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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 08 Oct 2023 02:10:10 PM IST
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PATNA : जातीय गणना में बहुत सारा गांव में कोई कर्मचारी गया ही नहीं तो फिर कैसे आखिर यह गणना हो गई। दूसरी बात यह है कि इसमें जो आर्थिक गणना की की बात कही गयी है वो बिना किसी से मिले कैसे संभव है। जब कर्मी हमसे मिलेंगे ही नहीं तो उन्हें हमारी आर्थिक जानकारी कैसे हासिल हुई है। उसके बाबजूद अगर कहा जा रहा है कि उन्हें गणना कर लिया तो यह अपने आप में सवाल है। यह बातें राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कही है।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि - राज्य में बहुत सारे गांव में कर्मचारी गए जहि नहीं तो कैसे गणना हुई। इसके साथ ही जो आर्थिक गणना की बात कही जा रही है उसको लेकर कहना है कि जबतक कर्मी सामने से मुलाकात करेंगे ही नहीं तो उससे आकड़े लेंगे ही नहीं तो कैसे हमारे बारे में लोगो को मालूम होगा। उनको कैसे मालूम की हमको कितना पेंशन मिलता है। अगर मान भी लिया जाए की हमारे पड़ोसी से यह पूछ लिया गया हो तो भी पूरी जानकारी ले लेना संभव नहीं है।
इसके आगे उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी को कहां से मालूम होगा की इसके आलावा कहीं दूसरे जगह हमारा घर है या नहीं। पटना में यदि है तो कितनी जमीन है। मुंबई ये यदि है तो कितनी संपत्ति है। हमारे खाते में कितना पैसा है यह हमारे बगल में रहने वाले लोगों को कैसे मालूम होगा। तो फिर आर्थिक सर्वें कैसे हो गया। मुझे तो जो लगता है कि आनन- फानन में चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह कोई बड़ी साजिश है। इससे समाज में तनाव पैदा करके लोगों को अलग करने का फ़िराक है।
कुशवाहा ने कहा कि- नीतीश कुमार ने खुद ही कहा है कि अब उनके जाने का समय है लेकिन जाने का मतलब यह नहीं होता है कि समाज को बर्बाद करके जाना है हमको सरकार यह देख उपेंद्र कुशवाहा के बारे में जो आर्थिक रिपोर्ट जमा की है। उसमें हमारे अकाउंट में कितना पैसा है? किसने उनको बताया मुझे कितना पेंशन मिलता है? यह जानकारी उनके पास कहां से आई मेरा घर पटना में कितनी जमीन में है? यह जानकारी उन्हें कहां से मिली मुंबई और दिल्ली में भी मेरी संपत्ति है या नहीं है? यह बात सिर्फ मेरे बारे में नहीं बल्कि बिहार के सभी लोगों के बारे में है कि आखिर जब कोई कर्मी में गया ही नहीं तो फिर उनके पास जानकारी आई कहां से।