ब्रेकिंग न्यूज़

BIHAR: बड़हरा के तुर्की गांव में महिला चौपाल का आयोजन, सोनाली सिंह ने कहा..'अब बदलाव महिलाओं की ताकत से होगा' Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक्टिव हुआ पटना जिला प्रशासन, इस दिन से शुरू होगा हथियारों का वेरिफिकेशन Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक्टिव हुआ पटना जिला प्रशासन, इस दिन से शुरू होगा हथियारों का वेरिफिकेशन Viral Video: वायरल वीडियो कांड में BJP बड़ा एक्शन, पार्टी से निकाले गए बब्बन सिंह रघुवंशी; डांसर के साथ पार कर गए थे सारी हदें Viral Video: वायरल वीडियो कांड में BJP बड़ा एक्शन, पार्टी से निकाले गए बब्बन सिंह रघुवंशी; डांसर के साथ पार कर गए थे सारी हदें Life Style: ये तीन फूड्स खाए तो पड़ सकते हैं लेने के देने, शरीर के लिए हैं काफी खतरनाक; जानिए... DARBHANGA: राहुल गांधी पर 2 केस दर्ज, 20 नामजद कांग्रेस नेता और 100 अज्ञात के खिलाफ भी प्राथमिकी Bihar News: डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने की हाई लेबल मीटिंग, अधिकारियों को दिए यह निर्देश Bihar News: डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने की हाई लेबल मीटिंग, अधिकारियों को दिए यह निर्देश Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज, BLA प्रशिक्षण का तीसरा चरण सम्पन्न

जेल में बंद आनंद मोहन ने शुरू कर दिया अनशन, दूसरे कैदी भी दे रहे हैं साथ

1st Bihar Published by: Updated Fri, 23 Jul 2021 08:04:34 PM IST

जेल में बंद आनंद मोहन ने शुरू कर दिया अनशन, दूसरे कैदी भी दे रहे हैं साथ

- फ़ोटो

PATNA : जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। जी हां, खबर सहरसा जेल से है जहां गोपालगंज के पूर्व डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। पूर्व सांसद को जेल में बंद दूसरे कैदियों का भी समर्थन मिल रहा है। आनंद मोहन लंबे अरसे से सहरसा जेल में बंद है जी कृष्णैया हत्याकांड में निचली अदालत ने आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई थी लेकिन पटना हाई कोर्ट ने उसे बाद में उम्र कैद में बदल दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आनंद मोहन सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन अब तक वहां से उन्हें राहत नहीं मिली है। 


लंबे अरसे से आनंद मोहन की रिहाई के लिए उनके समर्थक आंदोलन करते रहे हैं लेकिन अब आनंद मोहन ने खुद जेल में आमरण अनशन शुरू कर दिया है। दरअसल सहरसा जेल में बंद कैदियों को हो रही परेशानी को लेकर आनंद मोहन ने अनशन शुरू किया है। आनंद मोहन ने अपनी मांगों को लेकर जेल आईजी को पत्र भी लिखा है। इस लेटर की कॉपी उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत बिहार के तमाम बड़े अधिकारियों को भी भेजा है। दरअसल आनंद मोहन कोरोना महामारी के दौरान बंदियों को हो रही परेशानी को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने जेल में बंद कैदियों के लिए सरकार के सामने कुछ मांग रखी है। 


क्या है आनंद मोहन कि मांग


कोरोना संकट के कारण पिछले डेढ़ साल से हम बंदियों की मुलाकात और आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही पर पूर्णतः रोक है. 'ई' मुलाकात और दूरभाष पर भी नियमित बातचीत की व्यवस्था नहीं है. इसकी व्यवस्था की जाए.

जबकि कोरोना संकट के नाम पर खाने-पीने और जरूरी सामानों के अंदर आने पर रोक है, तो ऐसे में कारा हस्तक के अनुसार निर्धारित हम बंदियों की 'डाइट' में किसी प्रकार की अनियमितता कहीं से भी उचित नहीं है, इसकी व्यवस्था की जाए.

भीषण गर्मी और क्षमता से अधिक बंदियों के बावजूद वॉर्डों में पर्याप्त पंखे नहीं हैं, जो हैं वे भी खराब पड़े हैं. यहां तक कि अन्य वर्षों की तरह हाथ पंखे और मिट्टी के घड़ों की आपूर्ति भी नहीं की गई है. जेल में वायरिंग भी काफी पुरानी है. जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसे दुरुस्त करवाया जाए.

जेल में कैदियों की क्षमता के मुकाबले बहुत कम शौचालय हैं. जो हैं, उनकी स्थिति भी अत्यंत खराब है. अशक्त बंदियों के लिए कमोड वाले लैट्रिन की व्यवस्था हो.

पिछले वर्षों कई-कई अनशनों और आश्वासनों के बावजूद इस जेल में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई. जबकि प्रदेश के अन्य जेलों में इसके लिए 'एक्वा गार्ड' लगाए जा चुके हैं.

समुचित दवा और चिकित्सा का घोर अभाव है, जिसकी वजह से कैदियों को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है.

पाकशाला की स्थिति जर्जर है. टूटे छत से धूल, गंदगी और वर्षा का पानी पाकशाला में प्रवेश करता है. क्षमता से अधिक बंदियों के बावजूद खाना पकाने का बर्तन और खाना खाने के बर्तन की भारी कमी है.

काम करने वाले बंदियों को पारिश्रमिक नहीं दी गई और कैदियों को मिलने वाले परिहार से भी कैदी वर्षों वंचित हैं. खेलकूद, मनोरंजन की कोई व्यवस्था नहीं है. 'जिम' के भी सामान खराब पड़े हैं.

वर्षों से वॉर्डों में खिड़कियों के पल्ले नहीं हैं. परिणाम स्वरूप आंधी, बारिश, गर्मी में लू, जाड़े में ओस-पाले से बंदियों को भीषण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

वैश्विक महामारी 'कोविड-19' के मद्देनजर सहरसा, मधेपुरा, सुपौल जिलों के लिए जिस बीरपुर उपकरा को अस्थाई तौर पर 'क्वारंटाइन जेल' बनाया गया है, वह पूरी तरह 'यातना गृह' में तब्दील हो चुका है. कई-कई शिकायतों के बावजूद वहां के हालात में अब तक कोई परिवर्तन नहीं है.

तय समय के बीत जाने के बाद भी पुराने बंदियों को कोरोना का दूसरा डोज और नए आए बंदियों को महीनों बाद भी पहला डोज नहीं मिला है.