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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 16 Dec 2024 11:13:30 PM IST
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हिंदू धर्म में कलावा या रक्षा सूत्र को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो पूजा, यज्ञ, संस्कारों और अन्य धार्मिक कर्मों के पहले बांधी जाती है। इसे मौली भी कहा जाता है और यह धार्मिक आस्था और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। इसके कई आध्यात्मिक, ज्योतिषीय और शारीरिक लाभ हैं।
कलावा किस हाथ में बांधना चाहिए?
पुरुषों और कुंवारी कन्याओं के लिए: दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए।
विवाहित महिलाओं के लिए: बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह नियम इस आधार पर हैं कि अलग-अलग हाथों में कलावा बांधने से विभिन्न ग्रहों के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है।
कलावा कलाई पर कितनी बार लपेटना चाहिए?
कलावा कलाई पर तीन, पांच या सात बार लपेटा जाता है।
ध्यान रखें कि हाथ में एक सिक्का रखा जाए और उसे पूजा के बाद पंडित को दे दिया जाए।
कलावा कब खोलना चाहिए?
कलावा को किसी भी दिन या समय में नहीं खोला जाना चाहिए।
मंगलवार या शनिवार को कलावा खोलना शुभ माना जाता है।
पुराना कलावा खोलने के बाद, पूजा घर में बैठकर नया कलावा बांधना उचित होता है।
पुराना कलावा कहां रखें?
पुराना कलावा फेंकना नहीं चाहिए। इसे पीपल के पेड़ के नीचे रखा जा सकता है या बहते पानी में प्रवाहित किया जा सकता है।
कलावा से सेहत को लाभ
आयुर्वेद के अनुसार, कलाई से होकर शरीर की मुख्य नसें गुजरती हैं, इसलिए यहां कलावा बांधने से त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) के संतुलन में मदद मिलती है।
यह मधुमेह, हृदय रोग, और रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।
ज्योतिष शास्त्र में कलावा का महत्व
लाल या केसरी कलावा मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करता है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
काले रंग का धागा शनि ग्रह के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए बांधा जाता है।
कलावा बांधने के फायदे
त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) और तीन देवियों (लक्ष्मी, पार्वती, सरस्वती) की कृपा प्राप्त होती है।
यह व्यक्ति को मारण, मोहन, विद्वेषण और जादू-टोने से सुरक्षा प्रदान करता है।
मौली बांधने से मानसिक शांति और पवित्रता बनी रहती है, जिससे व्यक्ति बुरे विचारों से बचता है और गलत रास्तों से दूर रहता है।
कमर में बांधने के लाभ
कमर में बांधने से सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है और बुरी आत्माओं का प्रवेश रोकता है।
यह विशेष रूप से बच्चों को बांधा जाता है, जिससे पेट के रोगों से बचाव होता है।
कलावा बांधने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर सुरक्षा, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।