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1st Bihar Published by: Updated Tue, 29 Dec 2020 09:32:43 AM IST
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PATNA : स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर राज्य के जूनियर डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल आज सातवें दिन में पहुंच गई है. यूनिट अफसरों ने 7 दिन पहले शीतकालीन हड़ताल की शुरुआत की थी और तब से बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा चुकी है. राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ओपीडी इमरजेंसी से लेकर सर्जरी सेवा तक प्रभावित हुई है, लेकिन सरकार जूनियर डाक्टरों से बातचीत करने को तैयार नहीं है.
एक तरफ जहां मरीज अपनी बेबसी पर रो रहे हैं और वहीं दूसरी तरफ सरकार यह जगह ठाने बैठी है कि जूनियर डॉक्टर कॉलेज के प्रिंसिपल और सुपरिटेंडेंट से बातचीत करें. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने एक बार फिर स्पष्ट कहा है कि अगर उन्हें लिखित आश्वासन दिया जाए तो वह हड़ताल तुरंत खत्म कर देंगे. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने अब तक हड़ताल तुड़वाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की है. पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ विमल कारक ने सोमवार को प्रत्यय अमृत से मुलाकात की थी लेकिन बात नहीं बन पाई. डॉ विमल कारक आइए में बिहार के अध्यक्ष भी हैं. एक तरफ जहां वह पीएमसीएच अधीक्षक के नाते हड़ताल खत्म कराना चाहते हैं वहीं दूसरी तरफ आईएमए अध्यक्ष होने के नाते वह जूनियर डॉक्टरों के साथ में खड़े हैं.
पीएमसीएच एनएमसीएच में हड़ताल होने की वजह से पटना के आईजीआईएमएस में अचानक से मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है. आईजीआईएमएस में सोमवार को 2100 मरीजों ने ओपीडी के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया. आम दिनों में आईजीएमएस के ओपीडी में संख्या 1400 के आस पास रहती है. एनएमसीएच का हाल यह है कि यहां भर्ती मरीजों को डॉक्टर केवल खानापूर्ति के लिए एक बार राउंड लगाकर देख लेते हैं. इतना ही नहीं पीएमसीएच और एनएमसीएच में बड़ी तादाद ऐसे मरीजों की है जिन्हें एडमिट ही नहीं लिया जा रहा.