RANCHI/PATNA: चारा घोटाला के डोरंडा कोषागार से जुड़े 36.60 करोड़ रुपए अवैध निकासी के मामले में दोषी करार दिए गए 36 अभियुक्तों को शुक्रवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट सजा सुनाएगी। सीबीआई के विशेष जज विशाल श्रीवास्तव की अदालत आज सजा का एलान करेगा। बीते 28 अगस्त को कोर्ट ने सभी अभियुक्तों को दोषी करार दिया था।
सजा के ऐलान के वक्त सभी अभियुक्त कोर्ट में मौजूद रहेंगे। सभी को होटवार जेल से सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में लाया जाएगा। इस मामले में 8 अभियुक्त लोक सेवक और 28 अभियुक्त आपूर्तिकर्ता हैं। संभावना जताई जा रही है कि कोर्ट 36 दोषियों को तीन साल से लेकर पांच साल तक की सजा सुना सकती है। 36 दोषियों में नित्यानंद कुमार सिंह, डॉ. जुनुल भेंगराज, डॉ. के.एम. प्रसाद, डॉ. राधा रमण सहाय, डॉ. गौरीशंकर प्रसाद, डॉ. रवींद्र कुमार सिंह, डॉ.फणींद्र कुमार त्रिपाठी, आपूर्तिकर्ता महेंद्र प्रसाद, देवेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, अशोक कुमार यादव शामिल हैं।
इसके अलावा रामनंदन सिंह, डॉ. बिजयेश्वरी प्रसाद सिन्हा, अजय कुमार सिन्हा, राजन मेहता, रविनंदन कुमार सिन्हा उर्फ रवि कुमार सिन्हा, राजेंद्र कुमार हरित, अनिल कुमार, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, दयानंद प्रसाद कश्यप, शरद कुमार, मो सईद, मो. तौहिद, संजय कुमार, रामाशंकर सिंह, उमेश दुबे, अरुण कुमार वर्मा, डॉ. अजीत कुमार वर्मा, सुशील कुमार सिन्हा, जगमोहन लाल कक्कड़, श्याम नंदन सिंह, मोहिंद्र सिंह बेदी, प्रदीप कुमार चौधरी, सत्येंद्र कुमार मेहरा, मदन मोहन पाठक और प्रदीप वशिष्ठ उर्फ प्रदीप कुमार शामिल हैं।
दरअसल, चारा घोटाला मामले में आरोपियों की सबसे ज्यादा संख्या डोरंडा कोषागार से जुड़े मामले में ही है। इससे पूर्व चाईबासा, देवघर और दुमका मामले में फैसला सुनाया जा चुका है। इस मामले में 124 आरोपियों में लालू यादव का नाम शामिल नहीं है, क्योंकि इस मामले में लालू यादव को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है।कोर्ट ने 124 आरोपियों में से 52 आपूर्तिकर्ता दोषी करार दिया था जबकि 35 लोगों को ने बरी कर दिया था।
आपको बताते चलें कि, सीबीआई की तरफ से चारा घोटाला में 66 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें छह मामले में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को भी अभियुक्त बनाया गया था। वहीं अन्य सभी मामलों में कई पशु चिकित्सक के साथ-साथ सीनियर आईएएस अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। चारा घोटाला 90 के दशक का देश के सबसे बड़े घोटाले के रूप में देखा जाता है। लालू यादव के मुख्यमंत्री रहने के दौरान यह घोटाला हुआ था, जिसकी राशि करीब 950 करोड़ बताई गई थी।