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1st Bihar Published by: Updated Fri, 28 May 2021 06:56:20 AM IST
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PATNA : बिहार पुलिस के सिपाहियों को जरूरत पड़ने पर गोली चलाना तो दूर राइफल भी कॉक करने नहीं आता. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बिहार पुलिस के डीआईजी का कहना है. बिहार में राजकीय सम्मान के साथ हो रहे एक अंतिम संस्कार में सिपाहियों की राइफल से गोली ही नहीं चली. डीआईजी ने मामले की जांच की है. जांच के बाद दी गयी रिपोर्ट में बिहार पुलिस के बारे में ऐसी ही टिप्पणी की गयी है. डीआईजी ने इस मामले में 8 पुलिसकर्मियों को दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की है.
मुंगेर डीआईजी ने की टिप्पणी
दरअसल मामला मुंगेर का ही है. पिछले महीने 4 अप्रैल को पूर्व विधान पार्षद औऱ इमारत-ए-सरिया के प्रमुख मौलाना वली रहमानी के अंतिम संस्कार के दौरान बिहार पुलिस की फिर से भद्द पिट गयी थी. नीतीश कुमार ने मौलाना वली रहमानी के कोरोना से निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करने का एलान किया था. अंतिम संस्कार के दौरान फायरिंग कर मृतक को राजकीय सम्मान देना था लेकिन 10 में से 6 पुलिसकर्मियों के राइफल से गोली ही नहीं चली. मौलाना वली रहमानी के अंतिम संस्कार के समय बिहार पुलिस के दो हवलदार समेत 8 सिपाही सम्मान देने के लिए उपस्थित थे.
गोली चलाना तो दूर राइफल कॉक करना भी नहीं आता
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के दौरान पुलिस की राइफल से गोली नहीं चलने की जांच मुंगेर के डीआईजी शफीउल हक ने की है. गुरूवार को उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट दी है. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि राजकीय सम्मान देने के लिए जिन जवानों को राइफल से गोली चलाना था उसमें से मुंगेर पुलिस के हवलदार धनेश्वर चौधरी के साथ सिपाही मुकेश कुमार, मुनेश्वर कुमार, सुमन कुमार, रंजन कुमार और गौरी शंकर गुप्ता की राइफल नहीं चली. उन्हें देखकर ऐसा लगा कि गोली चलाना तो दूर की बात उन्हें तो राइफल को कॉक करना नहीं आता है. जब वे अपनी राइफल में गोली भर रहे थे तो उनसे कई गोली भरने के दौरान ही गिर गयी थी. डीआईजी ने कहा कि इन पुलिसकर्मियों ने पूरी बिहार पुलिस का मजाक बना कर छोड़ दिया. लिहाजा उन्हें सजा देना जरूरी है.
8 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई
डीआईजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अंतिम संस्कार के समय गोली नहीं चलने की सबसे बड़ी जिम्मेवारी सार्जेंट मेजर अशोक बैठा की है. सार्जेंट मेजर ने सही हथियार औऱ गोली उपलब्ध नहीं कराया था. उन्होंने सही जवानों को भी अंतिम संस्कार के दौरान तैनात नहीं किया. उसके साथ ही ये जिम्मेवारी इंस्पेक्टर रामलाल यादव की भी थी. इन्हीं दोनों के कारण पुलिस को शर्मिंदा होना पड़ा. दोनों अधिकारियों के सीआर में एक एक निंदन यानि एडवर्स एंट्री की सजा दी गयी है. वहीं अंतिम संस्कार के समय जिन 6 पुलिसकर्मियों की राइफल से गोली नहीं चली उन्हें दो-दो निंदन की सजा दी गयी है.
वैसे बिहार में राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार के वक्त पुलिस की राइफल फेल होने का मामला नया नहीं है. 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र के अंतिम संस्कार के समय किसी पुलिसकर्मी के राइफल से फायर ही नहीं हुआ था. उस वक्त पूरे देश में बिहार पुलिस की जमकर फजीहत हुई थी.