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1st Bihar Published by: Updated Sat, 17 Jul 2021 03:19:15 PM IST
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PATNA : जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने आज लालूवाद विचारधारा पर 12वां सवाल पूछा है. उन्होंने कहा कि लालू यादव के शासनकाल में बिहार के इतिहास और संस्कृति का अपमान किया गया. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लालू यादव ने कोई काम नहीं किया. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के ऐतिहासिक, धार्मिक, शैक्षणिक, पुरातात्विक, वैज्ञानिक स्थलों को एक साथ चिन्हित कर काम कर रहे हैं जिससे पर्यटन की और संभावनाएं विकसित हुई हैं. उन्होंने बताया कि बिहार में पर्यटन की संभावनाओं को विकसित करने की काफी गुंजाइश है.
नीरज ने बताया कि 2004-05 में तत्कालीन बिहार सरकार ने प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मात्र 193 लाख रुपए योजनाबद्ध किया जिसमें से 143 लाख केंद्र सरकार ने आवंटित किया था. वहीं 2011-12 में बिहार की पर्यटन विकास का बजट बढ़कर 30.4 करोड़ और 2019-20 में बढ़ाकर 275 करोड़ रुपया कर दिया गया. WTTC और PHDCC का अध्ययन बताता है कि अगर होटल और पर्यटन उद्योग में 10 लाख रुपये निवेश किए जाते हैं तो 89 रोजगार सृजित होते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुरू से ही अर्थव्यवस्था के सेवा क्षेत्र को सर्वाधिक महत्व दिया और आज सेवा क्षेत्र में बिहार गुजरात और महाराष्ट्र जैसे विकसित राज्य से भी आगे है. बिहार का गौरवशाली इतिहास बिहार में पर्यटन के विकास की संभावनाओं असीमित कर देता है.
उन्होंने बताया कि भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2018 में बिहार अंतरराष्ट्रीय और घरेलू समग्र पर्यटन के मामले में पूरे भारत में 9वें स्थान पर रहा. जबकि 2009 तक 18वें स्थान पर था. वर्ष 2017 में पर्यटन क्षेत्र पर खर्च करने के मामले में बिहार सरकार का स्थान पूरे हिंदुस्तान में चौथा था. ये वर्तमान राज्य सरकार द्वारा पर्यटन के क्षेत्र में किए गए कार्यों का नतीजा है कि बिहार आज गुजरात, सिक्किम और गोवा जैसे तथाकथित पर्यटन के लिए लोकप्रिय राज्यों से भी आगे निकल चुका है.
नीरज ने बताया कि वर्ष 2005 में मुश्किल से कुल 63,321 (पूरे देश का 0.6%) विदेशी यात्री बिहार पर्यटन के लिए आए थे जो 2019 में बढ़कर 10.90 लाख हो गए. जबकि उसी दौरान बिहार आने वाले विदेशी एवं घरेलू पर्यटकों की कुल संख्या 68.81 लाख (पूरे देश का 2.3%) से बढ़कर 3.5 करोड़ पहुंच गई. 1997-98 में केंद्र सरकार ने बिहार सरकार को 2.34 करोड़ की 11 पर्यटन विकास सम्बंधित परियोजना पास किया. लेकिन राज्य सरकार उसका आधा धन भी नहीं खर्च कर पाई. पर्यटन के प्रति बिहार सरकार की उदासीनता आगे भी जारी रही और 2000-01 के दौरान केंद्र सरकार द्वारा आवंटित 3.15 करोड़ रुपए में से बिहार सरकार मात्र 94.47 लाख ही खर्च कर पाई, यानी कि एक तिहाई भी नहीं.
वाल्मीकि नेशनल पार्क को 1990 में ही भारत सरकार ने 'प्रोजेक्ट टाइगर' के अंतर्गत कर दिया था. लेकिन तत्कालीन बिहार सरकार ने यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई पहल नहीं की. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने वाल्मीकिनगर, इको पार्क और इको हट बनवाया. पर्यटन के क्षेत्र में इसी तरह के कई प्रोजेक्ट जो पिछली सरकार के समय से लम्बित थी, उसे नीतीश सरकार ने गति दी. जिसका परिणाम परिवहन के क्षेत्र से राज्य सरकार को होने वाली आय में साफ़ साफ़ देखा जा सकता है.
नीरज ने पूछा कि क्या ये कहना ग़लत होगा कि लालूवाद विचारधारा वाली सरकार की बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रति उदासीनता बिहार के गौरवशाली-वैभवशाली इतिहास और संस्कृति का अपमान था?
प्राचीन समय से ही पूरी दुनिया से फहियान, मेगास्थनीज़ आदि जैसे महान लोग बिहार की धरती की तरफ़ आकर्षित होते रहे थे. नीतीश सरकार ने बिहार में पर्यटन के विकास को बढ़ावा देकर बिहार के गौरव और वैभव को वापस लाने का उत्कृष्ट प्रयास किया है.
नीरज ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के निर्माण की पूरी लिस्ट बताई है. इसमें सबसे पहले वाल्मीकिनगर इको पार्क और इको हट का नाम है. उन्होंने बताया कि यहां बाघों की संख्या 8 से बढ़कर 35 हो गई है. उन्होंने बताया कि 2021 में 19 करोड़ की लागत से राजगीर के 500 हेक्टेर ज़मीन में से तैयार नेचर सफ़ारी की शुरुआत की गई. इसमें झूला पुल, अड्वेंचर पार्क के साथ साथ बटर्फ़्लाई ज़ोन, आर्चरी रेंज, रॉक चढ़ाई दिवार, के साथ साथ रेसलर ज़ोन भी बनाया गया है. राजगीर में शीशे के पुल (ग्लास ब्रीज) का भी निर्माण कराया गया. यह पूरे हिंदुस्तान में अपने तरह का पहला पुल है.
पटना में विश्व-स्तरीय संग्रहालय बिहार म्यूजियम, राजगीर में हेरिटिज संग्रहालय, सात पर्यटन सर्किट का निर्माण भी होना है जिसमें महात्मा गांधी सर्किट, बुद्ध सर्किट, रामायण सर्किट, जैन सर्किट, शिव-शक्ति सर्किट, और काँवरिया सर्किट प्रमुख हैं. पटना का गोलघर का सौंदर्यकारन किया गया, महेंद्रू घाट में जल-क्रीड़ा स्थल का निर्माण, राजगीर और मंदार (बांका) में आकाशीय रज्जुपथ का निर्माण, पटना में बुद्धा स्मृति पार्क का निर्माण, बिहार के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक सभ्यता द्वार, राजगीर के जंगलों को संवारते हुए नेचर सफारी का निर्माण और राजगीर के घोड़ा कटोरा झील में नौका विहार की सुविधा.