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Bihar News: बिहार के कई फर्जी शिक्षकों पर FIR दर्ज, गिरफ्तारी के लिए पुलिस कर रही छापेमारी

Bihar News: बिहार के इस जिले में कई फर्जी शिक्षकों के खिलाफ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने दर्ज किया केस। पटना हाईकोर्ट के आदेश पर चल रही जांच में इनके शैक्षणिक प्रमाण-पत्र पाए गए फर्जी, अब जाएंगे जेल..

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 22 Aug 2025 01:28:37 PM IST

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प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar News: बिहार के बांका जिले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे तीन शिक्षकों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है। शंभूगंज और रजौन प्रखंडों में कार्यरत इन शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेज जांच में जाली पाए गए, जिसके बाद संबंधित थानों में प्राथमिकी दर्ज की गई है। मृतक शिक्षकों की पहचान रजौन के प्राथमिक विद्यालय कोलहड्डा की दीपा कुमारी, शंभूगंज के प्राथमिक विद्यालय जगतापुर की पल्लवी कुमारी और प्राथमिक विद्यालय मेहरपुर के निरंजन कुमार के रूप में हुई है। इस कार्रवाई से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है और पुलिस ने तीनों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी है।


पटना हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई इस जांच में बिहार के नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की गहन पड़ताल की जा रही है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने अब तक 6 लाख से अधिक प्रमाण-पत्रों की जांच की है, जिसमें बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज सामने आए हैं। रजौन की शिक्षिका दीपा कुमारी का मैट्रिक अंक पत्र कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से फर्जी पाया गया। वहीं, शंभूगंज की पल्लवी कुमारी और निरंजन कुमार के प्रमाण-पत्र उड़ीसा बोर्ड, कटक से जाली निकले। हाईकोर्ट द्वारा दी गई समयसीमा में इन शिक्षकों ने स्वेच्छा से त्यागपत्र नहीं दिया, जिसके बाद निगरानी ने अब कानूनी कार्रवाई का निर्देश दिया है।


जांच के बाद रजौन थाना पुलिस ने दीपा कुमारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है, जबकि शंभूगंज थाना पुलिस पल्लवी कुमारी और निरंजन कुमार की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने स्पष्ट किया कि फर्जी प्रमाण-पत्रों पर नौकरी करने वाला कोई भी शिक्षक बच नहीं पाएगा। बांका में पहले भी शंभूगंज से दो दर्जन फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई हो चुकी है और अभी भी एक दर्जन से अधिक शिक्षक निगरानी के रडार पर हैं।


स्थानीय लोगों का कहना है कि फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर सालों से पढ़ा रहे शिक्षक बच्चों के भविष्य को कैसे उज्ज्वल कर सकते हैं। ग्रामीण इलाकों में पढ़ाई की गुणवत्ता पर भी इसका असर पड़ रहा है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की सख्ती से नियोजन प्रक्रिया में पारदर्शिता की उम्मीद बढ़ी है लेकिन यह मामला शिक्षा विभाग की लापरवाही को भी उजागर करता है। बांका में चल रही इस कार्रवाई से अन्य जिलों में भी फर्जी शिक्षकों पर शिकंजा कसने की संभावना है।