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कोर्ट-कानून से ज्यादा पावरफुल है नालंदावासी होना? बेहद संगीन आरोपों से घिरे मधुबनी के एसपी को संरक्षण से उठ रहे सवाल, पढ़िये इनसाइड स्टोरी

1st Bihar Published by: Updated Fri, 19 Nov 2021 04:45:53 PM IST

कोर्ट-कानून से ज्यादा पावरफुल है नालंदावासी होना? बेहद संगीन आरोपों से घिरे मधुबनी के एसपी को संरक्षण से उठ रहे सवाल, पढ़िये इनसाइड स्टोरी

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PATNA: क्या सुशासन में कोर्ट-कानून, नियम-कायदे से ज्यादा पावरफुल है किसी अधिकारी का नालंदावासी होना? बेहद गंभीर आरोपों से घिरे मधुबनी के एसपी डॉ.सत्यप्रकाश के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने से ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी नेता कह रहे हैं कि एसपी सत्यप्रकाश नालंदा के रहने वाले हैं, उनकी जाति भी जगजाहिर है। ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई कौन कर सकता है। 


हम आपको बता दें कि मधुबनी में कल थानेदार औऱ एक दरोगा ने जज के चेंबर में घुसकर उनके साथ मारपीट की थी। इससे पहले मधुबनी के एसपी पर कोर्ट ने बेहद सख्त औऱ गंभीर टिप्पणी की थी। जज की पिटाई करने के दौरान पुलिसकर्मी कह रहे थे-तुम एसपी साहब को पेशी पर बुलाते हो...तुम्हें हम दुनिया से विदा कर देते हैं।


गंभीर मामले के आरोपी हैं मधुबनी के एसपी सत्यप्रकाश

हम आपको बता दें कि मधुबनी के एसपी सत्यप्रकाश बेहद गंभीर मामले के आरोपी हैं। मधुबनी में एक 15 साल की लड़की के अपहरण और रेप का केस दर्ज हुआ था। आरोपी ने उससे शादी कर लेने का दावा किया तो मधुबनी के एसपी ने अपने सुपरविजन रिपोर्ट में उसमें पॉस्को, रेप से लेकर बाल विवाह की धारायें ही नहीं लगायी। मामला उसी जज के कोर्ट में गया जिनकी कल चेंबर में घुसकर पिटाई की गयी। झंझारपुर कोर्ट के एडीजे अविनाश कुमार ने एसपी के कानून की जानकारी पर गंभीर सवाल उठाते हुए उन्हें ट्रेनिंग के लिए फिर से पुलिस अकादमी भेजने का आदेश दिया था। जज ने एसपी सत्यप्रकाश के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय, नीतीश सरकार औऱ बिहार के डीजीपी को भी पत्र लिखा था। 


ये मामला इसी साल जुलाई का है. सरकार के पास जज का पत्र गया. उसमें पूरी जानकारी थी कि कैसे एसपी ने कानून को ताक पर रख कर केस का सुपरविजन कर दिया. लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद मधुबनी के एसपी का कुछ नहीं बिगड़ा. वे अपने पद पर उसी तरीके से बने रहे. उनके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई भी नहीं हुई.


कोर्ट के फैसले से टल गया था केंद्रीय मंत्री का पीएस बनना 

हालांकि जिस दौरान कोर्ट ने एसपी सत्यप्रकाश के खिलाफ आदेश दिया था उसी दौरान ये चर्चा गर्म थी कि वे एक नवनियुक्ति केंद्रीय मंत्री के पीएस बनकर दिल्ली जा रहे हैं. लेकिन तभी कोर्ट का फैसला आया. कोर्ट का पत्र केंद्रीय गृह मंत्रालय भी गया था. केंद्र सरकार किसी अधिकारी को मंत्री का पीएस बनाने से पहले उसकी पूरी छानबीन कराती है. कोर्ट का आदेश सामने था और उससे ही ये तय हो गया था कि अब सत्यप्रकाश केंद्रीय मंत्री के पीएस नहीं बन पायेंगे. बिहार के प्रशासनिक गलियारे में ये चर्चा आम थी कि दिल्ली जाने से वंचित रह गये एसपी साहब हद से ज्यादा बौखलाहट में हैं.


ये नालंदा मॉडल है? 

उधर तेजस्वी यादव सीधे कह रहे हैं कि एसपी सत्यप्रकाश नालंदा मॉडल के प्रतीक हैं. तेजस्वी ने ट्विटर पर लिखा है “वर्तमान मधुबनी SP के कार्यकाल में अपराध चरम पर है. कुख्यात मधुबनी नरसंहार,शराब तस्करी सहित जिले में प्रतिदिन अनेक बलात्कार,लूट और हत्या की दुःखद घटनाएँ होती है. अभी हाल में एक पत्रकार की भी हत्या हुई लेकिन इनका तबादला नहीं होगा क्योंकि ये नालंदा से है और नालंदा मॉडल से सब अवगत है.”


जज के खिलाफ मधुबनी पुलिस करेगी FIR?

हम आपको बता दें कि मधुबनी के झंझारपुर में कोर्ट में घुसकर जज की पिटाई के बाद पटना हाईकोर्ट एक्शन में है. हाईकोर्ट ने कल ही इस मामले का संज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब मांगा है. सरकार को कोर्ट में 29 नवंबर को जवाब देना है. लेकिन उससे पहले मधुबनी पुलिस ने नयी कहानी तैयार कर ली है. कल जज के चेंबर में घुसकर गुंडागर्दी की सीमायें पार करने वाले पुलिसकर्मियों को इलाज के अस्पताल में भर्ती करा कर उनका पुलिस के समक्ष फर्दबयान कराया गया है।


 जज को पीटने वाले थानेदार गोपाल कृष्ण ने ADJ अविनाश कुमार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने पहले अभद्र टिप्पणी की थी. कई मामलों में आरोपित व्यक्ति को 'सर' कहकर संबोधित करने का निर्देश दिया था. थानेदार अपनी ही पुलिस के सामने बयान में कह रहे हैं कि जज ने उन्हें जूते से मारा और फिर मौजूद कर्मियों को निर्देश दिया कि उनके गले में रस्सी लगाकर टांग दिया जाए।


पुलिस के समक्ष फर्दबयान का मतलब होता है केस दर्ज करना. थानेदार गोपाल कृष्ण औऱ एसआई अभिमन्यु कुमार को दरभंगा के डीएमसीएच में भर्ती कराया गया है. दरभंगा पुलिस ने फर्द बयान दर्ज किया है औऱ उसे मधुबनी भेजा जायेगा. मामले में बिहार पुलिस एसोसिएशन को भी लाया गया है जो जज को पीटने वाले दोनों दारोगा की तरफदारी में उतरा है। 


लेकिन बड़ा सवाल ये है कि हाईकोर्ट में सरकार क्या जवाब देगी. जज ने जो एफआईआर दर्ज करायी है उसमें साफ लिखा गया है कि एसपी को नोटिस भेजने के कारण दोनों दरोगा ने इसलिए हमला किया क्योंकि मधुबनी के एसपी को नोटिस भेजा गया था. क्या हाईकोर्ट में भी सरकार का नालंदा मॉडल चल जायेगा. इसके लिए 29 नवंबर का इंतजार करना होगा।