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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 09 Sep 2023 03:48:49 PM IST
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PATNA : बिहार में शिक्षा विभाग और राजभवन में चली तकरार को लेकर राजभवन की नाराजगी कम भी नहीं हुई थी कि शिक्षा विभाग और बिहार लोक सेवा आयोग अब आमने-सामने आ गया है। इस मामले की शुरुआत तब हुई, जब माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने बीपीएससी के सचिव को पत्र भेजकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों, कर्मियों और शिक्षकों को शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र सत्यापन कार्य से अलग करने का आग्रह किया था। इस पत्र के जरिए कहा गया था यह प्रतिनियुक्ति किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है न ही यह शिक्षा हित में है। जिसके बाद आयोग के सचिव ने भी शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र लिखकर संविधान के दायरे में रहने की हिदायत दी थी। इसके बाद अब इस पत्र के जवाब में पाठक के तरफ से एक और पत्र आयोग को लिखा गया है और कहा गया है कि -इस विवाद को अधिक बढ़ावा नहीं दें वरना मामला कोर्ट तक पहुंच सकता है।
शिक्षा विभाग के तरफ से पत्र जारी कर कहा गया है कि-आयोग के तरफ से जो पत्र लिखा गया है उसके संदर्भ में यह कहना है कि बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानान्तरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवाशर्त) नियमावली, 2023 में विहित प्रावधानों के विपरीत आयोग द्वारा की जा रही कार्रवाई से ध्यान भटकाव हेतु अनर्गल एवं अवांछित तथ्यों का उल्लेख किया गया है, जो न आवश्यक है और न ही उचित।
लगाना पड़ सकता है कोर्ट का चक्कर
आयोग अपनी कार्रवाई करने हेतु स्वतंत्र है एवं इसकी सूचना शिक्षा विभाग के तरफ से पहले ही दी जा चुकी है। आयोग की आंतरिक प्रक्रिया का निर्वहन वह स्वयं करे इसमें विभाग को कुछ नहीं कहना है फिर भी आपके तरफ से जो विभाग के तरफ सेदबाव बनाने का जो तथ्य दिया गया है। वह अनुचित एवं अस्वीकार्य है। आयोग अपने दायित्वों का निर्वहन करने हेतु स्वतंत्र है। लेकिन, आयोग नियुक्ति नियमावली में विहित प्रावधानों के विपरीत ऐसा कोई कार्य न करे जिससे भविष्य में अनावश्यक न्यायालीय वादों का कारण बने।
पत्राचार में ऊर्जा व्यय करना अनुचित
शिक्षा विभाग ने कहा है कि- विभाग आयोग का ध्यान बिहार राज्य अध्यापक (नियुक्ति, स्थानान्तरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवाशत्त) नियमावली 2023 के नियम 7 (ii) 7 (vii) 7 (viii) एवं 9 (i) की ओर आकृष्ट किया जाता है। उसका अनुपालन आवश्यक है, ताकि नियुक्ति प्रक्रिया के ससमय एवं सफल पूर्णीकरण में कोई बाधा उत्पन्न न हो। इसके बावजूद अनर्गल शब्दों का प्रयोग करते हुए अनावश्यक पत्राचार में ऊर्जा व्यय करना अनुचित है।
इसके आगे इस पत्र में कहा गया है कि- अनर्गल एवं अनुचित शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए अनावश्यक पत्राचार करने के बजाय नियमावली में विहित प्रावधानों के आलोक में ससमय कार्रवाई सुनिश्चित करें ताकि नियुक्ति प्रक्रिया को न्यायालीय वादों के बोझ से बचाया जा सके। शिक्षा विभाग ने कहा है कि- आपने यह भी लिखा है कि बिहार लोक सेवा आयोग, शिक्षा विभाग या राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन नहीं है। शिक्षा विभाग आपको यह स्पष्ट करना चाहता है कि autonomy का अर्थ anarchy नहीं है।
मूर्खतापूर्ण एवं विवेकहीन परम्परा नहीं करें स्थापित
शिक्षा विभाग ने यह भी कहा है कि- जहां तक शिक्षकों की भर्ती का प्रश्न है तो आयोग को जब भी स्थापित परम्पराओं से हटकर कोई कार्य करना है तो पहले एक औपचारिक बैठक आयोग के स्तर पर की जानी चाहिए थी, इसमें शिक्षा विभाग, विधि विभाग तथा सामान्य प्रशासन विभाग से भी चर्चा की जानी चाहिए। आयोग की स्वायत्तता का अर्थ यह नहीं है कि आयोग कोई भी मूर्खतापूर्ण एवं विवेकहीन परम्परा स्थापित करे, जिससे शिक्षक नियुक्ति को लेकर बाद में सरकार के सामने वैधानिक अड़चन आए । आयोग यह भी स्पष्ट करे कि लिखित परीक्षा का परिणाम निकाले बगैर प्रमाण पत्रों का सत्यापन पहले किन-किन मामलों में किया गया है।
विभाग ने कहा कि आयोग अपनी स्वायत्ता के नाम पर विवेकहीन एवं मूर्खतापूर्ण निर्णय नहीं ले सकता है और स्थापित परम्पराओं से इतर नहीं जा सकता है। शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध में प्रशासी विभाग, शिक्षा विभाग है और संबंधित नियमावली में कई जगह लिखा है कि परीक्षा की विभिन्न पहलुओं पर प्रशासी विभाग से चर्चा कर ही कार्य किया जाएगा। अन्त में यह उल्लेख करना है कि जब मुख्य सचिव, बिहार द्वारा निर्गत पत्रांक- 258 / सी०. दिनांक- 06.09.23 द्वारा यह स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई थी, तो पुनः आपका यह पत्र भेजना अनावश्यक एवं बचकानी हरकत है। अतः इस पत्र को मूल रूप में आपको लौटाया जाता है