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1st Bihar Published by: Updated Tue, 02 Feb 2021 07:16:49 PM IST
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PATNA : बिहार में अगर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया या सड़क जाम किया तो फिर आप न सरकारी नौकरी करने लायक रह जायेंगे और ना ही कोई ठेका-पट्टा लेने लायक. बिहार सरकार ने ये नया फरमान जारी किया है. नीतीश सरकार ने ये तय किया है कि बिहार में नौकरी या ठेकेदारी उसी को मिलेगी जिसे पुलिस ने चरित्र प्रमाण जारी किया होगा. सरकार के खिलाफ जिसने विरोध प्रदर्शन या सड़क जाम किया होगा और ये बात पुलिस रिकार्ड में होगी तो फिर अच्छे चरित्र का प्रमाण पत्र नहीं नहीं मिलेगा. बिहार के डीजीपी ने आज चरित्र का सर्टिफिकेट जारी करने का लंबा दिशा निर्देश जारी कर दिया है. कुछ दिनों पहले सरकार ने सोशल मीडिया पर लिखने वालों के खिलाफ निर्देश जारी किया था.
सरकार के खिलाफ आंदोलन मना है
बिहार के डीजीपी एस के सिंघल ने अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को लंबा पत्र लिख कर चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने का दिशा निर्देश दिया है. उस पत्र में मोटे अक्षरों में लिखे गये इस पाराग्राफ को पढ़िये “यदि कोई व्यक्ति विधि-व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम, इत्यादि मामलों में संलिप्त होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोप पत्रित किया जाता है तो उनके संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से प्रविष्टि की जाये. ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि उन्हें सरकारी नौकरी/ठेके आदि नहीं मिल पायेंगे.”
बिहार के डीजीपी के पत्र के इस पाराग्राफ को पढ़ने के बाद आपको ढ़ेर सारी बातें समझ में आ गयी होंगी. विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम सरकारी सिस्टम के खिलाफ ही होते हैं. अगर कोई उसमें शामिल हुआ तो सरकार उसे गंभीर सजा देगी. बिहार के डीजीपी ने बिना लाग लपेट के ये बात कह दी है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल नीतीश सरकार ने पिछले 25 जनवरी को एक आदेश जारी किया था. गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की ओर से जारी पत्र में कहा गया था कि बिहार में सरकारी ठेके उन्हीं व्यक्तियों को दिया जाये जिनका चरित्र स्वच्छ हो. ठेकेदार और उनके कर्मचारियों का चरित्र स्वच्छ होने का प्रमाण पत्र पुलिस जारी करेगी. पुलिस का चरित्र प्रमाण पत्र देने पर ही किसी भी ठेकेदार को राज्य सरकार का ठेका मिल सकेगा.
गृह विभाग के उसी पत्र के आलोक में बिहार के डीजीपी ने आज अपने अधीनस्थों को ये दिशा निर्देश जारी किया कि उन्हें चरित्र प्रमाण पत्र कैसे निर्गत करना है. पुलिस के चरित्र प्रमाण पत्रों में किन बातों का उल्लेख करना है. डीजीपी के मुताबिक चरित्र प्रमाण पत्र की जरूरत इन कामों में पड़ेगी.
1. सरकार के किसी भी विभाग या निकाय में ठेकेदारी
2. किसी भी तरह की सरकारी नौकरी(संविदा या स्थायी)
3. आर्म्स लाइसेंस
4. पासपोर्ट के लिए आवेदन
5. पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी के लाइसेंस
6. एनजीओ में पद लेकर सरकारी सहायता लेना
7. बैंक या सहकारी संस्था से लोन लेना
डीजीपी के मुताबिक इन तमाम तरह के काम में पुलिस के चरित्र प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ेगी. लिहाजा पुलिस को ये बताया गया है कि वे किस तरह चरित्र प्रमाण पत्र जारी करें. डीजीपी के निर्देश के मुताबिक चरित्र प्रमाण पत्र में इन बातों का उल्लेख होगा.
1. चरित्र प्रमाण पत्र में सिर्फ संज्ञेय अपराध में संलिप्तता और उस मामले में पुलिस और कोर्ट द्वारा की गयी कार्रवाई को अंकित किया जायेगा
2. अगर संबंधित व्यक्ति का नाम किसी FIR में प्राथमिकी या अप्राथमिकी अभियुक्त के तौर पर आ चुका है या उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हो चुका या कोर्ट ने उसे दोषी साबित कर दिया है तो चरित्र प्रमाण पत्र में उसका उल्लेख जरूर किया जायेगा.
3. हां अगर किसी मामले में कोर्ट ने आरोपी को रिहा कर दिया है या पुलिस के अनुसंधान में वो निर्दोष पाया गया है तो उसका उल्लेख चरित्र प्रमाण पत्र में नहीं होगा.
डीजीपी ने कहा है कि चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने की जिम्मेवारी व्यक्तिगत तौर पर थानेदार की होगी. थानेदार अपनी रिपोर्ट अंचल निरीक्षक, एसडीपीओ को सौपेंगे और तब वह एसपी के पास जायेगी. इन तमाम स्तरों पर चरित्र प्रमाण पत्र की छानबीन की जायेगी. अगर किसी व्यक्ति का निवास स्थान एक से ज्यादा जिलों में हो तो वैसे तमाम जिलों में छानबीन की जायेगी. चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने से पहले जेल का डाटा भी तलाशा जायेगा. और तब चरित्र प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा.
इस पूरी प्रक्रिया में कितना समय लगेगा इसका अंदाजा आम लोग लगा सकते हैं. हालांकि डीजीपी ने समयसीमा भी तय की है. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि बिहार लोक सेवा के अधिकार कानून के तहत तय समय सीमा में पुलिस कैरेक्टर सर्टिफिकेट जारी कर देगी.