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1st Bihar Published by: Updated Sat, 25 Sep 2021 07:16:55 PM IST
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DESK: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार की शाम दिल्ली पहुंचे। नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक रविवार को होगी। जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल होंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में यह बैठक होगी।
जिसमें नक्सलवाद की समस्या, नक्सल प्रभावित इलाकों की स्थिति और वहां के विकास कार्यों पर विस्तार पूर्वक चर्चा होगी। बिहार की स्थितियों को कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रमुखता से रखेंगे। ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि जातीय जनगणना को लेकर भी अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच बातचीत हो सकती है।
जातीय जनगणना कराने से केंद्र के इनकार के बाद बिहार में राजनीति तेज हो गई है। जातिगत जनगणना का मुद्दा पूरे बिहार में छाया हुआ है। जातीय जनगणना से इनकार के बाद अब बिहार एनडीए में भी दरार पड़ गई है। वही विपक्ष इसे लेकर सरकार को घेरने का काम कर रहा है। केंद्र की ना के बाद बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है। बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे लेकर देश के 33 दलों के नेताओं को पत्र लिखा है।
तेजस्वी के लिखे गये पत्र पर एनडीए ने हमला बोला है। वही बीजेपी के तमाम नेता अब इसके विरोध में हैं और केंद्र के फैसले के साथ हैं। लेकिन पीएम से मिले प्रतिनिधिमंडल में वे भी शामिल थे। हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामा को सराहा है लेकिन प्रतिनिधमंडल में शामिल नेताओं ने इस पर तीखी प्रतिक्रया दी है। इससे सूबे का सियासी पारा चढ़ गया है।
जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि जो केंद्र ने कह दिया उसका समर्थन बिहार बीजेपी भी करती है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह बताया गया कि 4 लाख 28 हजार जातियों की रिपोर्टिंग हुई। यदि इतनी जातियों की रिपोर्टिंग SECC डाटा में हुई है। तो कैसे 4 लाख 28 हजार कॉलम करके किया जा सकता है। बहुत लोगों ने अपनी जाति में ओबीसी नहीं लिखा है ऐसे में कईयों की ओबीसी की संख्या घट सकती है। महाराष्ट्र में 484 जातियां रजिस्ट्रर्ड है। महाराष्ट्र में SECC डाटा हुआ तो वहां जातियों की संख्या 52 हजार पार कर गयी। जिसके कारण यह प्रैक्टिकली सही साबित नहीं हुआ।
गौरतलब है कि राजद नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने देश के 33 नेताओं को पत्र लिखा है। जिसमें कहा है कि केंद्र सरकार जातिगत जनगणना को लेकर उदासीन और नकारात्मक रवैया अपना रही है। जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक जरूरी कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए। तेजस्वी ने कहा कि जातीय जनगणना ना कराने को लेकर बीजेपी के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है।
तेजस्वी यादव ने जातिगत जनगणना को लेकर देश के 33 दलों के नेताओं को पत्र लिया है। तेजस्वी ने सोनिया गांधी, शरद पवार, अखिलेश यादव, मायावती, एमके स्टालिन, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, सीताराम येचुरी, डी राजा, नीतीश कुमार, फारूक अब्दुल्ला, प्रकाश सिंह बादल, दीपांकर भट्टाचार्य, उद्धव ठाकरे, के.चंद्रशेखर राव, वाईएस जगन मोहन रेड्डी, महबूबा मुफ्ती, हेमंत सोरेन, पिनरई विजयन, अरविंद केजरीवाल, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, चरणजीत सिंह चन्नी, ओम प्रकाश चौटाला, जीतन राम मांझी, मौलाना बदरुद्दीन अजमल, जयंत चौधरी, ओ पनीर सेल्वम, ओमप्रकाश राजवीर, चिराग पासवान, अख्तरुल इमान, मुकेश सहनी और चंद्रशेखर आजाद को पत्र लिखा है।
केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह कहा गया है कि सरकार पिछड़ी जातियों की जनगणना करवाने के लिए तैयार नहीं है। इससे प्रशासनिक परेशानियां उत्पन्न होंगी। कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार का कहना है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 अशुद्धियों से भरी हुई है। SECC-2011 सर्वे ओबीसी सर्वेक्षण नहीं है। जातीय जनगणना पर केंद्र की ना के बाद बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। जातीय जनगणना नहीं कराने के खिलाफ सत्ताधारी दल के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है।