिसर प्रदीप कुमार द्विवेदी ने मीडिया को बताया था कि सरानिया ने कोकराझार सीट से बोरो-कछारी समुदाय का प्रमाण पत्र पेश करके 2019 का लोकसभा चुनाव जीता था. उनके जाति प्रमाणपत्र को हाल ही में राज्य-स्तरीय जांच समिति ने रद्द कर दिया था. इस चुनाव में उन्होंने 18 नवंबर, 1986 को ऑल असम ट्राइबल संघ द्वारा जारी एक प्रमाण पत्र जमा करके खुद को रावा समुदाय के सदस्य के रूप में बताते हुए अपना नामांकन दाखिल किया था.
रिटर्निंग ऑफिसर ने कहा कि एक ही व्यक्ति दो अलग-अलग समुदायों से संबंधित नहीं हो सकता है। साथ ही अलग-अलग समुदायों के दो एसटी प्रमाणपत्र नहीं रख सकता है. लिहाजा उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था.
उल्फा के कमांडर रहे हैं
नबा कुमार सरनीया प्रतिबंधित संगठन उल्फा से लंबे समय तक जुड़े थे और उन्हें खतरनाक उग्रवादी माना जाता था. उन्हें असम के सबसे दुर्दांत आतंकवादियों में से एक माना जाता थ.1990 में वह मुख्यधारा में लौट आए. कुख्यात उल्फा उग्रवादी रहे नबा कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी. 2019 में भी वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे और उन्हें भारी मतों से विजय प्राप्त हुई थी. वे वह कोकराझार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय हैं. असम में लोकसभा चुनाव में उनके अलावा किसी दूसरे निर्दलीय प्रत्याशी ने कभी भी तीन लाख से भी ज्यादा मतों के भारी अंतर से चुनाव नहीं जीता था.