BIHAR: अश्विनी हत्याकांड का मुख्य आरोपी गिरफ्तार, घटना के दो महीने बाद पुलिस ने दबोचा बेगूसराय में बाढ़ का कहर: 12 घंटे में 7 की मौत, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप BIHAR: गंगा नदी में 100 KM बहकर बचा शख्स, बेंगलुरु से आने के बाद पटना में लगाई थी छलांग Bihar News: बिहार में पानी में डूबने से दो सगी बहनों की मौत, छोटी सी गलती और चली गई जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी
1st Bihar Published by: Updated Fri, 18 Sep 2020 10:24:08 AM IST
- फ़ोटो
PATNA: अगर आप बिहार सरकार की नौकरी करते हैं और आपके उपर आपराधिक मामले दर्ज हैं तो इसकी जानकारी सरकार को देनी होगी. अगर आपने छुपाने की कोशिश की तो आपके उपर कड़ी कार्रवाई होना तय है. इसको लेकर सरकार ने आदेश जारी किया है.
विभागाध्यक्ष और एसपी-डीएम को लिखा गया पत्र
अब तक कई मामले आ चुके हैं जिसमें सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारी आपराधिक मामले की जानकारी देने के बदले छुपाए हुए हैं. जिसके बाद सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है. सामान्य प्रशासन विभाग की और से विभागाध्यक्षों, प्रमंडलीय आयुक्त, डीएम और जिलों के एसपी को पत्र लिखा गया है.
जानकारी छुपाने पर होगी कार्रवाई
सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र के बारे में बताया गया है कि सरकारी सेवक के सेवाकाल में उसके विरुद्ध कोई आपराधिक मामला दर्ज होता है या कोर्ट में आरोप पत्र दायर होता है तो उन्हें इसकी जानकारी अपने विभाग को हर हाल में देनी होगी. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो सरकारी कर्मचारी के उपर कदाचार माना जाएगा. ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसके बारे में बताया जा रहा है कि जानकारी के अभाव में सरकारी सेवक के स्थापना संबंधी मामलों में निर्णय लेने में दिक्कत होती है. ऐसे में गलत निर्णय की संभावना बनी रहती है. इसलिए इसको अनिवार्य कर दिया गया है.