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1st Bihar Published by: SANT SAROJ Updated Tue, 24 Aug 2021 07:59:00 PM IST
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SUPAUL: बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागू है। शराबबंदी कानून को कड़ाई लागू कराने को लेकर कई इलाकों में छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन सुपौल जिले में बीते 10 अगस्त से छापेमारी अभियान बंद है। इसका कारण जानेंगे तो आप भी हैरान रह जाएंगे। दरअसल पेट्रोल पंप के मालिक ने उत्पाद विभाग को पेट्रोल देना ही बंद कर दिया है। पेट्रोल पंप के मालिक ने कहा कि पहले 5 लाख 85 हजार रुपये जमा कीजिए तब ही पेट्रोल मिलेगा।
उत्पाद अधीक्षक का कहना है कि विभाग की ओर से अभी 80 हजार रुपये का ही आवंटन किया गया है। लेकिन सुपौल में उत्पाद विभाग को 10 अगस्त से ही पेट्रोल मिलना बंद हो गया है। जिस पेट्रोल पंप से तेल मिलना था उसके संचालक ने विभाग को 5 लाख 85 हजार रुपये का बिल थमा दिया है।
पेट्रोल पंप के मालिक ने पत्र के जरीय विभाग को यह कहा है कि जब तक पुराने बिल का हिसाब किताब क्लियर नहीं होगा तब तक वे विभाग की गाड़ी में तेल नहीं दे सकते हैं। गाड़ी में पेट्रोल नहीं रहने के कारण 10 अगस्त से ही छापेमारी अभियान बंद है। जिसके कारण शराब के धंधेबाजों के खिलाफ छापेमारी नहीं हो रही है। दो सप्ताह से उत्पाद की टीम फील्ड में छापेमारी के लिए नहीं जा पाई है। गाड़ी में पेट्रोल नहीं रहना इसका कारण बताया जा रहा है।
इस पूरे मामले पर कृष्णा फ्यूल सेंटर के मैनेजर संतोष कुमार ने बताया कि पहले एक ही पंप से सारे विभाग को तेल दिया जाता था। लेकिन समय पर राशि का भुगतान नहीं होने के कारण डीएम को पत्र लिखकर लोड कम करने की गुहार लगाई गई थी। इसके बाद डीएम ने पत्र जारी कर समय पर भुगतान करने और अलग-अलग पंप को अलग-अलग विभाग की जिम्मेदारी दी। जिसके तहत लोहियानगर स्थित कृष्णा फ्यूल सेंटर को 4 विभाग आंवटित किया गया। जिसमें योजना विभाग, उत्पाद विभाग, पथ निर्माण विभाग और सांख्यिकी विभाग शामिल है।
इसकी सूचना उत्पाद विभाग ने वरीय अधिकारियों को दी है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि जब छापेमारी ही नहीं होगी तो फिर सरकार के शराबबंदी कानून का क्या होगा। फिलहाल इस मसले पर उत्पाद अधीक्षक सुधीर कुमार झा ने कहा कि कुछ राशि आवंटित की गई है और जल्द पेट्रोल पंप को भेज दी जाएगी। जिसके बाद गाड़ियों में तेल मिलना शुरू हो जाएगा।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल की यदि इस तरह तेल की कमी हुई तो फिर शराब कारोबारियों के विरुद्ध छापेमारी अभियान प्रभावित हो सकती है। इसे लेकर सरकार या विभाग को समुचित और सख्त निर्णय लेने होंगे। जिससे शराबबंदी कानून सत प्रतिशत लागू हो सके।