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1st Bihar Published by: Updated Wed, 11 Jan 2023 11:28:59 AM IST
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PATNA : बिहार में हो रही जातीय जनगणना को लेकर बीते कल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें कहा गया था कि, बिहार सरकार न सिर्फ भारतीय संविधान का उल्लंघन कर जातिगत जनगणना करा रही है बल्कि जातीय दुर्भावना पैदा करने की भी कोशिश कर रही है।इस याचिका के तहत सुप्रीम कोर्ट से बिहार के जातिगत जनगणना पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गयी है। जिसके बाद अब इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारीख तय कर दी है। न्यूज़ एजेंसी के हवाले से यह जानकारी दी गई है कि, सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 13 जनवरी को सुनवाई करेगी।
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में ये जनहित याचिका बिहार के नालंदा के निवासी अखिलेश कुमार ने दायर किया है। इसमें कहा गया है कि,जनगणना कानून के तहत सिर्फ केंद्र सरकार ही देश में जनगणना करा सकती है। इसके लिए नियम बनाये गये हैं जिसके तहत जनगणना करायी जायेगी। राज्य सरकार को जनगणना कराने का अधिकार ही नहीं है। ऐसे में बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का आदेश जारी कर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
इसके आगे इस याचिका में यह भी कहा गया है कि, सरकार किसी व्यक्ति की जाति औऱ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं कर सकती है। संविधान की कई धाराओं में साफ़ तौर पर ये बातें कहीं गयी हैं। संविधान में ये भी कहा गया है कि किसी जाति को ध्यान में रख कर कोई नीति या पॉलिसी नहीं बनायी जा सकती है।भारतीय संविधान में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कार्यों का बंटवारा किया गया है. इसमें राज्यों के जिम्मे जनगणना कराने का अधिकार नहीं दिया गया है।
बताते चलें कि, अखिलेश कुमार ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से जातिगत जनगणना के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की है। दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि छह जून, 2022 को जातिगत जनगणना के लिए जारी अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है, जिसमें विधि के समक्ष समानता और कानून के समान संरक्षण का प्रावधान है. याचिका कर्ता ने कहा कि अधिसूचना गैर कानूनी, मनमानी, अतार्किक और असंवैधानिक है। इसलिए इसे रोक देना चाहिए। जिसके बाद अब इसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारीख तय कर दी है।