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1st Bihar Published by: Updated Wed, 03 Aug 2022 08:51:05 PM IST
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PATNA : बिहार में बेलगाम हो गयी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट औऱ हाईकोर्ट के आदेशों की भी धज्जियां उड़ा दी है. आज एक मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की बेलगाम कार्रवाई पर हाईकोर्ट की बेंच भी हैरान रह गयी. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने बिहार पुलिस के खिलाफ बेहद सख्त टिप्पणियां की. हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार के डीजीपी के साथ साथ संबंधित एसपी और आईओ को गुरूवार को कोर्ट में पेश किया जाये. नाराज कोर्ट ने कहा कि हम कल ही फैसला करेंगे कि उन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाये या नहीं.
कोर्ट से भी उपर है पुलिस!
मामला झंझारपुर कोर्ट में जज के चेंबर में घुसकर पुलिस थानेदार औऱ एक और दरोगा द्वारा एडीजे प्रथम अविनाश कुमार की पिटाई का है. वाकया पिछले साल यानि 2021 में 18 नवंबर का है. बिहार के मधुबनी जिले के झंझारपुर सिविल कोर्ट में घोघरडीहा थाने के थानेदार गोपाल कृष्ण और दरोगा अभिमन्यू कुमार शर्मा ने चेंबर में घुसकर जज के साथ मारपीट की थी. थानेदार ने जज पर पिस्तौल तान दिया था. कोर्ट परिसर में मौजूद वकीलों ने जज को किसी तरह बचाया था. इस वाकये के बाद बिहार पुलिस ने जो किया उस पर पटना हाईकोर्ट बुरी तरह नाराज है.
जज पर ही कर दिया FIR
दरअसल कोर्ट को आज बताया गया कि बिहार पुलिस ने झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार पर ही एफआईआर कर दिया है. जिन पुलिसकर्मियों पर जज की पिटाई का आरोप लगा था उनके बयान पर जज के खिलाफ ही एफआईआर कर दिया गया. पटना हाईकोर्ट इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की बेंच में आज इस मामले की सुनवाई हो रही थी. इसी दौरान कोर्ट को ये पता चला कि बिहार पुलिस ने जज के खिलाफ ही एफआईआर कर दिया है. कोर्ट ने सरकार के वकील से पूछा कि किस कानून के तहत जज के खिलाफ एफआईआर किया गया है. सरकारी वकील इस सवाल का जवाब नहीं दे पाये.
कोर्ट में मौजूद वकील मृगांक मौली ने बेंच को बताया कि सुप्रीम कोर्ट समेत देश के कई हाईकोर्ट स्पष्ट तौर पर ये आदेश दे चुके हैं कि किसी न्यायिक पदाधिकारी के खिलाफ तभी कोई FIR दर्ज किया जा सकता है जब उसकी मंजूरी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दें. झंझारपुर मामले में बिहार सरकार या पुलिस ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से कोई मंजूरी नहीं ली. बिहार पुलिस का पक्ष रख रहे वकील ने कहा कि एफआईआर करने के लिए चीफ जस्टिस को पत्र लिखा गया था. हाईकोर्ट की बेंच सरकारी वकील का जवाब सुनकर हैरान रह गयी. कोर्ट ने कहा- चीफ जस्टिस संजय करोल ने कोई मंजूरी नहीं दी फिर केस कैसे दर्ज हो गया.
एक दिन में फैसला करेंगे
बिहार पुलिस पर बेहद नाराज हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि क्या पुलिस सुप्रीम कोर्ट औऱ हाईकोर्ट से भी उपर हो गयी है. नाराज चीफ जस्टिस ने कहा कि पुलिस का रवैया बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. नाराज हाईकोर्ट ने सरकारी वकील को कहा-इस मामले में जो फैसला करना है वो एक दिन में करें. सरकारी वकील कोर्ट से अगली सुनवाई के लिए समय मांग रहे थे. कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा जिसने ये किया है उसे सजा मिलेगी. हम इस मामले में कोई देरी नहीं करेंगे. जो होना है वह कल ही होगा. नाराज कोर्ट ने कहा-हम दोषियों को सजा देंगे.
डीजीपी, एसपी से लेकर आईओ तलब
पटना हाईकोर्ट की बेंच ने तत्काल बिहार के डीजीपी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया. कोर्ट ने बिहार के डीजीपी के साथ साथ मधुबनी के एसपी और इस मामले की जांच करने वाले आईओ को गुरुवार की दोपहर ढाई बजे हाईकोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ये साफ दिख रहा है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक का उल्लंघन किया. हमें इस पर तत्काल सुनवाई करनी होगी.
सलाखों के पीछे जाने को तैयार रहे
पटना हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि सरकार को इस मामले में जो फैसला लेना है वह कल दोपहर तक ले ले. कल ढ़ाई बजे दिन में इस मामले की सुनवाई होगी. हम ये तय करेंगे कि कौन कसूरवार है ताकि उसे सलाखों के पीछे भेजा जा सके. हाईकोर्ट ने इस मामले के एमिकस क्यूरी यानि कोर्ट मित्र बनाये गये वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली को भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहने को कहा है. पटना हाईकोर्ट के कड़े तेवर को देखते हुए सरकार में हड़कंप मचा है.
बता दें कि एडीजे से मारपीट के मामले में 18 नवंबर 2021 को जज के बयान के आधार पर पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी. प्राथमिकी में घोघरडीहा के तत्कालीन थानाध्यक्ष गोपाल कृष्ण और एसआई अभिमन्यु कुमार शर्मा धारा 341, 342, 323, 353, 355, 307, 304, 306 और 34 के तहत केस किया गया था. घटना के सात महीने बाद इस साल जून में झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया था. जज के साथ मारपीट के आरोपी घोघरडीहा के पूर्व थानेदार गोपाल कृष्ण के बयान पर झंझारपुर थाने में ये एफआईआर दर्ज करायी गयी थी. एफआईआर दर्ज होने के बाद इसकी जांच सीआईडी को सौंप दी गयी थी.