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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 08 Oct 2023 06:09:56 PM IST
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PATNA: बिहार सरकार द्वारा करायी गयी जातीय गणना में यादवों और कुर्मी की संख्या बढाने के लिए हेराफेरी की गयी. बीजेपी सांसद औऱ पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने ये आरोप लगाया है. सुशील मोदी ने कहा है कि यादवों की तादाद बढ़ाने के लिए कई उपजातियों को साथ जोड़ दिया गया. ऐसा ही कुर्मी के साथ भी किया गया. जब वैश्य, नोनिया, मल्लाह जैसी जातियों के साथ जमकर हेराफेरी की गयी.
सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बिहार के जातीय सर्वे में कुछ जातियों को कम और कुछ खास जातियों को उनकी उपजातियों को जोड़ कर ज्यादा दिखाने जैसी कई गंभीर शिकायतें मिल रही हैं. इसके निराकरण और जातियों का नया वर्गीकरण करने के लिए सरकार को हाईकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में आयोग गठित करना चाहिए. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो लोगों का आक्रोश भडकेगा.
ऐसे बढ़ायी यादवों की तादाद
सुशील मोदी ने कहा है कि जातीय गणना में ग्वाला, अहीर, गोरा, घासी, मेहर, सदगोप जैसी दर्जन-भर उपजातियों को एक जातीय कोड "यादव" देकर इनकी आबादी 14.26 परसेंट दिखायी गई. वैसे ही कुर्मी जाति की आबादी को भी घमैला, कुचैसा, अवधिया जैसी आधा दर्जन उपजातियों को जोड़ कर 2.87 परसेंट दिखाया गया. सुशील मोदी ने कहा कि क्या यह संयोग है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की जाति को उपजातियों-सहित गिना गया.
वहीं, वैश्य, मल्लाह, बिंद जैसी जातियों को उपजातियों में खंडित कर इऩकी आबादी इतनी कम दिखायी गई कि इन्हें अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास नहीं हो ? सुशील मोदी ने कहा कि बनिया (वैश्य) जाति की आबादी मात्र 2.31 फीसद दिखाने के लिए इसे तेली, कानू, हलवाई, चौरसिया जैसी 10 उपजातियों में तोड़ कर दिखाया गया. यदि उपजातियों को जोड़ कर एक कोड दिया गया होता, तो बनिया की आबादी 9.56 प्रतिशत होती.
सुशील मोदी ने कहा कि मल्लाह जाति को 10 उपजातियों में तोड़ कर इनकी आबादी 2.60 परसेंट दर्ज की गई. उपजातियों को जोड़ने पर मल्लाह जाति की आबादी 5.16 परसेंट होती. उन्होंने कहा कि नोनिया जाति की आबादी 1.9 प्रतिशत दर्ज हुई, जबकि इनकी बिंद, बेलदार उपजातियों को जोड़ कर आबादी 3.26 प्रतिशत होती है. सुशील मोदी ने कहा कि कुछ चुनिंदा जाति-धर्म के लोगों की गिनती में सरकार ने एक साजिश के तहत "उपजाति-जोड़ो" फार्मूला लगाया, तो कई अन्य जातियें के लिए "उपजाति-तोड़ो" फार्मूला लगाया. ये भेद-भाव किसके आदेश से हुआ, इसकी जाँच होनी चाहिए.