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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 26 May 2023 07:35:49 PM IST
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PATNA: 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। लेकिन इससे पहले देशभर में इसको लेकर सियासत तेज हो गई है। जेडीयू और आरजेडी समेत कुल 19 राजनीतिक दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर दिया है और कहा है कि वे नए संसद भवन के उद्घाटन में शामिल नहीं होंगे। इसी बीच बीजेपी सांसद और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने इन दलों के नेताओं से तीखे सवाल पूछ दिए हैं।
सुशील मोदी ने कहा है कि नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने का निर्देश चाहने वालों की याचिका जब सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी, तब भी क्या विपक्ष अपनी जिद पर अड़ा रहेगा? उन्होंने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में लगातार दूसरी बार निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नये संसद भवन के उद्घाटन का अनर्गल विरोध करने वाले नीतीश कुमार और ललन सिंह बताएं कि उन्हें ब्रिटिश दासता का प्रतीक पुराना ल्युटियन संसद भवन ही क्यों पसंद है?
सुशील मोदी ने कहा है कि अगप हिम्मत है तो उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का निर्णय करने वाले जेडीयू समेत सभी 19 दलों के सांसद इस्तीफा देकर दिखलाएं। उन्होंने जेडीयू अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए पूछा है कि ललन सिंह कब इस्तीफा दे रहे हैं? इसके साथ ही सुशील मोदी ने नए संसद भवन के उद्घाटन का विरोध करने वाले सभी दलों से सवाल पूछे हैं।
सुशील मोदी के सात तीखे सवाल..
1.नीतीश कुमार ने नये विधानमंडल भवन का उद्घाटन राज्यपाल से क्यों नहीं कराया?
2.जब सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़ और मणिपुर विधान सभा के भवनों का उद्घाटन किया, तब राज्यपालों की उपेक्षा क्यों की गई?
3.कांग्रेस शासित आधा दर्जन राज्यों में सरकारी भवनों के शिलान्यास/उद्घाटन में राज्यपाल बुलाये तक नहीं जाते, क्यों?
4.कांग्रेस ने 1975 में संसद की एनेक्सी का उद्घाटन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से क्यों कराया था?
5.1987 में संसद के पुस्तकालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से क्यों कराया गया?
6.जब तक कांग्रेस और उसके समर्थन से बनी सरकारें केंद्र में रहीं, तब कभी राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने का विचार क्यों नहीं आया?
सुशील मोदी ने कहा कि PM से ईर्ष्या रखने वाले विपक्षी दल पहले नये संसद भवन (सेंट्रल विस्टा) के शिलान्यास और फिर उसमें स्थापित अशोक स्तम्भ के शेरों की आकृति के बहाने अपनी हताशा जाहिर कर चुके हैं।अब उन्हें चोल वंश के राजदंड सेंगोल में नंदी की आकृति पर भी आपत्ति हो रही है।