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केके पाठक ने बीजेपी नेताओं को मिलने का समय नहीं दिया: सरकारी स्कूलों में छुट्टी रद्द करने के खिलाफ देने वाले थे ज्ञापन

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR EXCLUSIVE Updated Fri, 01 Sep 2023 07:09:30 PM IST

केके पाठक ने बीजेपी नेताओं को मिलने का समय नहीं दिया: सरकारी स्कूलों में छुट्टी रद्द करने के खिलाफ देने वाले थे ज्ञापन

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PATNA: बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बिहार के मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के नेताओं को मिलने का टाइम ही नहीं दिया. एमएलसी नवल किशोर यादव के नेतृत्व में बीजेपी नेताओं का प्रतिनिधिमंडल केके पाठक से मिल कर उन्हें ज्ञापन देना चाह रहा था. बीजेपी नेता सरकारी स्कूलों में छुट्टियां रद्द होने के खिलाफ ज्ञापन देने वाले थे लेकिन पाठक ने उनका कोई नोटिस ही नहीं लिया. 


बता दें कि राज्य सरकार अपने अधिकारियों को बार-बार ये निर्देश देती रही है कि वह जनप्रतिनिधियों के साथ सम्मान से पेश आये. अगर कोई जनप्रतिनिधि उनसे मिलना चाहता है तो वे न सिर्फ उनसे मुलाकात करें बल्कि अपने कक्ष में खड़े होकर स्वागत करे. उन्हें अपने चेंबर के दरवाजे तक छोड़ने भी आये. लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टियों के विधान पार्षदों ने समय मांगा और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कोई नोटिस ही नहीं लिया.


बीजेपी के एमएलसी नवल किशोर यादव ने बताया कि वे स्कूलों में छुट्टियां कम करने के आदेश के खिलाफ ज्ञापन देना चाहते थे. बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री पटना में अभी उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को ज्ञापन देना का फैसला लिया गया. लेकिन केके पाठक ने  बताया ही नहीं कि वे कब उपलब्ध होंगे. उन्होंने कोई जवाब ही नहीं दिया. 


अब राज्यपाल-सीएम को देंगे ज्ञापन 

एमएलसी नवल किशोर यादव ने कहा कि अब वे राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन देंगे. उन्हें ज्ञापन देकर मांग की जायेगी कि स्कूलों की छुट्टियों में की गयी कटौती को वापस लिया जाये. सरकार ने हिंदुओं की संस्कृति के खिलाफ छुट्टियों में कटौती की है. 


नवल किशोर यादव ने कहा कि बिहार में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की शिक्षा को भी ध्वस्त करने की कोशिश की जा रही है. शिक्षा विभाग जानबूझ कर राजभवन से टकराव मोल ले रहा है. तभी शिक्षा विभाग की ओर से यूनिवर्सिटी को आदेश जारी किये जा रहे हैं. जबकि एक्ट और फैक्ट दोनों यही कहता है कि यूनिवर्सिटी में  ऑटोनॉमी है. यूनिवर्सिटी का काम राज्यपाल के जिम्मे है. अगर इसे कोई एंक्रोच करता है, तो उच्च शिक्षा को गर्त में ले जाना चाहता है. वह उच्च शिक्षा की ऑटोनॉमी को समाप्त करना चाहता है. सही वही है जो यूनिवर्सिटी एक्ट कहता है.