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1st Bihar Published by: Updated Sat, 18 Jan 2020 03:31:21 PM IST
                    
                    
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PATNA : गृह विभाग ने कहलगांव के तत्कालीन एसडीपीओ मनोज कुमार सुधांशु के खिलाफ विभागीय कार्रवाई तेज कर दी है. कभी सरकार के खासमखास रहे DSP मनोज कुमार सुधांशु अपने करतूत को लेकर काफी सुर्ख़ियों में रहे. पटना कोतवाली डीएसपी, भागलपुर हेड क्वार्टर डीएसपी, कहलगांव डीएसपी, बक्सर BMP डीएसपी जैसे ख़ास पदों पर रहे चहेते डीएसपी साहेब की करूत को डीआईजी विकास वैभव ने पकड़ा था. अब साहेब के ऊपर विभागीय कार्रवाई रेस हो गई है.
DIG विकास वैभव ने करतूत पकड़ा
कहलगांव एसडीपीओ मनोज कुमार सुधांशु के भागलपुर मुख्यालय डीएसपी रहते हुए एक केस में गंभीर आरोप लगा था. इंट्री पासिंग गिरोह से जुड़े केस में भागलपुर के तत्कालीन मुख्यालय डीएसपी मनोज कुमार सुधांशु की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी. डीआईजी विकास वैभव ने इस मामले की समीक्षा करते हुए पाया कि गिरोह के बैंक खाते में पुलिस ने 50 लाख रुपए जब्त किये थे. पहले इस केस की जांच डीएसपी मुख्यालय रमेश कुमार कर रहे थे. उन्होंने उक्त राशि को जांच में सबूत माना था और यह साबित किया था कि कैसे इंट्री माफिया अवैध कमाई से लाखों रुपए जमा किये हुए हैं. गृह विभाग ने डीएसपी के ऊपर संचालित विभागीय कार्रवाई के लिए भागलपुर डीएसपी सुनील कुमार को प्रस्तुतीकरण पदाधिकारी नियुक्त किया है. 
रिपोर्ट आने के बाद पद से हटे
पिछले साल जुलाई में गृह विभाग ने कहलगांव एसडीपीओ मनोज कुमार सुधांशु को पद से हटा दिया था. उनको बक्सर बीएमपी में भेज दिया गया था. डीएसपी के ऊपर लगे आरोप की जांच कर डीआईजी विकास वैभव ने पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी थी. रमेश कुमार की बदली होने के बाद डीएसपी मुख्यालय मनोज कुमार सुधांशु को केस का आईओ बनाया गया तो उन्होंने उक्त राशि को बैंक से निकालने का आदेश दे दिया था. यानी पहले जांच अधिकारी डीएसपी रमेश कुमार ने बैंक में जमा जिस राशि को केस का बड़ा सबूत माना था. उसी राशि को दूसरे जांच अधिकारी डीएसपी मनोज कुमार सुधांशु ने निकासी का आदेश दे दिया था. 
सितंबर में हुए थे सस्पेंड
एसडीपीओ मनोज कुमार सुधांशु को अपराधियों का साथ देने और कई मामलों में लापरवाही बरतने को लेकर पिछले साल सितम्बर में सस्पेंड कर दिया गया था. वे वर्तमान में डुमरांव स्थित बीएमपी-4 में डीएसपी के रूप में तैनात थे. जुलाई में उनकी पोस्टिंग बीएमपी बक्सर में हुई थी.  गृह विभाग ने बगैर अनुमति उनके मुख्यालय छोड़ने पर भी रोक लगा दी थी. मनोज पर आरोप है कि उन्होंने कहलगांव थाने में पासिंग गिरोह के विरुद्ध दर्ज कांड 337/18 तारीख 28 मई 2018 में जांच मिलने पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की. इसके अलावा उन्होंने इस मामले में जब्त करीब 50 लाख रुपये को छोड़ने के लिए एनओसी दे दिया. 
5 महीने में एक ही जिले में दूसरी बार ट्रांसफर
मनोज कुमार सुधांशु 29 सितंबर 2018 को भागलपुर में हेडक्वार्टर डीएसपी-1 के रूप में तैनात किए गए थे. लेकिन महज 5 महीने के अंदर ही उनका ट्रांसफर करते हुए कहलगांव एसडीपीओ बना दिया गया. कहलगांव एएसपी मु. दिलनवाज अहमद के तबादले के बाद 18 फरवरी 2019 को मनोज कुमार सुधांशु को उनकी तैनात किया गया. बता दें कि सिर्फ़ 5 महीने के भीतर एक ही जिले के अनुमंडल में डीएसपी के स्थानांतरण के बाद कई प्रश्न खड़े हुए थे. 
आनंद किशोर ने किया था सम्मानित
नवंबर 2018 में मनोज कुमार सुधांशु को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के चेयरमैन आनंद किशोर ने सम्मानित किया था. जब सुधांशु पटना में पोस्टेड थे. तब वह कोतवाली डीएसपी थे. पटना में पदस्थापन के दौरान उन्होंने दो परीक्षाओं में हुई गड़बड़ियों की जांच की थी. पटना एसएसपी मनु महाराज के नेतृत्व में जांच के लिए टीम गठित की गई थी. 2011 के बिहार प्रारंभिक शिक्षक (प्रशिक्षित) पात्रता परीक्षा के रिजल्ट में गड़बड़ियां सुधारने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों के खिलाफ डीएसपी मनोज कुमार सुधांशु ने केस का सुपरविजन किया था.