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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 06 Oct 2023 01:29:01 PM IST
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PATNA : बिहार में जाति आधारति गणना का रिपोर्ट जारी होने के अगले दिन यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। 3 अक्टूबर को याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट से जातीय आंकड़े जारी किए जाने के मामले मे हस्तक्षेप की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। इस मामले में शुक्रवार यानी आज सुनवाई हुई। इसके बाद कोर्ट ने साफ़ तौर पर कहा कि- हम इस मामले में विस्तृत सुनवाई करेंगे। हम सरकार को नीति बनाने से रोक नहीं सकते। हालांकि, कास्ट सर्वे के दौरान लिए गए लोगों के निजी आंकड़े सरकार सार्वजनिक नहीं करे। अब इस मामले पर जनवरी में सुनवाई होगी।
दरअसल, एक सोच, एक प्रयास और यूथ फॉर इक्वेलिटी जैसे संगठन के तरफ से जाति आधारति गणना का रिपोर्ट जारी होने के अगले दिन सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें पुरे मामले में कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। उस दौरान कोर्ट ने कहा था कि अभी इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। 6 अक्टूबर को मामले की सुनवाई होगी और उसी समय याचिकाकर्ताओं की दलील सुनेंगे। उसके बाद अब आज इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि- सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर बिहार सरकार को नोटिस जारी किया। जनवरी 2024 तक इस पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में विस्तृत सुनवाई करेंगे।
मालूम हो कि, बिहार सरकार ने सोमवार यानी 2 अक्टूबर को जातीय आंकड़ा जारी किया। बिहार के अतिरिक्त मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने आंकड़ा जारी किया। जारी आंकड़े के अनुसार बिहार की आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है। इसमें सबसे बड़ी संख्या अत्यंत पिछड़ा वर्ग की है। यह 4 करोड़ 70 हजार 80 हजार 514 है। वहीं, दूसरे नंबर पर अति पिछड़ा वर्ग 3 करोड़ 54 लाख 63 हजार 936 है। अनुसूचित जाति की संख्या कुल 2 करोड़ 56 लाख 89 हजार 820 है। अनुसूचित जनजाति की आबादी मात्र 21 लाख 99 हजार 361 बताई गई है। सामान्य वर्ग की संख्या 2 करोड़ 2 लाख 91 हजार 679 हैं।
आपको बताते चलें कि, पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं एक अगस्त को खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है। इसके बाद नीतीश सरकार ने जातीय गणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था। सरकार ने सभी डीएम को आदेश दिया था कि हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर जातीय गणना के बचे काम को पूरा करें। इसके बाद रिपोर्ट तैयार कर सार्वजनिक किया गया।