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1st Bihar Published by: Updated Mon, 10 Feb 2020 08:53:30 PM IST
                    
                    
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PATNA : दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी इसकी तस्वीर कल साफ हो जाएगी। कल सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी। ज्यादातर एग्जिट पोल के आंकड़ें ये बता रहे हैं कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल 'हैट्रिक' लगाएंगे। हालांकि, बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने का दावा कर रही है। चुनाव परिणाम की बेसब्री सभी के चेहरे पर साफ दिख रही है। खासकर राजनीतिक दलों के आंकाओं की नींद उड़ी हुई है,आज की रात आंखों ही आंखों में कटने वाली है। ऐसे में एक बिहारी का फॉर्मूला भी दिल्ली के चुनाव में दांव पर लगा है।
हम बात कर रहे हैं प्रशांत किशोर की। कभी नीतीश के खासमखास और प्रमुख रणानीतिकार प्रशांत किशोर ने दिल्ली चुनाव में सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए चुनावी व्यूह रचना का निर्माण किया। बीच में दांव बदलने की बारी आयी तो पीके ने ऐसी शातिरचाल चली की विरोधी चारो खाने चित नजर आए। बीच चुनाव में प्रशांत किशोर की सबसे बड़ी रणनीति देखने को मिली जब अरविंद केजरीवाल ने हनुमान चालीसा का पाठ किया। केजरीवाल ने हनुमान चालीसा क्या पढ़ा बीजेपी पानी मांगते नजर आयी। बीजेपी इस जुगाड़ में थी कि केजरीवाल को हिंदू विरोधी साबित कर दिया जाए।लेकिन पीके ने कुछ और ही तय कर रखा था, केजरीवाल उसी राह पर चलते रहे। प्रशांत किशोर यानी के इस फ़ार्मूले के कारण सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं हो पाया।
दिल्ली के चुनाव में बीजेपी शाहीनबाग के इर्द गिर्द मंडराती रही। अमित शाह से लेकर पार्टी के सभी छोटे बड़े नेताओं ने राष्ट्रवाद का ढोल बजाया। सब इसी कोशिश में जुटे रहे दिल्ली का चुनाव हिंदू बनाम मुसलमान हो जाए। लेकिन पीके की एक चाल ने बीजेपी को चारों खाने चित कर दिया। कभी पीके ने बिहार में इसी फॉर्मूले का इस्तेमाल किया था। तब 2015 के चुनाव में जब लालू-नीतीश साथ-साथ मैदान में उतरे थे। उस वक्त पीके मंच पर मुस्लिम नेताओं को मंच पर भी नहीं बैठने देते थे। लालू ने ये कह कर एक मुस्लिम सासंद को नीचे उतार दिया था कि तुम्हारी बिरादरी का असली नेता मैं हूं। तुम मंच पर गए तो कई हिंदू वोट कट जायेंगे। ये रणनीति और आयडिया प्रशांत किशोर का था जो काम कर गया। लालू-नीतीश ने कांग्रेस के साथ मिलकर तब प्रचंड बहुमत हासिल किया था। आम आदमी पार्टी के नेताओं पीके के फॉर्मूले के मुताबिक पूरे चुनाव में बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे पर रिएक्ट ही नहीं किया। अमानतुल्लाह और शोएब इक़बाल जैसे आप के नेता पूरे चुनाव में ख़ामोश रहे।