बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजपुर के बड़हरा में भोजन वितरण और सामुदायिक किचन का पांचवां दिन Bihar News: बिहार के इन 46 प्रखंडों में खुलेंगे नए प्रदूषण जांच केंद्र, बिहार सरकार दे रही इतनी सब्सिडी Bihar News: बिहार के इन 46 प्रखंडों में खुलेंगे नए प्रदूषण जांच केंद्र, बिहार सरकार दे रही इतनी सब्सिडी Bihar Police News: बिहार के इस जिले के 24 थानों में नये थानाध्यक्षों की तैनाती, SSP के आदेश पर बड़ा फेरबदल Bihar Police News: बिहार के इस जिले के 24 थानों में नये थानाध्यक्षों की तैनाती, SSP के आदेश पर बड़ा फेरबदल Vaishali-Encounter: मारा गया कुख्यात अपराधी, पुलिस के साथ मुठभेड़ में हुआ ढेर--एसटीएफ का एक जवान घायल Bihar Crime News: बिहार में भूमि विवाद सुलझाने पहुंची पुलिस टीम पर हमला, डायल 112 के जवानों ने भागकर बचाई जान; 18 लोगों पर केस दर्ज बिहार में जीविका योजना से बदली महिलाओं की जिंदगी, 57 हजार करोड़ का मिला ऋण Bihar Politics: ‘नीतीश कुमार का विकास शहरों तक ही सीमित’ चचरी पुल के उद्घाटन के मौके पर बोले मुकेश सहनी Bihar Politics: ‘नीतीश कुमार का विकास शहरों तक ही सीमित’ चचरी पुल के उद्घाटन के मौके पर बोले मुकेश सहनी
1st Bihar Published by: ARYAN Updated Tue, 15 Dec 2020 04:58:02 PM IST
- फ़ोटो
PATNA : बिहार में लगातार तीन विधानसभा चुनाव तक बेहतर प्रदर्शन करने के बाद जनता दल यूनाइटेड का प्रदर्शन मौजूदा चुनाव में बेहद निराशाजनक रहा है. जनता दल युनाइटेड को विधानसभा चुनाव में केवल 43 सीटों पर संतोष करना पड़ा. नतीजा यह रहा कि नीतीश कुमार की पार्टी बिहार विधानसभा में तीसरे नंबर की पार्टी जा बनी. नीतीश कुमार भले ही मुख्यमंत्री बन गए लेकिन वह इन दिनों बेचैनी में है यही वजह है कि नीतीश जेडीयू का खोया हुआ जनाधार वापस पाने के लिए अपने नए ब्लूप्रिंट पर काम कर रहे हैं. नीतीश कुमार ने 1 प्लस 1 पॉलिटिक्स रणनीति अपनाते हुए अब ऐसे पुराने साथियों को जोड़ने की मुहिम शुरू की है, जो 2005 में उनके साथ हुआ करते थे.
पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा के बीच मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात के बाद लगातार राजनीति के गलियारे में यह चर्चा तेज रही थी कि कुशवाहा की रालोसपा का विलय जेडीयू में करने का प्रस्ताव दिया गया है. हालांकि कुशवाहा ने इसे बाद में खारिज किया. बावजूद इसके उपेंद्र कुशवाहा यह बताने से नहीं भूले कि नीतीश कुमार के साथ उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत की है. विधानसभा चुनाव के बाद कुशवाहा का तेवर नीतीश को लेकर नरम पड़ा है और अब चर्चा यह है कि नीतीश कुमार कुशवाहा के साथ जेडीयू से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले पूर्व सांसद अरुण कुमार से भी नजदीकियां बढ़ा रहे हैं.
सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों नीतीश कुमार ने अरुण कुमार से फोन पर बातचीत की है. कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे अरुण कुमार आज उनके विरोध में खड़े हैं. अरुण कुमार ने भारतीय सब लोग पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें उम्मीद के मुताबिक कर कामयाबी नहीं मिली. अब उनके सामने भी भविष्य की राजनीति बचाए रखने की चुनौती है और नीतीश कुमार इसी चुनौती को देखते हुए अरुण कुमार को अपने साथ लाने की कोशिश कर सकते हैं. फर्स्ट बिहार झारखंड में नीतीश कुमार से बातचीत को लेकर अरुण कुमार से संपर्क साधा. हमारे रिपोर्टर ने उनसे बातचीत की लेकिन अरुण कुमार ऑन कैमरा नीतीश से बातचीत की बात को खारिज कर गए.
हालांकि फर्स्ट बिहार से बातचीत में अरुण कुमार ने यह जरूर कहा कि वह नीतीश कुमार के साथ 2005 में आए थे. तब बिहार की तस्वीर बदलने की कोशिश हुई थी लेकिन बाद के दौर में नीतीश कुमार की प्राथमिकताएं बदल गई. आज नीतीश कुमार में जिन बिंदुओं पर समझौता किया है, उन तमाम बिंदुओं से अलग हुए बगैर नीतीश कुमार के साथ जाना बेहद मुश्किल काम है. अरुण कुमार और नीतीश कुमार के बीच किन मसलों पर बातचीत हुई है, यह नहीं बता पाएंगे लेकिन विश्वस्त सूत्र बता रहे हैं कि दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत हो चुकी है. अगर माहौल ठीक रहा तो जल्द ही मुलाकात भी हो सकती है.
नीतीश कुमार ने पिछले दिनों अपने पुराने साथी नरेंद्र सिंह से भी रिश्ते ठीक किए हैं. नरेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव तक नीतीश कुमार के खिलाफ जहर उगल रहे थे. लगातार उनकी आलोचना कर रहे थे लेकिन नीतीश ने धीरे-धीरे उन्हें अपने पाले में करने की कवायद शुरू कर दी. नरेंद्र सिंह के बेटे सुमित सिंह निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं और विधानसभा के अंदर मौजूदा अंकगणित में सुमित सिंह को अपने साथ बनाए रखना नीतीश कुमार के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकता है. दरअसल नीतीश कुमार अपनी पार्टी की बुरी स्थिति के लिए कहीं न कहीं दूसरे कतार के सामाजिक समीकरण वाले मजबूत नेताओं की कमी को बड़ी वजह मानना है. शायद इसीलिए नीतीश ना केवल अपने पुराने साथियों की वापसी चाहते हैं. बल्कि वन प्लस वन इज इक्वल टू टू का फार्मूला पॉलिटिक्स में अपनाने की कोशिश कर रहे हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश की यह मुहिम वाकई कितनी रंग लाती है.