ग्राम सरकार को मिला बड़ा अधिकार : अब सरपंचों को मिला बड़ा अधिकार, कर सकेंगे ये बड़ा काम; जानिए क्या है ख़ास

ग्राम सरकार को मिला बड़ा अधिकार : अब सरपंचों को मिला बड़ा अधिकार, कर सकेंगे ये बड़ा काम; जानिए क्या है ख़ास

PATNA : बिहार सरकार ने एक बार फिर से ग्रामीण कचहरी को बड़ा अधिकार दे दिया है। अब राज्य के सभी सरपंच एक बार फिर से वंशावली बना सकेंगे। इस बात की जानकारी पंचायती राज विभाग की तरफ से दी गई है। जिसके बाद  इसको लेकर विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारी, उप विकास आयुक्त एवं पंचायती राज अधिकारी को पत्र भेजा है। इसमें वंशावली निर्गत करने के लिए सक्षम प्राधिकार को सूचना दी गई है। 


मिली जानकारी के अनुसार विभाग के तरफ से वंशावली बनाने की समय सीमा भी तय कर दी गई है। इसको लेकर पांच दिसंबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, जिसमें पंचायती राज विभाग को वंशावली निर्गत करने के सक्षम प्राधिकार घोषित करने और अन्य प्रक्रियाओं के निर्धारण का जिम्मा दिया गया था। जिसके बाद अब यह फैसला लिया गया है। 


इस पत्र के अनुसार जिस व्यक्ति को वंशावली प्रमाण पत्र की जरूरत होगी वह शपथ पत्र पर अपनी वंशावली का विवरण स्थानीय निवासी होने के साक्ष्य के साथ एक आवेदन अपने ग्राम पंचायत सचिव को देगा। आवेदन के साथ ₹10 का शुल्क पंचायत सचिव के पास जमा करना अनिवार्य होगा फीस जमा नहीं करने पर आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। आवेदक  की रसीद पंचायत सचिव देगा यह राशि पंचायत निधि में जमा होगी। इतना ही नहीं दोबारा वंशावली के लिए ₹100 का शुल्क जमा करना होगा।


इस पत्र में कहा गया है कि वंशावली के आवेदन प्राप्ति की अधिकतम सात दिनों के अंदर कागजातों की जांच के बाद आवेदन पत्र पर ही सील मोहर और तिथि के साथ अपनी अनुशंसा ग्राम कचहरी के जरिए सचिव के पास भेज देगा। वहीं , इस आवेदन की फोटो कॉपी पंचायत सचिव के कार्यालय में सुरक्षित होगी ग्राम कचहरी सचिव अपने पास आए आवेदन का विवरण पंजी में दर्ज कर उसे सरपंच के पास उपस्थापित करेंगे।  


उधर,  सरपंच उसे आवेदन की फोटो कॉपी कर उसे ग्राम कचहरी के ऐसे स्थान पर चिपकाएंगे जहां वह आसानी से दिखे। इसके बाद इस पर आम लोगों से 7 दिनों में आपत्ति आमंत्रित की जाएगी। यदि तय समय में कोई आपत्ति नहीं आती है तो फिर सरपंच अपने सील मुहर ओर हस्ताक्षर के साथ वंशावली निर्गत करेंगे। लेकिन ध्यान रखना होगा कि इस पूरी प्रक्रिया में 15 दिन से अधिक का समय नहीं लिया जाए।