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लोकसभा से पहले नवंबर में होगा शक्ति प्रदर्शन, दलितों को साथ देंगे चिराग और मांझी तो सवर्णों पर होगी आनंद मोहन की नजर

1st Bihar Published by: VISHWAJIT ANAND Updated Sat, 10 Jun 2023 08:53:03 AM IST

लोकसभा से पहले नवंबर में होगा शक्ति प्रदर्शन, दलितों को साथ देंगे चिराग और मांझी तो सवर्णों पर होगी आनंद मोहन की नजर

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PATNA : देश के लिए आने वाला वर्ष यानी 2024काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस साल लोकसभा के चुनाव होने हैं। इसको लेकर देश की तमाम राजनीतिक पार्टियां अपने तैयारी में जुटी हुई है और अपने स्तर से शक्ति प्रदर्शन दिखाने की भी तैयारी कर रही है। वहीं, लोकसभा चुनाव से पहले नवंबर का महीना बिहार की राजनीति के लिए काफी खास होने वाला है। इस महीने दलित वोट बैंक पर दावा करने वाली बिहार की दो बड़ी पार्टियां रैली करने जा रही है। इसके साथ ही कुछ दिनों पहले जेल से बाहर निकले आनंद मोहन भी सवर्ण वोट बैंक को अपने पक्ष में एकजुट करने के लिए रैली करने वाले हैं।


दरअसल, दलित वोट बैंक पर दावा करने वाली चिराग पासवान की पार्टी  लोजपा (रामविलास )की ओर से पटना के गांधी मैदान में पार्टी के स्थापना दिवस के अवसर पर 28 नवंबर को रैली की जाएगी। तो वहीं जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा भी इसी महीने गांधी मैदान में अपनी ताकत दिखाएगी। इस बात की सहमति कल पार्टी कोर कमिटी की बैठक में बनी है। वहीं,सवर्ण वोट बैंक को महागठबंधन के पक्ष में मजबूत करने के लिए पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन भी यह बता चुके हैं कि,वो भी नवंबर में पटना के गांधी मैदान में रैली करेंगे।


मालूम हो कि बिहार में दलित वोटरों की संख्या लगभग 16 फ़ीसदी है। यह वोट बैंक किसी भी पार्टी को चुनाव में बजट बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। इसी 16 फीसदी वोट बैंक को लेकर चिराग पासवान की पार्टी और जीतन राम मांझी की पार्टी दोनों अपने तरफ होने का दावा करती है। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव से पहले नवंबर का महीना तय किया गया है इन वोट बैंकों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए।


जानकारी हो कि बिहार में सासाराम, गया, जमुई, हाजीपुर, गोपालगंज और समस्तीपुर वो लोकसभा क्षेत्र हैं जो आरक्षित सीट है। ऐसे में लोजपा और हम दोनों पाटिया यहां पर मजबूत उम्मीदवार देकर इस वोट बैंक पर अपना कब्जा जमाना चाहेगी। हालांकि, इनमें से लोजपा (रामविलास ) और लोजपा (पारस ) का कब्ज़ा तीन सीटों पर पहले से हैं। वहीं, गया में मांझी का शुरू से ही दबदवा रहा है। इस लिहाजा यह काफी महत्वपूर्ण होगा कि इन दोनों दलों में कौन दलितों को अपने साथ पूरी तरह से एकजुट कर पाता है।


इधर, जेल से बाहर निकलने के बाद आनंद मोहन भी नवंबर में महारैली करने का ऐलान कर दिया है। इसको लेकर वो राज्य के कई जिलों में जा रहे हैं और अगड़े समुदाय के लोगों से इस रैली में आने का निमंत्रण दे रहे हैं। इनकी नजर भी भाजपा के कोर वोट बैंक कहें जाने वाले सवर्ण वोट बैंक पर होगी। आनंद मोहन जो दावा कर रहे हैं उसमें सफल होते हैं तो फिर भाजपा के लिए काफी समस्या हो सकती है।